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चोरी हो गई थी बाबा बैद्यनाथ धाम में दीप्तिमान सूर्य नारायण की मूर्ति, वैदिक विधि से होती है इनकी पूजा

बाबा बैद्यनाथ मंदिर प्रांगण में बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, मां पार्वती सहित विभिन्न देवी-देवताओं के कुल 22 मंदिर अवस्थित हैं. मंदिरों का अपना पौराणिक इतिहास व महत्ता है. भक्ति से ओत-प्रोत हर एक मंदिर की जानकारी आपको दी जायेगी. आज पढ़ें सूर्य नारायण मंदिर के बारे में...

Baba Dham Deoghar: देवघर के बाबा मंदिर में स्थित सभी 22 देवी देवताओं का अलग अलग महत्व है. सभी मंदिरों का अपना पौराणिक इतिहास व महत्ता है. इनके निर्माण व निर्माणकर्ता के बारे में रोचक कहानियां हैं. सावन के पहले दिन हमने आपको मां पार्वती मंदिर के बारे, दूसरे दिन मां जगतजननी व मां संकष्टा मंदिर, तीसरे दिन भगवान गणेश मंदिर, चौथे दिन मां संध्या मंदिर, पांचवे दिन चतुर्मुखी ब्रह्मा मंदिर, छठे दिन महाकाल भैरव मंदिर, सातवें दिन भगवान हनुमान के मंदिर, आठवें दिन मां मनसा मंदिर, नौवें दिन मां सरस्वती मंदिर और दसवें दिन बगलामुखी मंदिर के बारे में जानकारी दी. आज हम आपको सूर्य नारायण मंदिर के बारे में बताएंगे.

अन्य मंदिरों से छोटी और अलग है इसकी बनावट

ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर के प्रांगण में सृष्टि को प्रकाश देने वाले भगवान सूर्य की पूजा का अलग महत्व है. सूर्य नारायण के मंदिर में भक्त पूजा करने के लिए घंटों कतार में लग कर नारायण की पूजा करते हैं. इस मंदिर का निर्माण पूर्व सरदार पंडा स्वर्गीय श्रीश्री रामदत्त ओझा ने 1782 – 1793 के बीच कराया था. यह मंदिर मुख्य मंदिर के दक्षिण पश्चिम कोने की तरफ स्थित है. सूर्य नारायण के मंदिर की लंबाई लगभग 15 फीट व चौड़ाई लगभग 25 फीट है. सूर्य नारायण के मंदिर पर शिखर नहीं है. यह गुंबद रहित मंदिर है. इसके ऊपर पंचशूल नहीं है. इस मंदिर की बनावट अन्य मंदिरों से छोटी व अलग है.

चोरी हो गयी थी भगवान सूर्य नारायण की अतिप्राचीन मूर्ति

इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए मंदिर प्रांगण से भक्त सूर्य नारायण के प्रांगण में पहुंचते है. सामने पीतल के दरवाजे को भक्त प्रणाम कर सिर झुका कर गर्भ गृह में पहुंचते हैं. जहां भगवान आदित्य, सूर्य नारायण की भव्य मूर्ति दर्शन होते हैं. जहां भगवान सूर्य नारायण कमल पर आसन मुद्रा में काले पत्थर की मूर्ति के रूप स्थापित हैं. 1967 -68 के दौरान भगवान सूर्य नारायण की अतिप्राचीन मूर्ति चोरी हो गयी थी. इसके उपरांत सरदार पंडा स्वर्गीय श्रीश्री भवप्रीतानंद ओझा द्वारा नयी मूर्ति स्थापित की गयी.

यहां वैदिक विधि से होती है भगवान सूर्य की पूजा

यहां पर भक्त व पुजारी सभी के लिए प्रवेश व निकास द्वार का एक ही रास्ता है. इस मंदिर में ठाकुर परिवार की ओर से सूर्य नारायण की पूजा की जाती है. प्रत्येक रविवार को भगवान सूर्य नारायण की विशेष पूजा की जाती है. यहां पर भगवान सूर्य नारायण की वैदिक विधि से पूजा की जाती है. यहां भक्तों सालों भर सूर्य नारायण की पूजा कर सकते हैं. कार्तिक मास शुक्ल पक्ष सप्तमी के छठ पूजा में अर्ध डालने के बाद भक्त भगवान सूर्य नारायण की पूजा करते हैं. इस मंदिर में प्रवेश करते ही तीर्थ पुरोहित ठाकुर परिवार के वंशज सूर्य नारायण के प्रांगण में अपने यजमान को संकल्प पूजा कराने के लिए अपने गद्दी पर रहते हैं.

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