Jharkhand News (देवघर) : देवघर में मनरेगा एक्ट का सही तरीके से पालन नहीं हो रहा है. पिछले 3 साल से देवघर में मनरेगा की जिलास्तरीय जनसुनवाई तक नहीं हो पायी है. पंचायतों व प्रखंडों से प्राप्त करीब 300 मनरेगा की गड़बड़ियों के मामले जिले में पेंडिंग चल रही है, जिसकी सुनवाई नहीं हो पा रही है.
जिलास्तरीय सोशल ऑडिट टीम की रिपोर्ट के अनुसार, देवघर जिले में मनरेगा के अंतर्गत वर्ष 2018-19 में 110 पंचायतों में सोशल ऑडिट यूनिट द्वारा सोशल ऑडिट का कार्य किया गया. इसमें पंचायत व प्रखंड स्तरीय जनसुनवाई संपन्न हो चुकी थी.
प्रखंड स्तरीय कई गड़बड़ियों व कार्रवाई का केस जिलास्तर पर सुनवाई के लिए अनुशंसा कर दी गयी थी. लेकिन, अभी तक जिलास्तरीय जनसुनवाई नहीं हो पायी. वर्ष 2019-20 में देवघर जिले में मनरेगा के अंतर्गत एक भी पंचायत में सोशल ऑडिट कार्य नहीं हो पाया.
वर्ष 2020-21 में जिले के कुल 6 प्रखंड के 114 पंचायतों में सोशल ऑडिट कर जनसुनवाई पूरी कर ली गयी, लेकिन शेष पंचायतों में सोशल ऑडिट कार्य आगे नहीं बढ़ पाया. बीच में ही विभाग के अधिकारियों के निर्देश पर सोशल ऑडिट को स्थगित कर दिया गया. ऐसे में जिन 114 पंचायतों में प्रखंड स्तर पर जनसुनवाई की अनुशंसा की गयी, उन प्रखंडों में जनसुनवाई भी नहीं हो पायी.
ऐसी परिस्थिति में जिलास्तरीय जनसुनवाई नहीं होने से मनरेगा में हुई गड़बड़ियों पर रिकवरी समेत कर्मियों पर जुर्माना लगाने एवं गबन पर प्राथमिकी की कार्रवाई नहीं हो पा रही है. इससे योजना के पारदर्शिता पर सवाल खड़ा हो रहा है. मनरेगा एक्ट के तहत जनसुनवाई एक अनिवार्य प्रावधान है. इससे मनरेगा की जो भी योजनाएं अधूरी रह गयी है, उसे पूरा करने का अवसर मिलता है. साथ ही मजदूरों से वंचित रहने वाले मजदूरों को भुगतान भी मिलता है.
Posted By : Samir Ranjan.