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BCCL के कोल ब्लॉक-2 में नहीं सुलझा रैयतों का भूमि समस्या मामला, मंत्री-विधायक का प्रयास भी नहीं आया काम

धनबाद के बाघमारा क्षेत्र स्थित BCCL की महत्वाकांक्षी परियोजना ब्लॉक-2 के ABOCP में रैयतों के भूमि समस्या का मामला अब तक नहीं सुलझा है. इसको लेकर कोलियरी से कोयला भवन तक 100 बार वार्ता हुई. दो बार पैकेज डील हुआ. इतना ही नहीं विधायक से लेकर मंत्री का भी प्रयास सफल नहीं हो पाया.

Jharkhand News: विश्व बैंक की मदद से वर्ष 1984 में चालू BCCL की महत्वाकांक्षी परियोजना ब्लॉक-2 ABOCP में भूमि समस्या का मामला सुलझ नहीं पाने की स्थिति में विस्तारीकरण योजना दम तोड़ रही है. परियोजना पर  बंदी की तलवार लटक रही है. नतीजा खनन कार्य में लगी बड़ी मशीनों को वाइंड अप करने की नौबत आ चुकी है. बाधक बनी जमीन समस्या को सुलझाने के लिए प्रबंधन के साथ रैयतों की वार्ता कोलियरी से लेकर कोयला भवन तक अबतक 100 बार वार्ता हो चुकी है. दो बार पैकेज डील बना. फिर भी केशरगढ़- बेलियाटांड़ बस्ती को खाली कराने का मामला सुलझ नहीं पाया. अब अधिकारी भी रैयतों से वार्ता करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं.

बस्ती खाली कराना बड़ी चुनौती

कोलियरी से महज 100 गज की दूरी पर स्थित डैंजर जोन में बसी दोनों बस्ती को खाली करना सबसे बड़ी चुनौती है. विधायक-मंत्री से लेकर बड़े अधिकारी भी मामले को सुलझाने का प्रयास कर चुके हैं. प्रयास अभी भी जारी है, लेकिन नतीजा शून्य है. रैयत जिस हिसाब से जमीन और घर के बदले नियोजन की मांग कर रहे हैं, उस हिसाब से प्रबंधन नियोजन देने में असमर्थता जता रहा है. यही कारण है कि मामला 35 वर्षों से अधर में लटकी हुई है.

मामले को सुलझाने के लिए खूब हुआ संघर्ष

क्षेत्र के विधायक से लेकर मंत्री तक ने अपने-अपने तरीके से मामले को सुलझाने के लिए खूब संघर्ष किया, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. पूर्व विधायक स्वर्गीय ओपी लाल ने 56 घर, 112 एकड़ जमीन के बदले 112 स्वीकृत नियोजन का पैकेज डील करायी थी. इसके अलावा केशरगढ़ रेलवे साइडिंग स्थित जमीन के बदले 18 रैयतों को नियोजन दिलाया था. रैयत इस डील को मानने के लिए तैयार नहीं थे. इसके बाद पूर्व मंत्री जलेश्वर महतो ने रैयतों का आंदोलन फिर से शुरू किया था. उन्होंने 108 घर, 112 एकड़ जमीन के बदले 212 स्वीकृत नियोजन का नया पैकेज डील करायी. लेकिन इस बार प्रबंधन पैकेज डील को पूरा करने में असमर्थता जतायी. वर्तमान विधायक ढुलू महतो कोयला मंत्रालय में फिर से मामला उठाया. 212 स्वीकृत नियोजन को दिलाने में खुब जोर लगाया. लेकिन नतीजा अभी तक शून्य है.

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क्या कहते हैं रैयत

रैयत दिवाकर महथा, आशीष कुमार महथा, बंटी कुमार महथा, दिनेश रजक, हिरालाल रजक, प्राण रजक एवं  भुनेश्वर कुमार का कहना है कि अस्सी से अधिक बार  धरना, प्रर्दशन व चक्का जाम जैसे उग्र आंदोलन किया गया. कहा कि 100 बार वार्ता होने के बाद भी प्रबंधन रैयतों की मांग पर टालमटोल कर रहे हैं. हर बार झूठा आश्वासन का घूंट पिलाते रहे. अब प्रबंधन रैयतों से मुंह छिपा रहे हैं.

क्या है वर्तमान स्थिति

ब्लॉक ABOCP माइंस 906.63 हेक्टेयर में फैला हुआ है. इस माइंस को पट्टे पर दिया गया है. उसमें खनन योग्य भूमि 810 हेक्टेयर है. दोनों बस्ती खाली होने से प्रबंधन को मिलेगी 160 एकड़ जमीन.

क्या कहता है प्रबंधन

ब्लॉक-2 क्षेत्र के जीएम चितरंजन कुमार ने कहा कि दोनों बस्ती खाली कराने एवं नियोजन के मामले को लेकर मुख्यालय स्तर पर पहल हो रही है. रैयतों की जमीन का मूल कागजातों की कुछ खामियां होने की वजह से फाइल आगे नहीं बढ़ पा रही है. कंपनी की आरआर पॉलिसी के तहत बस्ती में भूमि अधिग्रहित के एवज में जमीन के बदले नियोजन दो एकड़ पर ही दिया जा सकता है. बोर्ड की बैठक में निर्णय तय होगी.

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रिपोर्ट : शंकर प्रसाद साव, बाघमारा, धनबाद.

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