नई दिल्ली : दिल्ली दंगा मामले में यहां के एक सेशन कोर्ट ने पुलिस कांस्टेबल पर तमंचा तानने वाले को पनाह देने के मामले में दोषी कलीम अहमद की सजा कम कर दिया है. कलीम अहमद ने पहले ही अपना जुर्म कबूल लिया था. अदालत ने उसे सुधरने का मौका देते हुए उतनी ही सजा सुनाई है, जितने दिन वह जेल में रह चुका है. इसके साथ ही, अदालत ने उसे दो हजार रुपये के मुचलका भरने का भी आदेश दिया है.
मीडिया की रिपोर्ट्स के अनुसार, दिल्ली के सेशन कोर्ट ने 2020 के दौरान नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली में हुए सांप्रदायिक दंगों के दौरान एक पुलिस कांस्टेबल पर तथाकथित तौर पर तमंचा तानने वाले शाहरूख पठान को पनाह देने का जुर्म कबूल करने वाले दोषी पर उदारता दिखाई है. अदालत ने हुए उसे उतनी सजा सुनाई है, जो वह पहले ही जेल में काट चुका है.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत ने कहा कि दोषी कलीम अहमद ने पछतावा व्यक्त किया और क्षमायाचना की और स्वीकार किया कि उसे पठान ने गुमराह किया था. रावत ने कहा कि इस मामले में अधिकतम तीन साल की सजा दी जा सकती है, जबकि दोषी 17 मार्च 2020 से 7 सितंबर 2021 तक जेल में रह चुका है.
न्यायाधीश ने आदेश में कहा कि दोषी की पारिवारिक स्थिति, उसकी व्यक्तिगत स्थिति, इकाबल-ए-जुर्म के तथ्यों पर विचार करने के साथ-साथ इस बात पर भी गौर किया गया कि उसे सुधार का एक मौका देना चाहिए. उन्होंने कहा कि अदालत दोषी को उतनी अवधि की सज़ा सुनाती है, जितनी वह पहले ही जेल में काट चुका है और दो हजार रुपये का जुर्माना लगाती है.
अदालत ने कलीम अहमद को भारतीय दंड संहिता की धारा 216 (हिरासत से फरार आरोपी को पनाह देना) के तहत सात दिसंबर को दोषी ठहराया गया था. उसने जुर्म कबूल कर लिया था. फरवरी 2020 में दंगों के दौरान पठान ने कथित रूप से ‘जान से मारने की’ नीयत से दिल्ली पुलिस के हेड कांस्टेबल दीपक दहिया पर तमंचा तान दिया था. इस घटना के वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर वायरल भी हो गए थे.