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मोबाइल सट्टेबाजी में फंस कर युवा हो रहे बर्बाद, देवघर में कई लोगों के घर और जमीन तक बिके

झारखंड के साइबर क्रिमिनल इन दिनों मोबाइल सट्टेबाजी के सहारे युवाओं को टारगेट कर रहा है. इनदिनों मोबाइल से सट्टाबाजी का प्रचलन काफी तेजी से बढ़ रहा है. यही कारण है कि कई लोग इसके चक्कर में घर और जमीन तक बेच चुके हैं.

Jharkhand Crime News (मधुपुर, देवघर) : मोबाइल से सट्टा लगाने का प्रचलन युवाओं में इन दिनो तेजी से बढ़ता जा रहा है. सट्टा में फंसे कई व्यवसायी व कामगारों का घर-जमीन तक बिक गये, तो कई नौकरी पेशा युवा लाखों के कर्ज में डूबे हुए बताये जाते है. वहीं, मोबाइल से सट्टा का खेल कराने वाला गिरोह कुछ ही समय में करोड़ों में खेलना लगा है.

बताया जाता है कि धंधेबाज ने न सिर्फ एक करोड़ से अधिक लागत का घर पनाहकोला में बना रखा है, बल्कि कई जगह अचल संपत्ति खरीद ली है. गिरोह के द्वारा पिछले कई वर्षों से लॉड सिन्हा रोड में दुकान की आड़ में ऑफिस भी चलाया जा रहा है. जहां नये लोगों को संपर्क करने का प्लान तैयार होता है और फिर चिह्नित शिकार को झांसे में लिया जाता है. इतना ही नहीं, HDFC बैंक और Axis बैंक में सट्टेबाजी संचालित करने वालों ने चालू खाता भी खोल रखा है. जिसमें गूगल पे और फोन पे के द्वारा हर महीने लाखों का लेन-देन हो रहा है.

कैसे होती है मोबाइल से सट्टेबाजी

बताया जाता है कि जब कोई युवक मोबाइल सट्टेबाज के सरगना से गूगल पे या फोन पे पर 10 हजार रुपये का भुगतान करता है, तो युवक को वाट्सएप पर एक BIT First व 777 नामक एप से लिंक भेजा जाता है. उस लिंक में 10 प्रतिशत बढ़ाकर 11 हजार रुपये का क्वाइन खेलने वालों को दिया जाता है.

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इसके बाद लिंक के माध्यम से कोई भी व्यक्ति अपनी राशि से तीन पत्ती ताश, टेनिस, हॉर्स राइडिंग, क्रिकेट, किसी भी राज्य में चुनाव, केसिनो आदि पर दांव लगाता है. लेकिन, बताया जाता है कि सट्टेबाजी के इस खेल में एप को ऐसे विकसित किया गया है कि जहां से आज तक कोई जीत कर नहीं जा सका है.

कैसे होता है भुगतान

बताया जाता है कि गिरोह का सरगना जिस कंपनी से केसिनो का एप मंगाता है, उसे सिर्फ 8 हजार रुपये भुगतान करता है. जबकि उसकी एवज में सरगना को 1 लाख का क्वाइन मिलता है. इसी राशि को वह जुए की लत में फंसे विभिन्न युवाओं को गूगल पे या फोन पे से भुगतान लेते हुए राशि ट्रांसफर करता है. इस तरह वह प्रति 1 लाख में 92 हजार रुपये सीधे कमाई करता है. जबकि जो 8 हजार रुपये खेला जाता है उसे भी हारना तय होता है. सट्टेबाजी का खेल चलाने वाले गिरोह के सरगना की कमाई इतनी अधिक है कि उसने कई जगह देखते ही देखते लाखों की संपत्ति बना ली है.

बताया जाता है कि 12 साल के स्कूली बच्चे से लेकर 35 साल के युवा इस खेल में अधिकतर फंसे हुए हैं. इसमें दो युवा तो अलग-अलग जगह फौज में भी नौकरी करते हैं और खेल के चक्कर में लाखों के कर्ज में डूब गये हैं. बताया जाता है कि भगत सिंह चौक का एक व्यवसायी, शेखपुरा व कुंडू बंगला का एक-एक नौकरीपेशा युवा पर इस खेल के चक्कर में 20 लाख से अधिक का कर्ज हो चुका है. इसके अलावा मीना बाजार में एक व्यक्ति का घर, दुकान व गाड़ी बिक चुकी है.

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वहीं, भेडवा मोहल्ले में एक मिस्त्री का घर बिक गया है. इसी तरह कई युवा है जो सट्टेबाजी में फंस कर पूरी तरह से बर्बाद हो चुके हैं. सट्टेबाज इतना शातिर है कि समय-समय पर एप का नाम भी बदलता रहता है. वह मोबाइल फोन पर बात नहीं करता है. सिर्फ वाटसएप कॉल या मैसेज पर ही बात करता है.

क्या कहते हैं SDPO

SDPO विनोद रवानी कहते हैं कि इस संबंध में वो सूचना एकत्रित कर रहे हैं. जो भी पीड़ित है वह खुलकर सामने आये. पुलिस जांच कर मामले में संलिप्त पाये गये लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी.

Posted By : Samir Ranjan.

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