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Jharkhand News: भगवान भरोसे धनबाद का पशुपालन विभाग, कहीं डॉक्टर नहीं तो कहीं जरूरी दवाओं का अभाव

एक तरफ झारखंड सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए पशुपालन को बढ़ावा दे रही है तो दूसरी तरफ बीमार पशुओं के लिए चिकित्सा व्यवस्था बद से बदतर स्थिति में चली गयी है. पशु स्वास्थ्य केंद्र भगवान भरोसे चल रहे हैं

धनबाद: एक तरफ झारखंड सरकार किसानों की आमदनी दोगुनी करने के लिए पशुपालन को बढ़ावा दे रही है तो दूसरी तरफ बीमार पशुओं के लिए चिकित्सा व्यवस्था बद से बदतर स्थिति में चली गयी है. पशु स्वास्थ्य केंद्र भगवान भरोसे चल रहे हैं. जब भी पशुपालक अपने बीमार पशुओं को लेकर स्वास्थ्य केंद्र पहुंचते हैं तो वहां उन्हें डॉक्टर नहीं मिलते. अगर डॉक्टर मिल भी गये तो कई दवाइयां नहीं मिलतीं. प्रभात खबर की टीम ने जिल के पशु चिकित्सा केंद्रों का शुक्रवार को दौरा किया.

इस दौरान कई जगहों पर पशु अस्पताल खुले तो मिले, लेकिन वहां डाॅक्टर मौजूद नहीं थे. अस्पताल कर्मचारियों के भरोसे थे. कुछ जगह गंदगी पसरी मिली. कई पशु अस्पतालों के भवन जर्जर हालत में देखने को मिले. ग्रामीणों से जानकारी लेने पर पता चला कि पशुपालक गाय, बैल, बकरी, भैंस, कुत्ता के बीमार होने पर अस्पताल की दौड़ लगाते हैं, लेकिन वहां जल्दी डाॅक्टर नहीं मिलते. ऐसे कई अस्पताल हैं, जहां न डॉक्टर हैं, न कर्मचारी. कभी-कभार प्रभार वाले डॉक्टर ताला खोलते हैं.

चिकित्सा पदाधिकारी के अन्य अस्पताल के प्रभार में होने की बात सामने आयी. 

पता चला कि ये गाहे-बगाहे पशु चिकित्सालय खोलते हैं. मीटिंग या रिपोर्ट जमा करने आदि के लिए जब वे जिला मुख्यालय जाते हैं, तो ऐसे चिकित्सालय बंद हो जाते हैं. कृत्रिम गर्भाधान के अलावा चलंत चिकित्सालय से पशुओं के इलाज की व्यवस्था है, परंतु चिकित्सक व कर्मियों के अभाव में ये योजनाएं सुचारु ढंग से नहीं चल पा रहीं. समय पर टीकाकरण व अन्य इलाज नहीं हो पाने के कारण मूक पशु असमय ही काल- कलवित हो जाते हैं. परेशान पशुपालक प्राइवेट चिकित्सक या बिना डिग्री वाले डॉक्टर के भरोसे रहने को मजबूर हैं. पड़ता है. पढ़िए प्रभात खबर की पड़ताल.

जिला में संचालित 11 पशु अस्पतालों में चिकित्सक नहीं

पशुपालन विभाग का जिला अस्पताल और कार्यालय भगवान भरोसे चल रहा. हालात यह है कि तीन डॉक्टरों की नियुक्ति के बावजूद पशुओं का इलाज नहीं हो पा रहा है. शुक्रवार को प्रभात खबर की टीम ने पुलिस लाइन स्थित जिला पशुपालन कार्यालय सह अस्पताल की स्थिति का जायजा लिया. पाया कि पशु चिकित्सालय में दो व पेट क्लिनिक में एक डॉक्टर की नियुक्ति है. इनमें दो डॉक्टर छुट्टी पर हैं.

