Scrub Typhus Cases in Jharkhand: डेंगू, चिकुनगुनिया के बाद अब एक नयी बीमारी की दस्तक ने स्वास्थ्य विभाग के लिए चिंता बढ़ा दी है. जिले में स्क्रब टाइफस के चार संदिग्ध मरीज पाये गये हैं. इस बीमारी के मिले संदिग्ध मरीजों की जानकारी निजी क्लिनिक ने स्वास्थ्य विभाग को मुहैया करायी है. सूचना मिलने के साथ स्वास्थ्य विभाग की ओर से टीम भेज कर जसीडीह और मोहनपुर से दो लोगों का सैंपल कलेक्ट कराया गया है. यह जानकारी जिला वीबीडी सलाहकार डॉ गणेश कुमार यादव ने दी.
वीबीडी सलाहकार डॉ गणेश कुमार यादव ने बताया कि, अन्य दोनों के बारे में जानकारी ली जा रही है. जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ कहा जा सकता है. उन्होंने बताया कि, जिले में पहली बार संभावित स्क्रब टाइफस के मामले की जानकारी मिली है. पिछले साल सिमडेगा में आउटब्रेक हुआ था. इसके पहले पश्चिम बंगाल में लोगों को यह बीमारी कइयों में पायी गयी है.
क्या है स्क्रब टाइफस बीमारी
स्क्रब टाइफस ”ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी” बैक्टीरिया के कारण होता है. यह एक रिकेट्सियल (हड्डी विकास रोग रिकेट्स नहीं ) रोग है. यह ”चिगर्स” नामक संक्रमित घुन (कीड़ा) के लार्वा द्वारा काटने से होता है. ये घुन झाड़ीदार क्षेत्रों या झाड़ियों में प्रजनन करते हैं, इसलिए इस बीमारी को बुश टाइफस भी कहा जाता है. विभाग के अनुसार, पिछले महीनों में भारत के कुछ हिस्सों में हुई भारी बारिश के कारण चिगर्स तेजी से फैल रहा है. एक बार संक्रमित होने पर, इस बैक्टीरिया की अवधि 10-12 दिन होती है. इसके अंतर व्यक्ति को लक्षणों का अनुभव होना शुरू हो सकता है. वहीं, कमजोर इम्यूनिटी लोगों में यह संक्रमण अधिक होता है.
कितनी घातक है यह बीमारी
किसी इंसान के शरीर में स्क्रब टाइफस के बैक्टीरिया के प्रवेश करने के चार-पांच दिन बाद ही इसके लक्षण दिखने लगते हैं. इसका समय पर इलाज नहीं किया जाये, तो संक्रमण घातक हो सकता है. इसके संक्रमण से श्वसन तंत्र, गुर्दे , मस्तिष्क को प्रभावित कर सकता है. गंभीर मामलों में यह इंसान को कोमा तक पहुंचा सकता है. इस बीमारी से किसी की जान भी जा सकती है. इसलिए इस बीमारी से जुड़े कोई लक्षण नजर आये तो तुरंत चिकित्सीय इलाज करायें.
स्क्रब टाइफस के लक्षण
बुखार, सिर दर्द, ठंड लगना, मानसिक परिवर्तन. यह भ्रम से शुरू हो सकता है और गंभीर मामलों में कोमा तक भी पहुंच सकता है, लिम्फ नोड्स का बढ़ना, शरीर में चकत्ते, शरीर में दर्द, जोड़ों में दर्द.
क्या है इलाज
यदि किसी व्यक्ति को स्क्रब टाइफस का लक्षण दिखे तो तुरंत डॉक्टर से इलाज संपर्क करें. यदी जल्द ही बीमारी की पहचान जल्दी हो जाती है तो इसे एंटीबायोटिक दवा की मदद से काफी आसानी से ठीक किया जा सकता है.
