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देवघर के सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में पढ़ाने के लिए शिक्षक नहीं, बच्चे कैसे बनेंगे एक्सीलेंट

हरेक स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई के साथ-साथ प्ले ग्राउंड, कंप्यूटर लैब, साइंस लैब, लाइब्रेरी, स्मार्ट क्लासेस आदि जरूरी संसाधनाें पर चार-चार करोड़ से अधिक खर्च किये गये हैं

केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से मान्यता प्राप्त संताल परगना के 20 सरकारी स्कूलों को सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में शामिल किया गया है. शैक्षणिक वर्ष 23-24 से देवघर सहित गोड्डा, पाकुड़, जामताड़ा में तीन-तीन स्कूल एवं उप राजधानी दुमका व साहिबगंज में 4-4 स्कूल को सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस का दर्जा दिया गया है. चिह्नित स्कूलों में एक जुलाई से कक्षाएं भी शुरू हो गयी हैं.

हरेक स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई के साथ-साथ प्ले ग्राउंड, कंप्यूटर लैब, साइंस लैब, लाइब्रेरी, स्मार्ट क्लासेस आदि जरूरी संसाधनाें पर चार-चार करोड़ से अधिक खर्च किये गये हैं. स्कूलों की आधारभूत संरचनाओं को दुरुस्त करने के लिए बाह्य स्वरूपों में बदलाव के साथ-साथ आंतरिक साज सज्जा भी किया गया है. स्कूलों में गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई सुनिश्चित कराने के साथ प्रत्येक बच्चों का विशेष ख्याल रखने के नाम पर नामांकन के लिए सीटों की संख्या में भी काफी कटौती की गयी है. मगर, सारी सुविधाएं मुहैया कराने के बावजूद शिक्षकों की कमी बच्चों की शिक्षा और उनके विकास में बाधक बन रही है.

स्कूलों ने अपने-अपने क्षेत्र के डीइओ से 150 शिक्षकों की भेजी डिमांड

कक्षाओं में उपस्थिति दर्ज कराने के बाद भी बच्चों की विषयवार पढ़ाई नहीं हो पा रही है. संताल परगना के सीबीएसइ मान्यता प्राप्त स्कूलों में टीजीटी व पीजीटी में संस्कृत, गणित, भौतिकी, इतिहास, नागरिक, भूगोल विषय के शिक्षक नहीं हैं. विषयवार शिक्षकों की कमी को दूर करने के लिए अंग्रेजी माध्यम के योग्यताधारी 150 से अधिक शिक्षकों की डिमांड भी विभिन्न जिलों में जिला शिक्षा पदाधिकारियों से की गयी है. हलांकि, अबतक इस डिमांड पर विचार भी किया जा रहा है. कहीं-कहीं जिला शिक्षा पदाधिकारी के स्तर से ही योग्य शिक्षकों से आवेदन भी मांगे गये हैं, कि क्या वे स्कूल ऑफ एक्सीलेंस में प्रतिनियोजित होना चाहते हैं.

बिना शिक्षकों के सरकारी स्कूलों में कैसे मिलेगी अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की उच्च गुणवत्ता

सीएम स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के लिए चयनित सरकारी विद्यालयों को सीबीएसइ का दर्जा मिलने के बाद अब यहां नामांकित बच्चों को अंग्रेजी मीडियम से पढ़ाई के लिए शिक्षकों की जरूरत है. परंतु, बिना शिक्षकों के इन स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की उच्च गुणवत्ता कैसे हासिल होगी. अभिभावकों को इंतजार है कि, जितनी तैयारी के साथ स्कूलों में उनके बच्चों का नामांकन लिया गया है, उनकी पढ़ाई भी वैसी ही अंग्रेजी माध्यम के प्राइवेट स्कूलों की तरह मिले. विभाग को इसके लिए गंभीर पहल करने की जरूरत होगी, जिससे यहां के बच्चे भी अंग्रेजी माध्यम से विषयों की पढ़ाई कर सकें.

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