Deoghar News: देवघर जिले में डेंगू और चिकनगुनिया के मामले लगातार सामने आ रहे हैं. इसके लिए एलाइजा जांच की सुविधा जिले में नहीं है. गौरतलब है कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा संदिग्ध मरीजों का सैंपल लेकर जांच के लिए रांची भेजा जाता है. प्राइवेट अस्पताल व क्लिनिक में रोजाना सैकड़ों मरीज बुखार, शरीर दर्द आदि की शिकायत लेकर पहुंचते हैं. ऐसे मरीजों को डॉक्टर डेंगू जांच करने की सलाह देते हैं और वहीं से निजी पैथोलॉजी की कमाई का खेल शुरू हो जाता है. डेंगू जांच के नाम पर निजी लैब लोगों से करोड़ों रुपये वसूल रहे हैं. दरअसल, यह सवाल इसलिए भी उठ रहा है क्याेंकि इस समय औसतन रोजाना 600 लोगों की डेंगू जांच पैथोलॉजी में हो रही है. इनमें से पिछले तीन माह में अबतक 187 मरीजों की ही जांच रिपोर्ट पॉजिटिव पायी गयी है. उसे भी स्वास्थ्य विभाग संदिग्ध मानते हुए सैंपल लेकर जांच के लिए रांची भेजा गया, जहां से अबतक 38 लोगों की ही जांच रिपोर्ट डेंगू पॉजिटिव मिली है. कुल मिलाकर जिले में पैथोलॉजी में होनी वाली जांच की एक फीसदी रिपोर्ट भी पॉजिटिव नहीं आ रही है.
करोड़ों की वसूली का गणित
गौरतलब है कि जिले में संचालित करीब 100 निजी पैथोलाॅजी जांच केंद्र है. जहां प्रतिदिन करीब छह से सात लोगाें की डेंगू की जांच की जाती है. ऐसे में औसतन 600 लोगों की जांच रोजाना होती है और हर मरीज से डेंगू जांच के लिए लैब वाले 800 रुपये से 1000 रुपये वसूलते हैं. औसतन 900 रुपये के हिसाब से जोड़ा जाये, तो रोजाना 600 लोगों की जांच में मरीजों से औसतन 5,40,000 रुपये निजी लैब वसूल रहे हैं. वहीं एक माह में यह आंकड़ा 1,62,00,000 रुपये पहुंच जा रहा है. ऐसे में कहा जा सकता है कि निजी लैब डेंगू जांच के नाम पर एक माह में औसतन डेढ़ करोड़ रुपये लोगों से वसूल रहे हैं.
निजी क्लिनिक के कमाई में चिकित्सकों का भी हाथ
देवघर में संचालित करीब 100 पैथोलाॅजी केंद्रों में प्रतिदिन 600 लोगों की जांच होती है, जिनमें सात से आठ लोगों को डेंगू बताया जाता है. यानी एक प्रतिशत लोगों को डेंगू बता कर इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग को दी जाती है. निजी क्लीनिक व पैथोलाॅजी के लिए करीब तीन माह से डेंगू जांच अतिरिक्त कमाई का बड़ा जरिया बन चुका है. जांच के नाम पर मोटी कमाई हो रही है. इसके लिए चिकित्सक भी कमीशन के लालच में मरीजों को लगातार डेंगू की जांच लिखकर अपना मुनाफा बढ़ाने में लगे हुए हैं
114 सैंपल की जांच में अबतक 38 पॉजिटिव
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार, जिले में निजी अस्पताल व पैथोलाजी सेंटरों द्वारा जुलाई माह से लेकर अबतक 187 लोगों की डेंगू की जांच के बाद पॉजिटिव बताते हुए स्वास्थ्य विभाग को इसकी रिपोर्ट भेजी गयी. इसके बाद स्वास्थ्य विभाग की ओर से 114 संभावितों की जांच के लिए टीम को भेज कर संदिग्ध मरीजों का दोबारा एलाइजा जांच के लिए सैंपलिंग करायी गयी व जांच के लिए भेजा गया. इसमें अबतक मात्र 38 लोगों को पॉजिटव बताया गया है, जबकि कुछ सैंपलिंग कराया गया है, जिसकी रिपोर्ट बुधवार को आयेगी. जांच रिपोर्ट में पॉजिटिव आये 38 लोगों में देवघर जिले के 29 लोगों में डेंगू बताया गया है, इसमें से 10 लोगों को चिकनगुनिया भी बताया गया है. वहीं दूसरे जिला व राज्य के नौ लोगों को डेंगू और इसमें से दो लोगों को डेंगू व चिकनगुनिया बताया गया है. इस कारण स्वास्थ्य विभाग पैथोलाजी सेंटरों में किट के माध्यम से की जा रही जांच को डेंगू मरीज नहीं मानता है.
बुखार के नाम सुनते ही चिकित्सक लिखत देते हैं डेंगू व मलेरिया की जांच
इन दिनों इलाज के लिए पहुंचने वाले लोगों में बुखार का नाम सुनते ही चिकित्सकों सबसे पहले डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, सीबीसी, एमपी, विडाल के साथ सीपीआर और सीआरपी जांच कराने की सलाह देते हैं. साथ ही जांच रिपोर्ट आने के बाद ही कोई दवा लिखने की बात कहते है. मरीज को बुखार की दवा ही दी जाती है. ऐसे में मरीजों को हर हाल में सभी प्रकार की जांच करानी पड़ती है. इन सभी प्रकार की जांच में मरीजों को करीब 3500 से 4000 रुपये खर्च हो जाते हैं.
800 से 1000 रुपये में होती है डेंगू जांच
निजी पैथोलाजी सेंटरों में डेंगू की जांच किट के माध्यम से की जाती है. इसके लिए मरीजों से पैथोलाजी वाले आठ सौ से एक हजार रुपये ले रहे हैं. एक पैथोलॉजी संचालक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि किट के माध्यम से डेंगू जांच में आइजीइ, आइजीएम, और एनएस वन की जांच की जाती है. इसके लिए आठ सौ से एक हजार रुपये लिये जाते है. इसमें किट की खरीदारी के साथ कई अन्य जगहाें पर कमीशन भी दिया जाता है. वहीं जांच की दर अलग-अलग होने पर भी सवाल उठ रहे हैं. इसके अलावा यदि बाहर में एलाइजा जांच करना है तो करीब 1500 से 1700 रुपये लिया जा रहा है.
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