Shravani Fair, Deoghar News : देवघर : फेडरेशन ऑफ झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के संताल परगना प्रक्षेत्र के उपाध्यक्ष आलोक कुमार मल्लिक ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से श्रावणी मेला होगा या नहीं, इसको लेकर सरकार का रूख स्पष्ट करने की मांग की है. फेडरेशन ने कहा कि श्रावणी मेला दो राज्य झारखंड और बिहार का मसला है. इसलिए मेला होना है, तो झारखंड और बिहार दोनों ही राज्य मिल कर जल्द निर्णय लें.
उन्होंने कहा है कि 5 जुलाई, 2020 से सावन माह शुरू होने वाला है. इस महीने सदियों से श्रावणी मेला का आयोजन होता है. इस मेले से झारखंड- बिहार के भागलपुर, मुंगेर, बांका, देवघर और दुमका जिले के लाखों लोग आर्थिक गतिविधियां एवं रोजगार से जुड़े होते हैं. इसमें पूरे देश से लाखों श्रद्धालु कांवर यात्रा करते हैं.
यह आस्था का मेला है. ऐसे में मात्र 10-12 दिन बाद ही सावन महीना शुरू होगा, लेकिन अब तक सरकार के स्तर पर कोई ठोस निर्णय नहीं आया है. इस वर्ष कोरोना संक्रमण काल की स्थिति में चेंबर सीमित स्तर पर श्रावणी मेला आयोजन के पक्षधर है. फिर भी सरकार के स्तर पर लिए गये निर्णय का सम्मान किया जायेगा.
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केंद्रीय गृह मंत्रालय के निर्देशानुसार पूरे देश में धार्मिक स्थलों को खोला जा सकता है, लेकिन झारखंड में बाबा बैद्यनाथ और बासुकीनाथ मंदिर को 30 जून, 2020 तक नहीं खोलने का निर्णय लिया गया है. 30 जून, 2020 के 5 दिन बाद ही सावन महीना शुरू हो रहा है. इस अवसर पर श्रद्धालुओं का देवघर आगमन संभव है. ऐसे में अभी से बाबा मंदिर खोल कर सीमित संख्या में श्रद्धालुओं के जलार्पण का माॅक अभ्यास कराया जाना चाहिए.
चूंकि यह मेला सिर्फ एक राज्य का मेला नहीं है, बल्कि पूरे देश के श्रद्धालुओं की आस्था और कांवर यात्रा कामामला है. दो राज्य बिहार और झारखंड सरकार को मेले की पूरी व्यवस्था करनी होती है. इसलिए अविलंब झारखंड सरकार को इस पर निर्णय लेना चाहिए तथा पड़ोसी राज्य बिहार के साथ कोर्डिनेशन बैठक करनी चाहिए. इस संबंध में कोई भी निर्णय दोनों राज्यों की सहमति से होना आवश्यक है.
अगर मेला नहीं करने का भी निर्णय है, तो भी बिहार के साथ इस पर व्यापक विचार- विमर्श किये जाने की जरूरत है. साथ ही दोनों राज्यों में इसका भरपूर प्रचार-प्रसार किये जाने की जरूरत है. एकतरफा निर्णय से स्थितियां प्रतिकूल होगी प्रतिकूल परिस्थितियों में देवघर तथा बासुकीनाथ मंदिर में जलार्पण की अनुकूल व्यवस्थाओं का विकल्प बनाकर रखा जाना चाहिए.
सीमित संख्या में ही सही यात्रियों के लिए देवघर में अविलंब व्यवस्था तथा तैयारी शुरू किया जाना चाहिए. झारखंड उच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं पर कुछ भी फैसला आ सकता है और हमें सभी परिस्थितियों के लिए तैयार रहना चाहिए.
आर्थिक और व्यापारिक दृष्टिकोण से मेला नहीं होने पर क्षेत्र के लोगों की आर्थिक स्थिति चरमरा जायेगी. हजारों लोगों के सामने पहले कोरोना और अब श्रावणी मेला न होने के कारण भुखमरी की स्थिति हो जायेगी और समस्याएं विकराल होगी. कुछ सीमित लोगों जैसे मात्र पुरोहितों को कांवर यात्रा की अनुमति जैसे कदम से लोगों में व्यापक असंतोष उत्पन्न होंगे. ऐसे किसी निर्णय से सरकार को बचा जाना चाहिए.
Posted By : Samir ranjan.