Baba Dham Deoghar: देवघर के बाबा मंदिर में स्थित सभी 22 देवी देवताओं का अलग अलग महत्व है. सभी मंदिरों का अपना पौराणिक इतिहास व महत्ता है. इनके निर्माण व निर्माणकर्ता के बारे में रोचक कहानियां हैं. सावन के पहले दिन हमने आपको मां पार्वती मंदिर के बारे, दूसरे दिन मां जगतजननी व मां संकष्टा मंदिर, तीसरे दिन भगवान गणेश मंदिर, चौथे दिन मां संध्या मंदिर, पांचवे दिन चतुर्मुखी ब्रह्मा मंदिर, छठे दिन महाकाल भैरव मंदिर, सातवें दिन भगवान हनुमान के मंदिर, आठवें दिन मां मनसा मंदिर, नौवें दिन मां सरस्वती मंदिर, दसवें दिन बगलामुखी मंदिर और ग्यारहवें दिन सूर्य नारायण मंदिर के बारे में जानकारी दी. आज हम आपको राम, सीता, लक्ष्मण मंदिर के बारे में बताएंगे.
ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर व इनके प्रांगण की सभी मंदिरों का पौराणिक महत्व है. भगवान विष्णु के अवतार होने के साथ शिव के 11वें रुद्रअवतार हनुमान को राम का सबसे बड़ा भक्त माना गया है. इन दोनों का एक साथ एक जगह होने से इस मंदिर का अलग महत्व है. जहां भक्त पूजा करने के लिए घंटों कतार में लग कर भगवान राम, सीता, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न व हनुमान की पूजा करते हैं. इस मंदिर का निर्माण पूर्व सरदार पंडा स्वर्गीय श्रीश्री रामदत्त ओझा ने 1782 से 1792 के बीच कराया था. यह मंदिर मुख्य मंदिर के पीछे पश्चिम की तरफ स्थित है. इस मंदिर से राम के साथ हनुमान की पूजा का महत्व है.
राम मंदिर की लंबाई लगभग 60 फीट व चौड़ाई लगभग 35 फीट है. राम मंदिर के शिखर पर पहले तांबे का कलश स्थापित है. इसके ऊपर पंचशूल भी लगा है. इस मंदिर की बनावट अन्य मंदिरों से अलग है. इस मंदिर के बाहरी ओर के चारों तरफ तीन-तीन हनुमान जी की आकृति बनी है. इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए मंदिर प्रांगण से सर्वप्रथम दो सीढ़ियों को पार करके भक्त राम सीता के प्रांगण में पहुंचते है. सामने पीतल के दरवाजे को भक्त प्रणाम कर गर्भ गृह में पहुंचते हैं. जहां राम के साथ दो मूर्तियों के दर्शन होते हैं. बीच में भगवान राम उनके चरण के पास भरत व शत्रुघ्न. भगवान राम की मूर्ति बायीं ओर मां सीता की मूर्ति व दायीं ओर लक्ष्मण के साथ हनुमान की मूर्ति है. जहां भगवान राम सीता व लक्ष्मण की मूर्ति खड़ी मुद्रा की काले पत्थर की बनी मूर्ती स्थापित है.
यहां पर भक्त व पुजारी सभी के लिए प्रवेश व निकास द्वार का एक ही रास्ता है. इस मंदिर में ओझा परिवार मंदिर स्टेट की ओर से पूजा की जाती हैं. यहां पर भगवान राम सीता व लक्ष्मण की वैदिक विधि से पूजा की जाती है. भक्त सालों भर भगवान की पूजा कर सकते हैं. लेकिन चैत्र शुक्ल पक्ष रामनवमी को पूजा का अलग महत्व है. इस दिन मंदिर स्टेट की ओर से विशेष पूजा की जाती है. इसके अलावा फलाहारी परिवार के द्वारा रामनवमी के दिन भगवान की विशेष पूजा व महाश्रृंगार किया जाता है. इस मंदिर में प्रवेश करते ही फलाहारी परिवार के वंशज भगवान राम मंदिर के प्रांगण में अपने यजमान को संकल्प पूजा कराने के लिए अपने गद्दी पर रहते हैं.