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धनबाद की सड़कों पर आवारा पशुओं का आतंक, निगम बेपरवाह

धनबाद शहर की सड़कों पर आवारा पशुओं के आतंक है. सड़कों पर आवारा पशु घूमते रहते हैं. कहीं-कहीं बीच सड़क पर ही बैठे रहते हैं. इनके कारण आये दिन दुर्घटनाएं घटती रहती हैं. पिछले एक साल में तीन लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों लोग घायल हुए हैं. इसके बाद भी नगर निगम बेपरवाह है.

Dhanbad News: धनबाद शहर की सड़कों पर आवारा पशुओं के आतंक है. सड़कों पर आवारा पशु घूमते रहते हैं. कहीं-कहीं बीच सड़क पर ही बैठे रहते हैं. इनके कारण आये दिन दुर्घटनाएं घटती रहती हैं. स्टील गेट, कोलाकुसमा, पुलिस लाइन, हीरापुर हटिया, बैंक मोड़, पुराना बाजार, बरटांड़ में आवारा पशु सड़कों पर पशु घूमते रहते हैं. आवारा पशुओं के कारण पिछले एक साल में तीन लोगों की मौत हो चुकी है और दर्जनों लोग घायल हुए हैं. इनके कारण ही जेसी मल्लिक निवासी एक महिला की मृत्यु हो गयी. वहीं एसडीओ गेट के पास विनोद नगर के विक्षिप्त व्यक्ति की भी ऑन द स्पॉट मौत हो गयी. इसके अलावा तेलीपाड़ा निवासी एक वृद्ध की मौत हो चुकी है. इसके बाद भी नगर निगम बेपरवाह है.

आवारा पशुओं की धर-पकड़ करना निगम की जवाबदेही

आवारा पशुओं की धर-पकड़ करना नगर निगम की जिम्मेदारी है. नगर निगम के गठन के 12 साल बाद भी आज तक इसके लिए पुख्ता योजना नहीं बनी. कुछ माह पहले आवारा कुत्तों को पकड़ने के लिए डॉग कैचर वाहन उतारा गया था लेकिन मुश्किल से यह एक सप्ताह ही सड़कों पर दिखा. आवारा कुत्तों के बंध्याकरण के लिए हरियाणा की कंपनी स्नेह एनिमल वेलफेयर से निगम का करार हुआ है. इस दौरान 2000 से अधिक कुत्तों का बंध्याकरण भी किया गया. एक एनजीओ की शिकायत पर केंद्र की जांच टीम आयी. इसे लेकर चार माह तक बंध्याकरण का काम बंद रहा. पिछले माह से फिर कुत्तों का बंध्याकरण शुरू हो गया है. हालांकि आवारा मवेशियों को पकड़ने के लिए कोई ठोस योजना नहीं बनायी गयी है.

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फाइलों में कैद है निगम का कांजी हाउस

आवारा पशुओं को पकड़कर रखने के लिए शहर में दो कांजी हाउस थे. 1980 के पहले नगर निगम के पुराने भवन (बैंक मोड़) के पीछे कांजी हाउस था. उसे तोड़कर निगम कर्मियों के लिए क्वार्टर बना दिया गया. अब क्वार्टर को तोड़कर मल्टी स्टोरी पार्किंग बनायी जा रही है. वहीं झरिया के इंदिरा चौक के पास भी एक कांजी हाउस था. इसके नाम पर निगम की ओर से पिछले साल तक बंदोबस्ती के लिए विज्ञापन निकलता रहा लेकिन बंदोबस्ती नहीं हुई. यह कांजी हाउस कहां है इसकी जानकारी भी निगम के कर्मचारियों को नहीं है. निगम के कर्मचारी बताते हैं कि नगरपालिका के समय इंदिरा चौक के आसपास कहीं कांजी हाउस था. संवेदकों के दिलचस्पी नहीं लेने से अब इसकी बंदोबस्ती नहीं हो रही है.

आवारा कुत्तों का बंध्याकरण किया जा रहा है. जबकि आवारा मवेशियों व सांड़ के लिए गौशाला संचालक से बात चल रही है. एक पशु के लिए गौशाला को एकमुश्त 1500 रुपये देना है. जल्द ही गौशाला व निगम के बीच करार होगा. जो एजेंसी कुत्तों को पकड़कर बंध्याकरण कर रही है. उसी एजेंसी को सड़क पर घूम रहे आवारा पशुओं को पकड़ने का काम दिया जायेगा.

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