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NHM में नौकरी दिलाने के नाम पर पैसे मांगने का ऑडियो वायरल, CS और DSO का नाम लेकर किया था सौदा, जांच टीम गठित

jharkhand news: NHM में नौकरी दिलाने के नाम पर पैसे लेने का एक ऑडियो वायरल हो गया है. इसमें SNMMCH में ट्रूनेट लैब कर्मी पंकज गुप्ता की रंजीत महतो से बातचीत का ऑडियो वायरल हुआ है. पंकज ने सिविल सर्जन और जिला सर्विलांस ऑफिसर का नाम लेकर सौदा किया है.

Jharkhand news: धनबाद के शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (SNMMCH) के ट्रूनेट लैब में काम कर रही फ्रंटलाइन एजेंसी के कर्मचारी पंकज कुमार गुप्ता का एक ऑडियो सामने आया है. ऑडियो में दूसरी आवाज रंजीत कुमार महतो और उसके चाचा की है.

रंजीत वहीं शख्स है, जिससे पंकज ने राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मिशन (एनएचएम) में नौकरी दिलाने के नाम पर 10 हजार रुपये एडवांस लिये हैं तथा और एक लाख 40 हजार रुपये की मांग कर रहा था. रंजीत ने पंकज से बातचीत के क्रम में उसका स्टिंग कर लिया था. यही ऑडियो जांच के दौरान कार्रवाई का आधार बना. बातचीत में पंकज किसी राजकुमार सिंह, पूर्व सिविल सर्जन गोपाल दास, पूर्व डीसी उमाशंकर सिंह के नाम का उल्लेख कर रहा है. वह खुद को गोपनीय शाखा में पोस्टेड होने की बात कहता है. ऑडियो क्लिप प्रभात खबर के पास भी मौजूद है. हालांकि, अखबार स्टिंग किये ऑडियो की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है.

बीते 8 दिसंबर, 2021 को कपुरिया पुटकी के रहनेवाले रंजीत कुमार महतो ने राष्‍ट्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मिशन (NHM) में नौकरी दिलाने के नाम पर ट्रूनेट लैब में डाटा ऑपरेटर पंकज कुमार गुप्ता पर 10 हजार रुपये लेने का आरोप लगाया था. रंजीत के अनुसार, पंकज ने स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को अपना रिश्तेदार और पूर्व राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू को पहचान का होने की बात कह कर उसे झांसे में लिया था. इसकी शिकायत रंजीत ने प्राचार्य कार्यालय में की थी.

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मामला सामने आने पर 10 दिसंबर, 2021 को प्राचार्य ने एक टीम गठित कर दी. जांच टीम में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ सुजीत कुमार तिवारी, फ्रंटलाइन एजेंसी के मैनेजर सुजीत शर्मा, माइक्रोबायोलॉजी विभाग की ट्यूटर डॉ प्रियदर्शनी व माइक्रोबायोलॉजिस्ट दीपक कुमार शामिल थे.

जांच में सही पाये गये आरोप

जब टीम ने जांच शुरू की, तो कई चौंकाने वाली बातों का पता चला. एक ऑडियो क्लिप था, जिसमें तीन लोग बात कर रहे हैं. जांच टीम ने दोनों पक्षों को बुलाकर पूछताछ की. इस दौरान पंकज पर लगे आरोप सही पाये गये. इसके बाद टीम ने पकंज को हटाने की अनुशंसा की. यह मामला अभी ठंडा भी नहीं पड़ा था कि पंकज की मां पूनम गुप्ता ने माइक्रोबायोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ सुजीत कुमार तिवारी की शिकायत महिला थाना में कर दी. उसने आरोप लगाया कि विभागाध्यक्ष ने पंकज को मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया है.

पंकज गुप्ता और रंजीत सिंह के बीच बातचीत के अंश

पंकज : एनएचएम में बहाली निकली है. इसमें लाइनअप हो सकता है. जो बोल रहे हैं, उसे पूरा करना होगा.
रंजीत के चाचा : इतना पैसा कहां से दे पायेगा? गरीब है. इसके पास इतना पैसा नहीं है. इंस्टॉलमेंट में करा दीजिए.
पंकज : लाइनअप करा सकते हैं. 20 हजार रुपये सैलरी है. सात माह में ही जितना दे रहा है, उतना पैसा मिल जायेगा.
रंजीत : स्थायी नौकरी करा दीजिए.
पंकज : स्थायी वाला डायरेक्ट नहीं निकलता है. इसमें पांच से नीचे बात नहीं होती है. तुम्हारे मामले को लेकर डीएसओ से फोन पर बात किये. डेढ़ पर आये हैं.
रंजीत : अस्थायी में दो साल में ही हटा देता है.
पंकज : आज तक एनएचएम में हुए बहाल किसी को हटाया है तो बताओ? यह सेंट्रल से ऑपरेट होता है. दो साल में एक भी एनएचएम का नियुक्ति पत्र निरस्त हुआ है तो बताएं?
रंजीत : स्थिति अच्छी नहीं है.

