देवघर, राजीव रंजन : झारखंड में कुष्ठ उन्मूलन के लिए स्वास्थ्य विभाग लगातार अभियान चला रहा है और नये कुष्ठ मरीजों की पहचान और इलाज के लिए पूरा स्वास्थ्य महकमा लगा हुआ है. स्वास्थ्य विभाग ने 2022-23 में चलाये गये अभियान के बाद नये मरीजों को लेकर आंकड़े जारी किये हैं, जो चिंता करने वाले हैं. अभियान के तहत राज्य में 7169 नये कुष्ठ मरीजों की पहचान हुई है, जिसमें सबसे अधिक देवघर जिले में 609 नये मरीज मिले हैं. साल 2021-22 में भी 411 मरीजों के मिलने के साथ देवघर पहले स्थान पर रहा था. इस तरह, देवघर में पिछले साल के वनिस्पत इस साल कुष्ठ के 198 नये मरीज पाये गये. इनमें पॉसीबैसिलरी ( पीबी ) 336 और मल्टी बैसीलरी ( एमबी ) केटेगरी के 273 मरीज शामिल हैं.
दूसरे स्थान पर गोड्डा और तीसरे पर सरायकेला जिला
राज्य भर में चलाये गये इस अभियान के तहत में दूसरे स्थान पर गोड्डा जिला में 562 और तीसरे स्थान पर सरायकेला 561 कुष्ठ रोगियों की पहचान हुई. हालांकि, स्वास्थ्य विभाग द्वारा नये मरीजों की खोज कर उसका इलाज किया जाता है. स्वास्थ्य विभाग द्वारा मरीजों का इलाज चल रहा है. साथ ही विभाग की ओर से मरीजों को देखभाल के लिए एमसीआर चप्पल और किट भी दिये जा रहे हैं.
जिले में पांच सालों के अंतराल में घटता बढ़ता रहा है कुष्ठ के मरीजों की संख्या
स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जिले में पांच सालों के अंतराल में नये कुष्ठ मरीजों की संख्या घटती-बढ़ती जा रही है. विभाग का कहना है कि नये कुष्ठ मरीजों की खोज कर उसका इलाज कर रहे हैं, ताकि जिले से कुष्ठ को मिटाया जा सके.
सारवां प्रखंड में सबसे अधिक मिलते हैं मरीज
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार सारवां प्रखंड क्षेत्र में सबसे अधिक कुष्ठ मरीजों की पहचान होती है. विभाग के अनुसार बीते साल भी सारवां प्रखंड क्षेत्र में 72 नये कुष्ठ मरीजों की पहचान हुई थी, जबकि इस साल भी 105 नये कुष्ठ मरीजों की पहचान हुई है. वहीं, मोहनपुर 104 और जसीडीह 104 नये कुष्ठ मरीजों की पहचान हुई है.
कैसे होता है कुष्ठ
कुष्ठ रोग एक क्रोनिक संक्रमण है, जो कि जीवाणु माइकोबैक्टीरियम लेप्री के कारण से होता है. ये बीमारी हाथ-पांव, त्वचा, नाक की परत और ऊपरी श्वसन पथ की नसों को प्रभावित करता है.
कैसे फैलती है बीमारी
लेप्रोसी की बीमारी माइकोबैक्टेरियम लैप्री नाम के बैक्टीरिया के कारण होती है. यह बीमारी किसी संक्रमित व्यक्ति के स्राव के संपर्क में आने से फैल सकती है. मरीज के खांसने या छींकने से इसके बैक्टीरिया हवा में फैलकर यह दूसरे व्यक्ति को संक्रमित कर सकते हैं. किसी बीमार मरीज के साथ लंबे समय तक लगातार संपर्क में रहने से लेप्रोसी की बीमारी हो सकती है. यह रोग व्यक्ति के विभिन्न अंगों को डैमेज कर सकता है.
क्या है इसका इलाज
लक्षण दिखने पर तुंरत स्वास्थ्य विभाग से संपर्क कर इलाज करायें. विभाग नि:शुल्क इलाज के साथ दवा दे रही है. इससे बचाव के लिए किसी मरीज के साथ लगातार और लंबे समय तक संपर्क में नहीं रहे. कुष्ठ के इलाज के लिए मल्टी ड्रग थेरेपी से भी इलाज किया जाता है.
कब कितने मरीजों की हुई पहचान
साल : पीबी : एमबी : कुल
2018-19 : 217 : 196 : 413
2019-20 : 324 : 232 : 556
2020-21 : 187 : 197 : 384
2021-22 : 230 : 181 : 411
2022-23 : 336 : 273 : 609
2022-23 में देवघर के किस प्रखंड में कितने मरीजों की हुई पहचान
प्रखंड : पीबी : एमबी : कुल
करौं : 15 : 27 : 42
सारठ : 35 : 19 : 53
मधुपुर : 41 : 24 : 65
मोहनपुर : 59 : 45 : 104
सारवां : 62 : 43 : 105
पालोजोरी : 19 : 25 : 44
देवीपुर : 42 : 22 : 64
जसीडीह : 49 : 55 : 104
शहरी : 14 : 13 : 27
कुष्ठ मरीजों का इलाज संभव : डॉ मनोज गुप्ता
इस संबंध में देवघर जिला कुष्ठ निवारण पदाधिकारी डॉ मनोज गुप्ता ने कहा कि जिले में कुष्ठ मरीज अधिक हैं. वैसे मरीजों को स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी खोज कर निकाल रहे हैं, ताकि उसका इलाज हो सके.साथ ही कर्मचारी अधिक कार्य कर रहे हैं. कुष्ठ मरीजों का इलाज संभव है. लोगों में जागरूकता भी आयी है. इस कारण मरीजों की संख्या में इजाफा हुआ है.