नयी दिल्ली (ब्यूरो) : सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना संकट को देखते हुए देवघर में श्रावणी मेला का आयोजन करने की मंजूरी देने से शुक्रवार को इन्कार कर दिया. न्यायाधीश अरुण मिश्रा, न्यायाधीश बीआर गवइ और न्यायाधीश कृष्ण मुरारी की खंडपीठ झारखंड हाइकोर्ट द्वारा मेले का आयोजन नहीं कराने के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
खंडपीठ ने हाइकोर्ट के फैसले पर रोक लगाने से इन्कार करते हुए कहा कि झारखंड सरकार लॉकडाउन में छूट को देखते हुए धार्मिक स्थलों को खोलने पर विचार कर सकती है, लेकिन इसके लिए सामाजिक दूरी और अन्य दिशा-निर्देशों का ध्यान रखने की जरूरत है.
भारतीय जनता पार्टी के सांसद निशिकांत दुबे ने सामाजिक दूरी का पालन करते हुए बैद्यनाथ धाम में वार्षिक मेले के आयोजन की इजाजत देने की मांग करते हुए हाइकोर्ट के वर्चुअल दर्शन के फैसले को चुनौती दी थी. याचिकाकर्ता के वकील समीर मलिक ने खंडपीठ को कहा कि 30 हजार पुजारियों को मंदिर जाने की इजाजत है, लेकिन भक्तों को नहीं.
इस पर न्यायाधीश अरुण मिश्रा ने कहा कि ऐसा व्यवहार क्यों हो रहा है और झारखंड सरकार के वकील सलमान खुर्शीद से आधे घंटे में इसका जवाब देने को कहा. न्यायाधीश मिश्रा ने कहा कि ई-दर्शन और वास्तविक दर्शन में अंतर है.
इस पर सलमान खुर्शीद ने कहा कि राज्य सरकार ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सभी धार्मिक स्थलों को बंद करने का फैसला लिया है और बढ़ते मामलों को देखते हुए मंदिर के खोलने का कोई सवाल नहीं है. खुर्शीद ने खंडपीठ को बताया कि राज्य में 31 अगस्त तक लॉकडाउन है और मेला के दो दिन पहले पूर्व के आदेश को निरस्त करने से अफरा-तफरी मच सकती है.
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कोरोना संक्रमण को देखते हुए झारखंड सरकार ने केंद्र सरकार के गृह मंत्रालय के गाइडलाइन के मुताबिक सभी धार्मिक स्थलों में आम लोगों के प्रवेश को बंद कर दिया था. इसकेे खिलाफ भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने झारखंड उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की थी.
झारखंड हाइकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण की खंडपीठ ने याचिका पर श्रावणी मेले की इजाजत देने से इन्कार कर दिया था. श्री दुबे ने सुप्रीम कोर्ट की, पुरी में शर्तों के साथ रथ यात्रा की इजाजत देने के फैसले के आधार पर देवघर में मेला की इजाजत देने की मांग की थी. याचिका में दुमका स्थित बासुकिनाथ मंदिर को भी खोलने की मांग की गयी थी.
Posted By : Mithilesh Jha