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पंकज : तुम्हारे बदले हम पैसा दे देंगे. 75 तुम दे दो, 75 हम दे देंगे.
रंजीत : पहले तो 50 में तैयार हो गये थे. इतना में करा देने की बात कहे थे. इसलिए 10 हजार एडवांस भी दिये थे.
पंकज : हम 50 में बात करने की बात कहे थे, लेकिन ऊपर वाले नहीं माने. कुछ समय लेकर घर वालों से बात कर लो. सोच-समझ लो.
रंजीत : हम तो कहे थे 50 ले लीजिए और आपका खर्च अलग से दे देंगे.
पंकज : तुम कहे थे कि कुछ निकलने पर बताइयेगा. तुम्हारी किस्मत है. बहाली निकल गयी है. जिला स्तरीय पैरवी है. सोच लो. काम हो जायेगा.
रंजीत : 50 में बात हुई थी. फिर बढ़ गया क्यों ?
पंकज : राजकुमार सर से बोले थे. शाम में आने को कहा था. डेढ़ माह समय देने को कह दिये हैं. उनको बोले 50 हजार से ज्यादा नहीं कर पायेगा. लेकिन नहीं माने. देखे हो न, लिस्ट में नाम कैसे बदल जाता है. उमाशंकर सिंह थे उस समय तक खिंचाया तुम लोग. लेकिन उनके जाने के बाद लिस्ट बदल गयी.
रंजीत: एक लाख तक कर देंगे हम.

पंकज : एक लाख 50 हजार या 80 हजार कीजिए, सीएस नहीं मानेंगे. कल से स्क्रूटनी होगी. कमेटी का अध्यक्ष ही नंबर बैठायेगा. आज तुम आयेगा, कल तुम्हारे माध्यम से दूसरा आयेगा. बाद में तुम भी करोगे. हम मदद करेंगे. बड़ा आदमी लोन लेकर काम करता है, फिर उसे चुकाता है. विभाग में अंदर जाने के बाद बहुत रास्ते हैं. एक साल में एक लाख पीट लेगा और पता भी नहीं चलेगा.
रंजीत : एक बार राजकुमार सिंह सर से बात कीजिए न. हो सकता है कम में कर दें.
पंकज : नींबू को ज्यादा गारने से वह तीता हो जाता है. पूरे पैसे दो, लिस्ट बनने पर उसमें नाम बैठ जायेगा. पुराने डीसी उमाशंकर सिंह या पूर्व सिविल सर्जन गोपाल दास होते तो फ्री में हो जाता.
रंजीत : राजकुमार सर से बोलिए 50 हजार में कर दें, गरीब हैं.

पंकज : अब राजकुमार सर को फोन करने पर मामला खराब हो जायेगा, फिर संभलेगा नहीं. हम बहुत काम कराये हैं. एक लाख दो और 50 हजार दो साल में दे देना. ऐसे तो तुम अधिकारी का पैर भी पकड़ लेगा, तो भी तुम्हें सिर्फ आश्वासन ही मिलेगा. लिस्ट में नाम नहीं आयेगा. ऐसे सुपरवाइजर बनोगे? 3800 रुपये माह में इपीएफ गिरेगा. 19 हजार रुपये सैलरी. दवा का काम करेगा, वह अलग से मिलेगा. पीएफ 10 प्रतिशत कटेगा. 10 प्रतिशत सरकार से मिलेगा.
रंजीत : नियुक्ति पत्र कब मिलेगा.
पंकज : दिसंबर में लिस्ट आ जायेगी. जनवरी के पहले सप्ताह में नियुक्ति पत्र मिल जायेगा. रिजल्ट से पहले पूरा पैसा देना होगा. 50 प्रतिशत एडवांस देना होगा.
रंजीत : आप तो बोले थे 50 देना होगा. कहां से आयेगा पैसा?
पंकज : अरे यार, तुम बात नहीं समझ रहा है. पहले पैसा देना होगा.

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एनएचएम बहाली में पैसे लेने की बात गलत : सिविल सर्जन

धनबाद के सिविल सर्जन डाॅ श्याम किशोर कांत ने कहा कि एनएचएम बहाली में पैसे लेने की बात गलत है. ऐसी बातें करने वाले के खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया अपनायी जायेगी. जांच करायी जायेगी. किसी अधिकारी का नाम इस तरह से लेना गलत है. डाॅ राजकुमार का एनएचएम बहाली से कोई मतलब भी नहीं है.

एनएचएम बहाली से मेरा कोई वास्ता नहीं : डॉ राजकुमार सिंह

वहीं, जिला सर्विलांस ऑफिसर डॉ राजकुमार सिंह ने कहा कि जारी ऑडियो में अगर मेरा नाम लेकर पैसे की डिमांड की जा रही है, तो उस व्यक्ति के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करायी जायेगी. पंकज गुप्ता को पहचानता तक नहीं हूं. एनएचएम बहाली से कोई वास्ता नहीं है.

Posted By: Samir Ranjan.

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