वहीं एक डॉक्टर को सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में भेज दिया गया था. ऐसे में पशुओं का इलाज कराने पहुंचे लोग चिकित्सक के आने का इंतजार करते रहे. जिला पशुपालन पदाधिकारी भी एक घंटे के विलंब से दिन के 11 बजे कार्यालय पहुंचे. पशु चिकित्सालय में मरीजों की लंबी कतार को दखते हुए उन्होंने पशुओं का इलाज करना शुरू किया.

करीब आधे घंटे तक पशुओं का इलाज करने के बाद पशुपालन पदाधिकारी अपने चेंबर में चले गये. दिनभर लोग अपने पशुओं को लेकर पहुंचते रहे, लेकिन पशु चिकित्सक के मौजूद नहीं होने के कारण उन्हें लौटना पड़ा. इस संबंध में जिला पशुपालन पदाधिकारी प्रवीण कुमार से पूछने पर बताया गया कि पशु चिकित्सालय में नियुक्त शल्य चिकित्सक केके तिवारी व जूनियर वेटनरी ऑफिसर श्रीनिवास सिंह छुट्टी पर हैं. वही पेट क्लिनिक में नियुक्त चिकित्सक भीम प्रसाद को सरकार आपके द्वारा कार्यक्रम में भेजा गया है.

बाहर बेंच पर किया जाता है पशुओं का इलाज :

पशु चिकित्सालय के ओटी में संसाधन नहीं होने की वजह से बाहर बेंच लगाकर पशुओं का इलाज किया जाता है. अस्पताल में कुत्तों व बकरियों के हरनिया के ऑपरेशन की सुविधा मौजूद है.

जांच की व्यवस्था नहीं, रांची भेजा जाता है सैंपल :

पशु चिकित्सालय में पशुओं को के बीमारी की जांच की कोई व्यवस्था नहीं है. बीमारी का पता लगाने के लिए पशुओं के खून, यूरिन का सैंपल रांची भेजा जाता है.

लंपी वायरस से बचाव का टीका बाहर से खरीद रहे लोग

जिला पशुपालन कार्यालय सह अस्पताल में पशुओं में होने वाली लंपी वायरस से बचाव का टीका नहीं है. लंपी वायरस से बचाव के लिए पशुओं को गोट पॉक्स का टीका दिया जाता है. वर्तमान में अस्पताल में टीके का स्टॉक समाप्त हो गया है. ऐसे में लोग बाहर से टीका खरीद कर पशुओं को लगा रहे हैं. जिला पशुपालन पदाधिकारी प्रवीन कुमार के अनुसार विभाग की ओर से 19 सौ डोज मिला था. उन्होंने 22 हजार डोज की डिमांड की थी.

पैर टूटने पर नहीं होता इलाज बेहोशी की दवा भी नहीं 

पशुओं के पैर की हड्डी टूटने पर पशु चिकित्सालय में इलाज की कोई व्यवस्था नहीं है. विभाग की ओर से चिकित्सालय को प्लाटर ऑफ पेरिस उपलब्ध नहीं कराया गया है. ऐसे में पशुओं के पैर की हड्डी टूटने पर सिर्फ बैंडेज कर छोड़ दिया जाता है. पशु के मालिक प्लास्टर ऑफ पेरिस उपलब्ध कराने पर इलाज किया जाता है. इसके अलावा पशुओं को बेहोश करने के लिए दवा भी चिकित्सालय में नहीं है.

धनबाद प्रखंड : निजी भवन के एक कमरे में चल रहा पशु अस्पताल

मुनीडीह में नवनिर्मित प्रखंड कार्यालय में स्थित धनबाद प्रखंड पशुपालन कार्यालय है. जबकि अस्पताल करकेंद पेट्रोल पंप के सामने एक निजी भवन ( मात्र एक कमरा) में संचालित है. शुक्रवार को दिन के करीब साढ़े 11 बजे प्रभात खबर के पुटकी प्रतिनिधि पशु अस्पताल पहुंचे, तो पाया कि अस्पताल खुला है. एक निजी कर्मी अस्पताल में मौजूद थे.

