Jharkhand Cyber Crime News, Deoghar News, देवघर : देवघर जिले की पुलिस द्वारा साइबर अपराधियों के खिलाफ चलाये जा रहे अभियान से हड़कंप है. कुछ साइबर अपराधी घर छोड़कर करीब आधे किलोमीटर की दूरी पर टेंट लगाकर रह रहे थे. इस सूचना पर एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा ने एक विशेष टीम गठित कर जिले के बुढ़ई, करौं, पथरौल, मधुपुर और सारठ थाना क्षेत्र में छापेमारी करायी. इसमें 22 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया गया. इस बात की जानकारी एसपी श्री सिन्हा ने पत्रकारों को दी.
लगातार हो रही साइबर ठगी के मामले को गंभीरता से लेत हुए देवघर एसपी ने अभियान चलाया. इस अभियान के डर से साइबर अपराधी घर से दूर टेंट में छुप कर रह रहे हैं. इस दौरान पुलिस ने 22 साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. साइबर पुलिस ने देवघर के 5 थाना क्षेत्रों में छापेमारी कर इन साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया है. गिरफ्तार साइबर अपराधियों के पास से पुलिस ने 32 मोबाइल सहित 59 सिम कार्ड, 11 एटीएम कार्ड, 12 पासबुक तथा 2 चेकबुक बरामद किया गया है.
गिरफ्तार साइबर अपराधियों में गिरिडीह जिले के पचंबा थाना क्षेत्र अंतर्गत परयाना गांव निवासी सीताराम मंडल, आकेश मंडल, छोटू मंडल, बुढ़ैई थाना क्षेत्र के झिलुआ गांव निवासी मिथिलेश मंडल, रामप्रसाद मंडल, सुरेश मंडल, रामजीत मंडल, उपेंद्र मंडल, महेंद्र मंडल, करौं थाना क्षेत्र के धनियांडीह गांव निवासी मुन्ना यादव, अजय यादव, संदीप यादव, पाथरौल थाना क्षेत्र के बूढ़ीकुवां गांव निवासी भरत दास, महेंद्र दास, प्रवीण दास, संतोष यादव, धर्मेंद्र दास, मधुपुर के भेड़वा गांव निवासी हलधर दास, पाथरौल के जसोबांध गांव निवासी बसंत मंडल, मधुपुर थाना क्षेत्र के कॉलेज गली निवासी जाहिद अख्तर, विवेक दास और सारठ थाना क्षेत्र के नया खरना गांव निवासी पंकज दास शामिल है. एसपी ने बताया कि सीताराम, आकेश व छोटू की गिरफ्तारी आकेश के गांव बुढ़ैई के दरवे से हुई है. वहीं हलधर की गिरफ्तारी धर्मेंद्र के घर पाथरौल के बुढ़ीकुरा से और पंकज की गिरफ्तारी सारठ के महाराजगंज गांव से हुई.
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एसपी श्री सिन्हा ने बताया कि इस कांड में गिरफ्तार सीताराम मंडल का आपराधिक इतिहास रहा है. मधुपुर थाने के एक साइबर कांड में वह वर्ष 2018 में जेल गया था. फिलहाल वह जमानत पर है. वहीं गिरफ्तार जाहिद अंसारी साइबर अपराधियों को फर्जी बैंक खाता उपलब्ध कराता था और इसके बदले उसे 20 प्रतिशत कमीशन लेता था.
उन्होंने कहा कि साइबर आरोपी अलग-अलग तरीके से झांसे देकर लोगों की गाढ़ी कमाई उड़ा ले रहे हैं. पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि विभिन्न बैंकों के अधिकारी बनकर लोगों को कॉल कर वे लोग ठगी करते हैं. केवाइसी अपडेट का झांसा देकर बैंक की सारी जानकारी हासिल कर लोगों के खाते में रखे रकम को मिनटों में खाली कर देते हैं. फोन-पे, पेटीएम मनी रिक्वेस्ट भेजकर झांसे से ओटीपी लेने के बाद ठगी करते हैं.
इतना ही नहीं ये लोग गूगल सर्च इंजन पर विभिन्न इलेक्ट्रॉनिक एप की साइट पर जाकर उसमें भी अपना मोबाइल नंबर को ग्राहक अधिकारी के नंबर की जगह डाल देते हैं. कोई ग्राहक उस नंबर को ग्राहक सेवा अधिकारी का नंबर समझ कर डायल करते हैं और झांसे में आकर सभी जानकारी आधार नंबर आदि साझा कर देते हैं. इसके बाद उन नंबरों के लिंक खाते को वे लोग मिनटों में साफ कर देते हैं. टीम व्यूवर, क्विक सपोर्ट जैसे रिमोट एक्सेस एप इंस्टॉल कराकर गूगल पर मोबाइल का पहला चार डिजिट नंबर सर्च करते हैं और खुद से छह डिजिट जोड़कर रेंडमली साइबर ठगी करते हैं. यूपीआइ वॉलेट से ठगी किये ग्राहकों को पुन: एकाउंट में रिफंड का झांसा देकर पीड़ित के रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर में कुछ जोड़कर वर्चुअल फर्जी एकाउंट बनाने के बाद यूपीआइ पिन लॉग इन कराकर भी ठगी कर रहे हैं.
Posted By : Samir Ranjan.