क्या बरतें सावधानी
झाड़ीदार क्षेत्रों में जाने से बचे. ऐसे जगहों पर जाने के लिए पूरी ढके हुए कपड़े पहनें, ताकि चिगर्स आपकी त्वचा के सीधे संपर्क में न आ सकें. बाहर से आने पर हाथ और पैर अच्छी तरह धोएं. झाड़ियों वाले क्षेत्र में जाने से पहले ऐसे जूते पहनें जो पैरों को पूरी तरह से ढक दें.
जिलेवासियों से अपील
डीसी ने जिलेवासियों से अपील की कि डेंगू, चिकनगुनिया व मलेरिया जैसे बीमारियों के बढ़ते मामले को देखते हुए सतर्क व सावधान रहें. अपने घर व आसपास जल जमाव न होने दे. पानी जमा होने के कारण एडीस मच्छर पनपते हैं, जिसके काटने से ये सभी बीमारियां फैलती है. यदि बुखार 1-2 दिन में ठीक न हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाकर चेक-अप करवाना चाहिए.
सदर अस्पताल के वार्ड में लगे बेड की चादर रोज बदलें, सफाई रखें: डीसी
डेंगू, मलेरिया, चिकुनगुनिया की रोकथाम को लेकर की गयी विभिन्न तैयारियों एवं डेडिकेटेड डेंगू वार्ड का सोमवार को डीसी ने जायजा लिया. इस दौरान उन्होंने सदर अस्पताल में ओटी, आइसीयू, बच्चों के एमटीसी वार्ड, सिटी स्कैन, बर्न यूनिट, मेटरनिटी वार्ड, अग्निशमन व्यवस्था, ऑक्सीजन प्लांट के अलावा विभिन्न वार्डों का निरीक्षण किया. निरीक्षण के क्रम में उन्होंने डीसी ने दवाई की उपलब्धता, रोस्टर, उपस्थिति पंजी आदि की जांच भी की. उन्होंने अस्पताल में भर्ती मरीजों से बात की और मिल रही सुविधाओं की जानकारी ली. डीसी ने सिविल सर्जन व अन्य स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को सख्त निर्देश दिया कि मरीजों को शुद्ध पेयजल, स्वच्छ शौचालय की सुविधा दें. साथ ही वार्ड में लगे बेड की चादर रोजाना बदलें. इसके अलावा सदर अस्पताल की सफाई नियमित रूप से हो. उन्होंने चिकित्सकों एवं स्वास्थ्य कर्मियों को सेवा भाव से अपने कर्त्तव्य का निर्वहन करने का निर्देश दिया. डीसी ने सिविल सर्जन को निर्देश दिया कि अधिक से अधिक योग्य लाभुकों को आयुष्मान कार्ड से जोड़ें. इसके लिए सभी प्रखंडों में सीएचसी के माध्यम से अभियान चलायें. निरीक्षण के क्रम में सिविल सर्जन डॉ रंजन सिन्हा, डीपीआरओ रवि कुमार एवं अस्पताल के चिकित्सक अधिकारी, नगर निगम के सिटी मैनेजर सुधांशु रंजन एवं संबंधित विभाग के अधिकारी मौजूद थे.
संदिग्ध मरीजों के लिये गये सैंपल, कराया छिड़काव
निजी चिकित्सकों व अस्पतालों द्वारा दी गयी सूचना के आधार पर देवघर शहरी क्षेत्र में डेंगू व चिकुनगुनिया के संभावित रोगियों की एलाइजा जांच के लिए ब्लड सैंपल लिये गये. इसके साथ ही इन क्षेत्रों में लार्वानाशी रसायनिक छिड़काव, फॉगिंग की गयी. मच्छरों के प्रजनन स्थलों की पहचान कर उसे नष्ट करते हुए मोहल्ले वासियों को जलजमाव नहीं होने की जानकारी दी. सिविल सर्जन डॉ रंजन सिन्हा के निर्देश पर जिला वीबीडी सलाहकार डॉ गणेश कुमार के अनुश्रवण में किया गया, जिसमें नीलम सेठी, एमपीडब्ल्यू राकेश कुमार, पिंटू दास व नितेश कुमार आदि थे.