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झारखंड का त्रिकूट पहाड़ रोपवे हादसा: 42 लोग किये गये रेस्क्यू, 7 को सुरक्षित निकालने में जुटी वायुसेना

Trikut Pahar Ropeway Accident: देवघर स्थित त्रिकूट पहाड़ रोपवे हादसे में फंसे लोगों में से अब तक 42 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है. शेष 7 लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए वायुसेना समेत सेना के अन्य जवान रेस्क्यू में जुटे हैं. आपको बता दें कि इस हादसे में अब तक दो लोगों की जान जा चुकी है.

Trikut Pahar Ropeway Accident: झारखंड के देवघर स्थित त्रिकूट पहाड़ रोपवे हादसे में फंसे लोगों को सुरक्षित निकालने की जद्दोजहद जारी है. अब तक 42 लोगों को सुरक्षित निकाल लिया गया है. शेष 7 लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए वायुसेना समेत सेना के अन्य जवान रेस्क्यू में जुटे हैं. इस बीच एक जवान घायल हो गया है. आपको बता दें कि इस हादसे में अब तक दो लोगों की जान जा चुकी है.

रेस्क्यू ऑपरेशन में जुटी सेना की टीम

सोमवार की सुबह 6:30 बजते ही वायुसेना का दो हेलीकॉप्टर त्रिकूट रोप-वे रेस्क्यू करने पहुंच गया था. पहले एक हेलीकॉप्टर से एक कमांडो ने रेस्क्यू करने ट्रॉली तक आने का प्रयास किया. करीब आधे घंटे तक यह प्रयास होता रहा, लेकिन कमांडो असफल रहे. उसके बाद कई बार हेलीकॉप्टर ट्रॉली तक पहुंचने का प्रयास किया, बावजूद तार व खंभे की वजह से ट्रॉली तक हेलीकॉप्टर नहीं पहुंच पा रहा था.

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एयरलिफ्ट किए गए लोग

सोमवार को प्रयास असफल होने के बाद हेलीकॉप्टर वापस देवघर एयरपोर्ट चली गयी थी. इस दौरान देवघर एयरपोर्ट में हेलीकॉप्टर में फ्यूल लिया गया. वायुसेना के अधिकारियों की आपस में बैठक के बाद पूरी तैयारी के साथ करीब 11:25 बजे छोटा हेलीकॉप्टर आया, जिसके पंखे छोटे थे. इस हेलीकॉप्टर के माध्यम से एयर लिफ्टिंग चालू हुआ.

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तीन छोटे-छोटे बच्चों को सुरक्षित निकाला गया

इससे पहले स्थानीय नागरिक के सहयोग से रस्सी व कुर्सी के जरिये 11 लोगों को ट्रॉली से निकाला जा चुका था. शाम छह बजे तक एयर लिफ्टिंग व मैनुअल तरीके से कुल 32 लोगों को ट्रॉलियों से निकाला गया था. इस दौरान 20 से 24 घंटे तक 32 लोग लंबी रात व चिलचिलाती धूप में डर के साये में एक-एक पल बिताये. ट्रॉली नंबर आठ में तीन छोटे-छोटे बच्चों को दोपहर एक बजे निकाला गया. इन बच्चों का 19 घंटे ट्रॉली में रोते-बिलखते गुजरा है. ये छोटे-छोटे बच्चे रात भर नहीं सो पाये. इसमें एक बच्ची डोली कुमारी पानी व भोजन के अभाव में नर्वस हो रही थी. बार-बार उनके परिजन पानी के लिए आवाज लगा रहे थे, उसके बाद पानी व बिस्कुट पहुंचाया गया. जैसे ही कुर्सी व रस्सी के साथ स्थानीय लोग ट्रॉली तक पहुंचते तो उनलोगों ने चैन की सांस ली. सोमवार को जिन 32 लोगों को बाहर निकाला गया, उसमें 17 पुरुष, 10 महिला व पांच बच्चे शामिल हैं. ये सारे लोग जब तक ट्रॉली में रहे तब तक जिंदगी-मौत से जूझते रहे.

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हेलीकॉप्टर से भी पहले दिया गया भोजन व पानी

सोमवार को वायुसेना के हेलीकॉप्टर से दोपहर 12 बजे से एक बजे तक ऊपर की कई ट्रॉलियों में रस्सी व बैग के सहारे पानी व बिस्कुट भेजा गया था. कुछ देर बाद वायुसेना के कमांडर ने रेस्क्यू शुरू किया था. शुरुआत में हेलीकॉप्टर से एक-एक कर ट्रॉली से बाहर निकालकर घोरमारा के समीप मैदान में उतार रहे थे. दोपहर दो बजे के बाद कमांडर इसमें तेजी लाते हुए पहले ट्रॉली के अंदर गये एक साथ दो-दो लोग को ट्रॉली से बाहर एयर लिफ्टिंग शुरू किया.

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Posted By : Guru Swarup Mishra

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