बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय (BBMKU) राज्य का पहला विश्वविद्यालय है, जहां पीजी बॉटनी और जूलॉजी को लाइफ साइंस में मर्ज कर दिया जायेगा. विवि में वर्ष 2023 से शुरू होने वाले पीजी के सत्र से इन विभागों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा. इन दोनों विभागों को लाइफ साइंस में मर्ज किया जायेगा. राज्य सरकार द्वारा इन दोनों विषयों में शिक्षकों के लिए अलग से पद सृजित नहीं करने पर विश्वविद्यालय ने यह निर्णय गत 29 सितंबर को एकेडमिक काउंसिल की बैठक में लिया था. हालांकि इस पर सवाल उठने लगे हैं. विशेषज्ञों के अनुसार राज्य के अन्य सभी विश्वविद्यालयों में इनकी पढ़ाई जारी है. ऐसे में यहां भी दोनों विषयों का स्वतंत्र अस्तित्व रखना चाहिए.
विवि के डीन साइंस डॉ जेएन सिंह बताते हैं कि इन दोनों विषयों के लिए विवि में शिक्षकों के सृजत पद नहीं हैं. ऐसे में इन विषयों की पढ़ाई के संचालन में तकनीकी अडचन आ रही है. शिक्षकों के सृजित पद लाइफ साइंस विभाग में हैं. इसे देखते हुए इन दोनों विषयों को लाइफ साइंस में मर्ज करने का निर्णय लिया गया है.
विवि का दूसरा तर्क यह भी है कि यूजीसी द्वारा बॉटनी व जूलॉजी के लिए नेट जेआरएफ में अलग विषय के रूप में परीक्षा नहीं ली जा रही है. इन दोनों विषयों के छात्र लाइफ साइंस में नेट जेआरएफ परीक्षा में शामिल हो सकते हैं. जब यूजीसी की ओर से ही इन विषयों में नेट-जेआरएफ की परीक्षा नहीं ली जा रही है तो ऐसे में इनकी पढ़ाई बंद करना ही सही है.
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विवि के नियमों के जानकार बीबीएमकेयू प्रशासन के इस निर्णय को छात्रहित में नहीं मान रहे हैं. उनका कहना है कि बीबीएमकेयू का गठन विनोबा भावे विश्वविद्यालय के धनबाद व बोकारो के कॉलेजों को मिला कर किया गया है. झारखंड यूनिवर्सिटी एक्ट सेक्शन फोर के 16 और 17 के अनुसार अगर किसी विवि का गठन दूसरे विवि के प्रभाजन से होता है, तो वहां उन सब विषयों की पढ़ाई होनी चाहिए, जो पूर्व के विवि में होती रही है. विभावि में इन दोनों विषयों की पढ़ाई जारी है.
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राज्य सरकार ने वर्ष 2018 में ही बीबीएमकेयू की स्थापना के समय इन दोनों विषयों के लिए अलग से शिक्षकों का पद नहीं रखा था, लेकिन पिछले चार वर्षों तक इन विषयों की पढ़ाई जारी थी. ऐसे में अचानक इसे बंद नहीं किया जाना चाहिए था.
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राज्य में जेपीएससी द्वारा अभी भी बॉटनी और जूलॉजी के लिए अलग से नियुक्ति जारी है. बीबीएमकेयू को भी अभी हाल में इन विषयों के कई शिक्षक मिले हैं. इनका चयन जेपीएससी द्वारा किया गया था.
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इन दोनों विषयों की पढ़ाई बंद होने से छात्रों को नुकसान होगा. लाइफ साइंस के छात्र बॉटनी व जूलॉजी विषय में ली जाने वाली विश्वविद्यालय शिक्षक नियुक्ति परीक्षा, एसएलइटी में शामिल नहीं हो सकते हैं. वहीं इन दोनों विषयों में पीजी करने वाले छात्र यूजीसी नेट के साथ एसएलइटी परीक्षा में शामिल हो सकते हैं.
रिपोर्ट : अशोक कुमार, धनबाद