देवघर में श्रावणी मेले की तैयारी के सिलसिले में बिजली विभाग कांवरिया पथ और मेला क्षेत्र में मेंटेनेंस का काम शुरू करेगा. इसके लिए विभाग ने योजना तैयार कर रखी है. हर दिन अलग-अलग क्षेत्र में अलग-अलग समय में काम होंगे. इस बार श्रावण मेला दो माह का और भादो एक माह का मेला होगा. इसके लिए बिजली का पुख्ता व्यवस्था करनी होगी. यह जानकारी देवघर विद्युत अंचल के अधीक्षण अभियंता अशोक कुमार उपाध्याय ने दी.
दुम्मा-दर्दमारा इलाके से शुरू होगा मेंटेनेंस वर्क
अभियंता अशोक कुमार उपाध्याय ने बताया कि फीडरवाइज शटडाउन लेकर काम होगा. लेकिन, विभाग की यह कोशिश होगी कि कम से कम समय में अधिक से अधिक काम किया जा सके. चूंकि गर्मी बहुत ज्यादा है और मेले के शुरू होने में समय भी कम है. प्लान के तहत कांवरिया पथ स्थित झारखंड बार्डर स्थित दुम्मा-दर्दमारा इलाके से मेंटेनेंस वर्क शुरू होगा.
5 जून से शुरू हो सकता है मेंटेनेंस वर्क
दरअसल, कांवरिया पथ इलाके में कांवरियों की पैदल यात्रा के दौरान समुचित रोशनी के लिए पथ किनारे दोनों ओर बिजली तारों को खींचने से लेकर कांवरियों के सेवा के लिए ज्यादा से ज्यादा स्थायी व अस्थायी सेवा शिविरें लगती हैं. इसके अलावा सरकारी स्तर पर ठहराव स्थल में रोशनी, कांवरियों को गर्मी व थकान से राहत पहुंचाने के लिए इंद्र वर्षा, वरुण वर्षा और स्नानागार के लिए और पेयजल के लिए पानी की जरूरत होती है. इन सारी जरूरतों के लिए निर्बाध बिजली की आपूर्ति आवश्यक है. विभाग ने मेंटेनेंस वर्क के लिए संभावित 5 जून की तिथि तय कर रखी है. इससे पहले आम लोगों को शटडाउन की जानकारी दी जायेगी.
लगाये जायेंगे 60-70 ट्रांसफार्मर
निर्बाध बिजली व्यवस्था के लिए पूरे मेला क्षेत्र में 60 से 70 ट्रांसफार्मर लगाये जायेंगे. इन ट्रांसफार्मरों में 100 केवी, 200 केवी के ट्रांसफार्मर ज्यादा होंगे, जो मेले के लिए कांवरिया पथ व मेला क्षेत्र में स्थापित किये जायेंगे.
बढ़ जाती है 10-15 मेगावाट बिजली की खपत
देवघर. अधीक्षण अभियंता ने बताया कि विश्वप्रसिद्ध श्रावणी मेला के दौरान लाखों की संख्या में शिवभक्त श्रद्धालु देवघर पहुंचते हैं. वे सभी यहां के सेवा शिविरों, होटलों, आश्रमों आदि में ठहरते हैं, जबकि कांवरिया पथ से लेकर बाबाधाम की सड़कों पर पैदल आवागमन करते हैं. उपरोक्त कारणों की वजह से देवघर में बिजली की खपत आम दिनों के मुकाबले बढ़ जाती है. सामान्य दिनों में जहां 55-60 मेगावाट बिजली की जरूरत होती है. वहीं श्रावणी मेले के दौरान 60 से 75 मेगावाट तक खपत पहुंच जाती है.