दुमका जिला के कई थाने व थाने के पुलिस बैरक बेहद ही जर्जर स्थिति में है. हरवक्त अपराधियों की धर-पकड़ व अनुसंधान के लिए दौड़ते-भागते रहनेवाले पुलिसकर्मी अपने थाने में भी खुद को महफूज महसूस नहीं हैं. मसानजोर, रामगढ़, दुमका मुफ्फसिल, काठीकुंड, गोपीकांदर थाने के भवन हाल के वर्षों में बने हैं. दुमका नगर व मसलिया का थाना भवन बन कर तैयार है. फीता कटने का इंतजार है, लेकिन अन्य कई थाने में छज्जे-सिलिंग के प्लास्टर गिरते रहते हैं. एस्बेस्टस वाले क्वार्टर व बैरक हैं, जिनमें टूट-फूट से बारिश में पानी रिसता है, तो गर्मी व लू के दिनों में तथा हाड़ कंपकंपानेवाली ठंड में परेशानी बढ़ जाया करती है.
थाने के पुराने भवन में संचालित है इंस्पेक्टर कार्यालय: काठीकुंड. थाना परिसर स्थित इंस्पेक्टर कार्यालय व इंस्पेक्टर आवास की स्थिति अत्यंत जर्जर है. काठीकुंड थाना के पुराने भवन में ही वर्षों से से इंस्पेक्टर कार्यालय संचालित है. जर्जर इस भवन से हर रोज प्लास्टर झड़ते जा रहे हैं. इस कारण जोखिम के साथ कर्मी कार्यालय संबंधी कार्य करते हैं. थाना परिसर स्थित इंस्पेक्टर आवास भी जर्जर अवस्था में है, जहां जोखिम लेकर पदाधिकारी रहते है. थाना भवन व पुलिस कर्मियों के आवास को देखने से यह प्रतीत होता है कि लंबे समय से इन भवनों का रंग-रोगन नहीं किया गया है. कर्मियों के कुछ आवास के प्लास्टर भी झड़े दिखे.
अंग्रेज जमाने में बने रानीश्वर थाना भवन व क्वार्टर की स्थिति जर्जर है. मरम्मत नहीं होने से पुलिस कर्मियों को परेशानी हो रही है. 22 फरवरी 1945 में थाना बना था. उस समय रानीश्वर डाक-बंगला परिसर में थाना संचालित होता था. बाद में रघुनाथपुर में थाना शिफ्ट किये जाने के बाद यहां एडबेस्टस छत वाले भवन व क्वार्टर निर्माण कराया गया था. यहां थाना भवन के अलावा पुलिस पदाधिकारियों के लिए छोटे-बड़े पांच क्वार्टर हैं. सभी की स्थिति जर्जर है. वर्तमान में सात पदाधिकारी हैं. किसी तरह रहना पड़ता है. बारिश में पानी टपकता है. हालांकि यहां नये थाना बिल्डिंग निर्माण कराया जा रहा है. परिसर में बैरक की स्थिति भी ठीक नहीं है. क्वार्टरों की रंगाई पुताई पुलिस पदाधिकारी अपने स्तर से कराते हैं.
पुलिस पदाधिकारियों के आवासान की व्यवस्था नहीं
हंसडीहा. हंसडीहा में साढ़े तीन दशक पूर्व लगभग सहायक थाना का रूप देकर थाना कार्यालय का भवन बनाया गया था, जो कई वर्षों से का जर्जर की हालत में है. जनवरी 2016 में थाने का दर्जा मिला था. थाने में न तो कार्यालय का भवन है, न ही पुलिस पदाधिकारियों के आवासान की व्यवस्था. आठ पुलिस पदाधिकारियों के साथ दो पुलिसकर्मी तथा तीन टीम गार्ड के रूप में सशस्त्र बल हैं. गार्ड के भी रहने की सही व्यवस्था नहीं है. ओडी में पुलिस पदाधिकारियों को गैराज में बैठकर कर काम को निबटना पड़ रहा है. कई वर्ष पूर्व भवन निर्माण के कनीय अभियंता ने थाना के जर्जर भवन को ध्वस्त करने की बात कही थी. थाना दो राज्यों की सीमा पर होने की वजह से महत्ता और भी बढ़ जाती है.
दुमका शहर व मुफस्सिल क्षेत्र के सुरक्षा की जिम्मेदारी निभाने वाले पुलिसकर्मी ही असुरक्षा के बीच जीवन-यापन कर रहे हैं. पुलिस विभाग में आवास की कमी के कारण अधिकांश पुलिसकर्मी जर्जर क्वार्टरों में रहने को मजबूर हैं. हालांकि थाना भवन और क्वार्टर का निर्माण कराया गया है, जो पदाधिकारी और जवानों की संख्या के अनुसार कम है. नगर थाना परिसर में कुछ साल पहले विभाग की ओर से क्वार्टर का निर्माण कराया गया था, जो मरम्मत के अभाव में जर्जर होने की स्थिति में है. विभागीय पहल से नगर थाना भवन का निर्माण कराया गया है. जिसका उद्घाटन अब तक नहीं हुआ है. इसके उद्घाटन होने पर कुछ हद तक आवासन की समस्या का समाधान हो सकता है.
टोंगरा थाने की पुलिस बैरक हो चुकी है जर्जर
टोंगरा थाना प्रांगण में वर्षों पूर्व बने पुलिस बैरक जर्जर हो गया है, जर्जर बैरक दुर्घटना का न्योता दे रहा है. वहीं पुलिस पदाधिकारी के लिए बने क्वार्टर तत्काल काम चलने लायक है. एक-दो जगह खिड़की टूटी है. रंग-रोगन की आवश्यकता है. इधर दूसरी और करीब 25 वर्ष पूर्व बने पुलिस बैरक जर्जर अवस्था में है. निर्माण के बाद एक बार भी विभाग की ओर से मरम्मत कार्य नहीं हुआ है. बैरक में कई जगह छत के बड़े-बड़े प्लास्टर के हिस्सा नीचे गिर चुके हैं. बरसात में बैरक की छत से पानी टपकता है. पुलिस के जवान इसी जर्जर बैरक में रहने को मजबूर है. भय के साये में पुलिस जवान रह रहे हैं. शौचालय की भी अच्छी व्यवस्था नहीं है. स्नानागार की अच्छी व्यवस्था की जरूरत यहां है.
मसलिया थाना प्रांगण में नया भवन बनकर तैयार है. इसी माह उद्घाटन हो सकता है. वहीं पुराने भवनों की मरम्मत नहीं हो पायी है. वर्षों पूर्व बने पुलिस बैरक व क्वार्टर जर्जर हो गया है. जर्जर भवन दुर्घटना का न्योता दे रहे हैं.पुलिस पदाधिकारी के लिए दो क्वार्टर में एक करीब दस वर्ष पूर्व बना, तो दूसरा करीब 35 वर्ष पूर्व का बना हुआ है. निर्माण के बाद एक बार भी विभाग की ओर से मरम्मति कार्य नहीं हुआ है. पदस्थापित पदाधिकारी द्वारा ही समय समय पर रंग-रोगन कराया जाता रहा है. क्वार्टर की छत का प्लास्टर झड़ने लगा है. यहां का पुराना बैरक करीब 25 साल पूर्व का बना है, तो दूसरा नया करीब 7 साल पूर्व बना है. पुराना जर्जर पुलिस बैरक में पुलिसकर्मी मजबूरन रहते हैं.
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