पूछे जाने पर बताया कि सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में डॉक्टर साहब ( सुमन कुमार ) गये हैं. अस्पताल के पशु चिकित्सक सह धनबाद प्रखंड पशु चिकित्सक पदाधिकारी ( प्रभार ) डॉ सुमन कुमार ने बताया : यहां एक डॉ एक अनुसेवक व एक रात्रि प्रहरी का पद स्वीकृत है. हालांकि वर्तमान में सिर्फ वही कार्यरत हैं. डॉ श्री कुमार के अनुसार यहां डायरिया, डिसेंटरी, बुखार, लम्पी की दवा उपलब्ध है. अन्य बीमारियों की दवा उपलब्ध नही है.

वर्ष 2021 में अंतिम दवा की अंतिम खेप आयी थी. चिकित्सा उपकरण की कमी है.यहां प्राथमिक उपचार का उपकरण है. अभी पशुओं में बरसाती बीमारी की शिकायत ज्यादा मिल रही है. एक अप्रैल 2022 से अभी तक 1575 पशुओं का इलाज किया गया है. सर्वाधिक इलाज बकरी, गाय, कुत्ता व आवारा पशु का होता है.

बलियापुर : कभी-कभी खुलता है अस्पताल, इलाज भी नहीं

बलियापुर. सरकार जहां पशु की देखभाल और सुरक्षा को लेकर टीकाकरण एयर टैगिंग सहित कई योजनाएं चला रही है, वहीं बलियापुर प्रखंड पशु चिकित्सालय में पशु के इलाज के लिए समुचित मात्रा में दवा उपलब्ध नहीं है. यहां एक पशु चिकित्सक व एक ही स्टाफ के भरोसे पर चिकित्सालय चल रहा है. यहां मात्र पशुओं की भूख लगने की दवा, महलम, विटामिन, पेट फूलने की दवा आदि उपलब्ध है.

ऑपरेशन की समुचित व्यवस्था नहीं है. नये उपकरण नहीं रहने से चिकित्सकों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. अस्पताल में पानी की भी काफी दिक्कत है. शुक्रवार को सुबह 10 बजे और अपराह्न तीन बजे प्रभात खबर ने पाया कि अस्पताल में बंद था. न चिकित्सक थे और न स्टाफ. इस संबंध में यहां पदस्थापित भ्रमणशील पशु पालन पदाधिकारी पीसी साह से कई बार राय जानने के लिए फोन किया गया, लेकिन उन्होंने फोन उठाया नहीं.

पशु चिकित्सालय तोपचांची : इस साल अभी तक 338 पशुओं का हुआ है इलाज

तोपचांची प्रखंड चिकित्सालय में शुक्रवार पूर्वाह्न 11 बजे एक चतुर्थ वर्गीय महिला कर्मचारी मिली. कोई चिकित्सक नहीं थे. बताया गया कि डॉ राजेंद्र मोदी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में हैं. पशु पालक करमाटांड़ निवासी रोहन महतो ने बताया कि पिछले पांच दिनों से चिकित्सक नहीं आ रहे हैं. चिकित्सालय में एक डॉक्टर व एक चतुर्थ वर्गीय कर्मी है. अभी खुराहा बीमारी फैली है. चिकित्सा उपकरण दो साल पुराना है. जानकारी मिली कि यहां हाल के दिनों मेें कोई बड़ा ऑपरेशन नहीं हुआ है. इस वर्ष अभी तक 338 पशु का इलाज किया गया है. गाय, बैल और बकरी इनमें शामिल हैं.

प्रभार में चल रहा है टुंडी का पशु चिकित्सालय, कब खुलता है विभाग ही जाने

टुंडी प्रखंड में पशु चिकित्सा की हालत काफी बदतर है. प्रथम वर्गीय पशु चिकित्सालय, टुंडी में भ्रमणशील पशु चिकित्सा पदाधिकारी की पोस्टिंग नहीं हुई है. प्रभार में फिलहाल बाघमारा (राजगंज) अस्पताल के डॉक्टर उपेंद्र कुमार अतिरिक्त प्रभार में हैं. प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी का पद भी खाली है. वह भी प्रभार में ही चल रहे हैं. यहां बरवाअड्डा के डॉक्टर रितेश कुमार गुप्ता बीएचएओ के प्रभार में हैं.

