Jharkhand News (देवघर) : देवघर एम्स के द्वितीय वार्षिक समारोह में झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने शिरकत की. इस दौरान राज्यपाल श्री बैस ने कहा कि स्वास्थ्य व्यवस्था में अति पिछड़े इलाके के लिए देवघर एम्स उम्मीद की किरण बनकर आया है. स्वास्थ्य के क्षेत्र में एम्स पर लोगों का अटूट विश्वास है. बड़े-बड़े नामी हॉस्पिटल हो सकते हैं, लेकिन विश्वसनीयता के मामले में आज भी एम्स का जोड़ नहीं है.
देवघर के PTI स्थित ऑडिटोरियम में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए राज्यपाल श्री बैस ने कहा कि भारत के डॉक्टरों का विदेशों में बहुत सम्मान है. विदेश के लोग भारतीय डॉक्टर्स पर बहुत विश्वास करते हैं. यदि ऑपरेशन कराना हो, तो विदेश में वहां के डॉक्टरों से लोग ऑपरेशन कराने से हिचकिचाते हैं, लेकिन जब उन्हें पता चलता है कि डॉक्टर भारतीय हैं, तो बिना डरे वो ऑपरेशन करा लेते हैं. इसलिए एम्स में जितने भी लोग मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं, अच्छे डॉक्टर बनें और विश्व में फैल कर भारत का नाम रोशन करें.
राज्यपाल ने मेडिकल स्टूडेंट्स से कहा कि डॉक्टरों में पेसेंस का होना बहुत जरूरी है. जिस डॉक्टर में पेसेंस नहीं है, वह सफल नहीं हो सकता है. इसलिए एम्स से आप जब पढ़कर निकलेंगे, तो उसकी विश्वसनीयता को बनाये रखें और स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमेशा उत्कृष्ट करने की सोच रखें.
उन्होंने कहा कि जब कोई पेसेंट डॉक्टर के पास जाता है, तो परिजनों के लिए डॉक्टर भगवान का रूप होते हैं. क्योंकि परिजन समझते हैं कि मरीज की जिंदगी को ये ही लौटा सकते हैं. हर डॉक्टर भी चाहता है कि उसका मरीज ठीक हो जाये, लेकिन दुर्भाग्यवश कभी-कभी मरीज की मौत भी हो जाती है. तब वही परिजन जो डॉक्टर को भगवान समझते हैं, उन्हें मारने पर उतारू हो जाते हैं.
उन्होंने कहा कि मेडिकल की पढ़ाई में MBBS का आज कोई महत्व नहीं है. जब तक आप PG नहीं करेंगे, तब तक आगे बढ़ना मुश्किल होगा. देख रहे हैं कि आज के दौर में कई प्राइवेट मेडिकल कॉलेज हैं, जो पीजी के लिए लंबी चौड़ी फीस की मांग करते हैं जिसे गरीब अभिभावक देने में सक्षम नहीं हैं. इसलिए अटल जी जब पीएम थे, उन्होंने कहा था कि भारत विकासशील देश है. यहां अच्छी शिक्षा, अच्छी स्वास्थ्य व्यवस्था, अच्छी सड़क का होना बहुत जरूरी है.
उनके विजन का ही नतीजा है कि आज 6 लेन सड़कें पूरे देश में बनी. एम्स की स्थापना हर राज्य में हो ये कांसेप्ट भी अटल जी के कार्यकाल में ही आया. इसलिए उनकी इस सोच और विजन और आधारभूत संरचना को डेवलप करने का जो सपना उन्होंने देखा था, जो आज धरातल पर उतर रहा है, इसके लिए अटल दी को धन्यवाद देता हूं.
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राज्यपाल श्री बैस ने कहा कि जब वे अटल जी कैबिनेट में मंत्री थे, वर्ष 2001 में सुषमा स्वराज्य हेल्थ मिनिस्टर थीं. एक बार हमलोग किसी पेसेंट को देखने दिल्ली एम्स गये. वहां देश के कोने-कोने से लोगों को देखा, कैसे परेशान थे. मरीज तो दिक्कत में थे ही. उनके परिजनों को काफी परेशानी होती है. जब हमलोग एम्स से लौट कर आये तो चर्चा हुई. मैंने सुषमा स्वराज जी से कहा कितना बुरा हाल है एम्स में देखा आपने. इसलिए कि एम्स में बेहतर इलाज के लिए लोग आते हैं.
यदि देश के चारों कोने में एम्स बना दें, तो इन मरीजों को दिल्ली नहीं आना पड़ेगा. तब पहली बार रायपुर में मेरे लोकसभा क्षेत्र में एम्स स्वीकृत हुआ. उसके बाद तो नीतिश जी ने बिहार के एम्स मांगा. देखते-देखते कई और सांसदों ने एम्स की मांग की. उस वक्त अटल जी के कार्यकाल में 6 एम्स की स्वीकृति मिली थी.
इसके अलावा 7 सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल स्वीकृत हुआ था. 100 करोड़ की लागत से एक एम्स का निर्माण होना था. इसके बाद अटल जी की सरकार चुनाव के बाद फिर नहीं बन पायी. 10 सालों तक एम्स का निर्माण रुका रहा. बाद में सभी सांसदों ने मिल कर पीएम पर दबाव बनाया. तब काम शुरू हुआ.
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समारोह में राज्यपाल रमेश बैस ने एम्स मेडिकल कॉलेज के अस्मित अग्रवाल को बेस्ट स्टूडेंट ऑफ इयर का अवार्ड दिया. यह पुरस्कार श्री अग्रवाल को ओवर ऑल परफॉरमेंस के आधार पर दिया गया है.
इससे पूर्व देवघर एम्स के डायरेक्टर डॉ सौरभ वार्ष्णेय ने स्वागत भाषण दिया. देवघर एम्स के अध्यक्ष एनके अरोड़ा, संयुक्त सचिव स्वास्थ्य विभाग PMSSY भारत सरकार निलांबर शरण ने समारोह को संबोधित किया. मंच संचालन डॉ ऋचा ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ सत्यरंजन पात्रा ने किया.
समारोह में विधायक नारायण दास, सचिव देवाशीष भूषण, संताल परगना के कमिश्नर चंद्र मोहन प्रसाद कश्यप, डीआइजी सुदर्शन प्रसाद मंडल, देवघर डीसी मंजूनाथ भजंत्री, एसपी धनंजय कुमार सिंह और ऑनलाइन वर्चुअल जुड़ने वालों में धनबाद के सांसद पीएन सिंह, संयुक्त सचिव PMSSY स्वास्थ्य विभाग निलांबर शरण, एम्स देवघर के अध्यक्ष एनके अरोड़ा आदि मौजूद थे.
Posted By : Samir Ranjan.