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देवघर बाबा मंदिर में ऋद्धि व सिद्धि के साथ विराजमान हैं प्रथम पूज्य भगवान गणेश, वैदिक विधि से की जाती है पूजा

बाबा बैद्यनाथ मंदिर प्रांगण में बाबा बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, मां पार्वती सहित विभिन्न देवी-देवताओं के कुल 22 मंदिर अवस्थित हैं. मंदिरों का अपना पौराणिक इतिहास है. इनके निर्माण के बारे में रोचक कहानियां हैं. हर एक मंदिर की आपको जानकारी दी जायेगी. आज पढ़ें प्रथम पूज्य भगवान गणेश के बारे में...

Deoghar Baba Mandir: बाबा बैद्यनाथ मंदिर प्रांगण की सभी मंदिरों का पौराणिक महत्व है. इनमें सर्वाधिक महत्व बाबा की पूजा के पहले बाबा भोलेनाथ के पुत्र भगवान गणेश की पूजा का है. जहां भक्त पूजा करने के लिए भक्त घंटों इंतजार करते है. यहां भगवान गणेश, ऋद्धि व सिद्धि के साथ विराजमान हैं. इस मंदिर का निर्माण लगभग 1763 में पूर्व सरदार पंडा स्वर्गीय श्रीश्री टीकराम ओझा ने कराया था. भगवान गणेश के मंदिर की बनावट अन्य मंदिरों से अलग है. यह मुख्य मंदिर के सामने पुरब व दक्षिण की ओर है. मां संध्या मंदिर व मां जगत जननी मंदिर के बीच स्थित है. इसके शिखर की लंबाई लगभग 40 फीट व चौड़ाई 30 फीट है.

भगवान गणेश के शिखर पर तांबे का कलश है. इसके ऊपर पंचशूल लगा है. शिखर के गुंबद के नीचे नीले रंग से रंगा हुआ है. इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए मंदिर प्रांगण से तीन सीढ़ियां पार करके भक्त भगवान गणेश के प्रांगण में पहुंचते हैं. सामने के दरवाजे को भक्त प्रणाम कर सिर झुका कर गर्भगृह में प्रवेश करते हैं. जहां भगवान गणेश की मनोहारी, आकर्षक कसौटी पत्थर की काले रंग की मूर्ति स्थापित है. यह मूर्ति दो फीट ऊंची है. यहां पर भगवान गणेश की वैदिक विधि से पूजा की जाती है.

मंदिर स्टेट की ओर से भगवान गणेश की वार्षिक पूजा पूरे विधि विधान से षोडशोपचार उपचार विधि से की जाती है. इस अवसर पर भगवान गणेश को तरह तरह के भोग, मिठाईयां, फल, मूल, मोदक व दुर्वा चढ़ाया जाता है. इसके अलावा गणेश मंदिर के प्रांगण में बैठने वाले तीर्थ पुरोहितों की ओर से भी पूजा अर्चना की जाती है. इस मंदिर में प्रवेश करते ही जजवाडे़ पंडा के वंशज, गंगाराम पंडा परिवार के वंशज, महावीर पंडा के वंशज, दुरंगी पंड़ा के वंशज व भरत पंडा के वंशज गणेश मंदिर के प्रांगण में अपने यजमान को संकल्प पूजा कराने के गद्दी पर रहते हैं.

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