एक कर्मचारी विनोद कुमार है, जो नियमित आते हैं. उनका घर भी टुंडी ही है. शुक्रवार को पूर्वाह्न 11 बजे पशु चिकित्सालय टुंडी में प्रभात खबर ने पाया कि वहां ताला बंद है. प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी का कार्यालय भी बंद था. ज्ञात हुआ कि सभी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में शामिल होने जाताखूंटी गये हैं. संपर्क करने पर डॉक्टर उपेंद्र कुमार ने बताया कि प्रभार लिये एक माह ही हुआ है. अभी जाताखूंटी में हैं.

निरसा में ऑपरेशन की व्यवस्था नहीं चिकित्सा के नाम पर मात्र कुछ दवाएं उपलब्ध

निरसा प्रखंड मुख्यालय स्थित प्रखंड पशुपालन विभाग के कार्यालय में शुक्रवार की सुबह 11.50 बजे ताला जड़ा हुआ पाया गया. अस्पताल कुछ वर्ष पहले ही बना है. एक भी चिकित्सक व कर्मी मौजूद नहीं था. प्रखंड पशुपालन चिकित्सक डॉ मिथुन आनंद से पूछने पर दूरभाष में बताया कि एक भी सहायक कर्मी यहां पदस्थापित नहीं है. मैं अकेला ही डॉक्टर हूं.

अभी सरकार आपके द्वार कार्यक्रम के लिए पदस्थापित हूं. निरसा का अतिरिक्त चार्ज केलियासोल पशु अस्पताल के चिकित्सक राज कुमार नायक पर है. इस संबंध में राजकुमार नायक से बीतचीत करने का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे बातचीत नहीं हो पायी. केलियासोल के अस्पताल में भी ताला लगा हुआ था. पता चला कि राजकुमार नायक किसी गांव में चिकित्सा करने गये हैं.

अस्पताल में उपलब्ध है दवा

बैक्टीरिया, कृमि, घाव व इंफेक्शन आदि की दवा कम मात्रा में प्रखंड में उपलब्ध है. ऑपरेशन के लिए कोई अलग से भवन नहीं है. इसलिए यहां ऑपरेशन नहीं होता है. अवारा पशु की चिकित्सा की कोई विशेष व्यवस्था नहीं है. चिकित्सक ने बताया कि निरसा में अब तक लंपी वायरस का कोई प्रकोप देखने को नहीं मिला है.

बाघमारा : मामूली दवाएं उपलब्ध, उपकरण नहीं

बाघमारा स्थित पुराना प्रखंड कार्यालय भवन स्थित एक कमरे में प्रखंड पशु चिकित्सा केंद्र संचालित है. शुक्रवार को पूर्वाह्न 11:30 बजे इस केंद्र का जायजा लेने पहुंचा तो वहां अमजद नामक एक व्यक्ति मिला. कार्यालय खुला था. पूछने पर उसने बताया गया है डॉ आलोक कुमार इस केंद्र में पदस्थापित हैं, लेकिन वे सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में गये हैं. डॉ आलोक से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया.

केंद्र में मौजूद कर्मी ने बताया कि इस केंद्र में डायरिया, डिसेंटरी, बुखार, लम्पी आदि की दवा उपलब्ध है, अन्य बीमारियों की कोई दवा नहीं है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2021 में दवा आयी थी. केंद्र में चिकित्सा उपकरण की कमी है. सिर्फ प्राथमिक उपचार के उपकरण उपलब्ध हैं. बरसात में पशु में होने वाली बीमारियों का इलाज किया जाता है. लंपी वायरस पर कहा कि सब नियंत्रण में है.

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