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लीज पर 3 एकड़ जमीन लेकर 4 दोस्तों ने शुरू की मिर्च की खेती, अब फूलगोभी के 1.5 लाख पौधे लगाने की है तैयारी

jharkhand news: देवघर के 4 दोस्त खेती के सहारे आत्मनिर्भर बनने में लगे हैं. लीज पर तीन एकड़ जमीन लेकर पहले मिर्च की खेती शुरू की. इसमें सफलता मिलने पर अब 1.5 लाख फूलगोभी के पौधे लगाने की तैयारी में जुटे हैं. सरकार से मदद और अन्य युवाओं को खेती-बारी से जुड़ने की अपील कर रहे हैं.

Jharkhand news: सरकारी और प्राइवेट नौकरियों के इतर आज भी कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जो रोजगार का बड़ा माध्यम बनते जा रहे हैं. बस जरूरत है मजबूत इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़ने की. कृषि के बदलते प्रारूप में अब यह भी आय का जरिया बन गया है. अब युवाओं में कृषि के प्रति रुझान देखने को मिल रहा है. ऐसा ही एक रुझान देवघर के सारवां प्रखंड अंतर्गत रतुरा पहारिया पंचायत के रहनेवाले 4 दोस्तों में देखने को मिला है. इन चारों दोस्तों ने खेती को स्वावलंबन का माध्यम बनाया और पढ़ाई के साथ-साथ इसमें भी जुट गये.

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लीज पर 3 एकड़ जमीन लेकर 4 दोस्तों ने शुरू की मिर्च की खेती, अब फूलगोभी के 1. 5 लाख पौधे लगाने की है तैयारी 3
1.5 लाख फूलगाेभी के पौधे लगाने की तैयारी

पीजी की पढ़ाई के साथ चार दोस्त गोपी चरण मिश्रा, मिंटी कुमार तांती, बसंत वर्मा और विकास तांती ने मिलकर तीन एकड़ जमीन में मिर्च की खेती कर रहे हैं. उन्होंने तीन एकड़ जमीन लीज पर ली है. मिर्च की खेती कर सफलता से उत्साहित इन दोस्तों ने अब फूलगोभी का पौधा तैयार करना शुरू कर दिया है. ये करीब फूलगोभी के करीब 1.5 लाख पौधे लगाने की तैयारी में हैं.

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प्राइवेट कंपनियों में की नौकरी, फिर खेती का बनाया मन

मैट्रिक परीक्षा पास करने के बाद आगे की पढ़ाई के लिए देवघर आ गये. देवघर कॉलेज में हिस्ट्री ऑनर्स के बाद पीजी की पढ़ाई करते हुए कई प्रतियोगी परीक्षाओं में शामिल हुए. पर सफलता नहीं मिलने पर रोजगार के लिए प्राइवेट जॉब करना शुरू कर दिया. कई प्राइवेट कंपनियों में 10 से 15 हजार के वेतन पर नौकरी मिली. सुबह से देर शाम तक भागदौड़ लगी रहती थी. इसके बाद एक दिन सभी बैठे और गांव में ही खेती से रोजगार करने का मन मनाया.

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फिर बेंगलुरु की अदिति ऑर्गेनिक प्राइवेट लिमिटेड में ऑर्गेनिक खेती का प्रशिक्षण प्राप्त किया. इसके बाद अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में जुट गये. इनके साथ अब एक अन्य अंकित मिश्रा भी सहयोग कर रहे हैं. वो खेती की जानकारी लेकर युवाओं को कॉन्ट्रेक्ट फार्मिंग के लिए प्रेरित कर रहे हैं.

सरकार से मदद मिले, तो खेती को दे सकते हैं वृहत रूप

गोपी और उसके दोस्तों ने बताया कि कृषि में मदद के लिए नाबार्ड से लेकर प्रखंड कार्यालय तक संपर्क किये. लेकिन, निराशा ही हाथ लगी. फिलहाल, दूसरे के मोटर से पटवन का काम कर रहे हैं. इनलोगों ने बताया कि अगर पटवन के लिए बिजली का मोटर पंप मिल जाये, तो काफी मदद मिलेगी. कृषि मंत्री बादल पत्रलेख से इनलोगों ने मदद मांगी है और आश्वासन भी मिला है. युवाओं ने कहा कि अगर उन्हें सरकार मदद मिल जाये, तो खेती को वृहत रूप दे सकते हैं.

खुद करते हैं पटवन और दवा का भी छिड़काव

चारों दाेस्त दवाई के छिड़काव से लेकर पटवन तक काम खुद करते हैं. मिर्च तोड़ने के समय मजदूर लगाना पड़ता है. करीब 1.20 लाख पौधे से चार लोगों के द्वारा फसल को तोड़ना संभव नहीं है. अब तक तीन बार फसल को बेच भी चुके हैं. 4500 रुपये प्रति क्विंटल की दर से व्यापारी खेत पर आकर ही खरीद कर ले जाते हैं.

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रिपोर्ट : संजीव मिश्रा, देवघर.

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