Baba Dham Deoghar: देवघर के बाबा मंदिर में स्थित सभी 22 देवी देवताओं का अलग अलग महत्व है. सभी मंदिरों का अपना पौराणिक इतिहास व महत्ता है. इनके निर्माण व निर्माणकर्ता के बारे में रोचक कहानियां हैं. अब तक हम आपको मां पार्वती मंदिर, मां जगतजननी व मां संकष्टा मंदिर, भगवान गणेश मंदिर, मां संध्या मंदिर, चतुर्मुखी ब्रह्मा मंदिर, महाकाल भैरव मंदिर, भगवान हनुमान के मंदिर, मां मनसा मंदिर, मां सरस्वती मंदिर, बगलामुखी मंदिर, सूर्य नारायण मंदिर, राम-सीता-लक्ष्मण मंदिर, गंगा मंदिर, आनंद भैरव मंदिर और मां तारा मंदिर के बारे में बता चुके हैं. आज हम आपको त्रिपुर सुंदरी मंदिर के बारे में बताएंगे.
सामान्य भक्त नहीं कर सकते पूजा
द्वादश ज्योतिर्लिंग बाबा बैद्यनाथ मंदिर के प्रांगण में स्थित मां त्रिपुर सुंदरी की पूजा का पौराणिक महत्व है. यहां भक्त पूजा करने के लिए घंटों इंतजार करते हैं, लेकिन वहां सामान्य भक्त पूजा नहीं कर सकते हैं. यहां मां त्रिपुर सुंदरी व महादेव स्वयं विराजमान हैं. इस मंदिर का निर्माण 1877 से 1901 के बीच पूर्व सरदार पंडा स्वर्गीय श्रीश्री शैलजा नंद ओझा ने कराया था. मां त्रिपुर सुंदरी के मंदिर की बनावट अन्य मंदिरों से अलग है. यह मुख्य मंदिर के उत्तर पश्चिम की ओर है. इसके शिखर की लम्बाई लगभग 30 चौड़ाई 20 फीट है.
भक्त बाहर से ही करते हैं पूजा
मां त्रिपुर सुंदरी के शिखर पर तांबे का कलश है. इसके ऊपर पंचशूल लगा है. शिखर के गुंबद के नीचे सफेद रंग से रंगा हुआ है. इस मंदिर में प्रवेश करने के लिए मंदिर प्रांगण से सर्वप्रथम प्रथम एक सीढ़ी को पार करके भक्त मां त्रिपुर सुन्दरी के प्रांगण में पहुंचते हैं, सामने पीतल के ग्रिल के दरवाजे को भक्त प्रणाम कर सिर झुका कर बाहर से ही पूजा अर्चना करते हैं. भक्त बाहर से ही मां त्रिपुर सुंदरी के दर्शन करते हैं. जहां मां त्रिपुर सुंदरी देवो के महादेव की गोद में बैठी हुई मुद्रा में लाल पत्थर की मूर्ति स्थापित हैं. इस मूर्ति की ऊंचाई चार फीट है. यहां पर पूर्ण रूप से दीक्षित व तंत्रमार्गी में परिपूर्ण भक्त ही पूजा कर सकते हैं.
तांत्रिक विधि से होती है पूजा
यहां पर मां त्रिपुर सुंदरी की तांत्रिक विधि से पूजा की जाती है. मंदिर स्टेट की ओर से माघ मास कृष्ण पक्ष मकर संक्रांति तिथि को मंदिर स्टेट की ओर से मां त्रिपुर सुंदरी की वार्षिक पूजा षोडशोपचार विधि से की जाती है. इसके अलावा मां त्रिपुरसुन्दरी के प्रांगण में बैठने वाले तीर्थ पुरोहितों की ओर से विशेष पूजा व भव्य महाश्रृंगार किया जाता है. इस मंदिर में प्रवेश करते ही जगतगुरु परिवार के वंशज, शालिग्राम परिवार के वंशज, दानी पंडा के वंशज मां त्रिपुर सुंदरी के प्रांगण में अपने यजमान को संकल्प पूजा कराने के लिए अपने गद्दी पर रहते हैं.
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