Dhanbad News: जिले में शीतलहर का जबरदस्त असर है. अधिकतम तापमान 22 डिग्री है, वहीं न्यूनतम परा आठ डिग्री सेल्सियस पहुंच गया है. जिले के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (एसएनएमएमसीएच) में भर्ती मरीजों का हाल बेहाल है. टूटी खिड़कियों से आ रही ठंडी हवा को रोकने के लिए तरह-तरह के जतन किये जा रहे हैं. कपड़ा और पेपर और कूट टांगकर ठंड से बचने की कोशिश हाे रही है. दूसरी ओर प्रबंधन को इन समस्याओं से कोई मतलब नहीं है. बार बार शिकायतों के बावजूद एसएनएमएमसीएच के अधीक्षक कहते हैं कि मामला संज्ञान में नहीं है. हालात देखकर लग रहा है कि ठंड में किसी मरीज की जान जाने के बाद ही शायद प्रबंधन की नींद खुले. इस शीतलहर में मरीजों को कंबल तक नहीं मिलना यहां की कार्यशैली को दर्शाता है. यहां कई मरीज ऐसे भी हैं, जिनको ठंड लगने के बाद भर्ती कराया गया है. उनको शीतलहर से परेशानी तो हो ही रही है, उस पर कंबल नहीं मिलने से उनकी परेशानी दोगुनी हो गयी है.
अस्पताल के इमरजेंसी, सर्जरी, सेप्टिक व मेडिसिन विभाग में खिड़किया टूटी हुई है. दिनभर खिड़कियों से ठंडी हवा अस्पताल के इन वार्डों में प्रवेश करती है. शीतलहर से बचने के लिए मरीज इन टूटी खिड़कियों पर कपड़ा, कुट व पेपर लगाकर बाहर के हवा को अंदर प्रवेश करने का प्रयास करते दिखे. सर्जरी विभाग में भर्ती गोविंदपुर के लखन मुर्मू ने बताया कि सड़क दुर्घटना में घायल होने के बाद उन्हें दो दिन पूर्व भर्ती कराया गया है. ठंड से बचने के लिए रात में खिड़कियों पर कपड़ा व पेपर लगाना पड़ता है. अस्पताल प्रबंधन का मरीजों के प्रति उदासीन रवैये का हाल यह है कि सभी मरीजों को ठंड से बचने के लिए कंबल तक नहीं मिला है.
अस्पताल के सेप्टिक वार्ड में बरवाअड्डा की 75 वर्षीय वृद्ध जीरा देवी पिछले 10 दिनों से भर्ती है. वार्ड की खिड़कियां टूटी होने के कारण रात में शीतलहर अंदर प्रवेश करती है. उन्होंने बताया कि ठंड से बचने के लिए अस्पताल प्रबंधन की ओर से सिर्फ एक कपड़ा मुहैया कराया गया है. अन्य वार्ड में भर्ती सभी मरीजों को भी अस्पताल प्रबंधन की ओर से कंबल मुहैया नहीं कराया गया है. मेडिसीन, सर्जरी गायनी सहित अन्य विभागों में भर्ती मरीज अपने घर से कंबल लाकर इस्तेमाल करते दिख जायेंगे.
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना आयुष्मान भारत को पलीता लगाने के मामले में 16 शिकायत दर्ज हो चुकी है. सभी शिकायतें 2022 के जनवरी से अप्रैल के बीच दर्ज की गयी है. अलग-अलग लोगों द्वारा आयुष्मान के शिकायत पोर्टल पर निबंधित अस्पतालों द्वारा मरीज को भर्ती लेने से इंकार करने, इलाज के बाद पैसे लेने आदि की शिकायत की गयी है. शिकायत के बाद केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग द्वारा इनमें कई अस्पतालों का बिल रोक दिया गया है. वहीं एक पर कार्रवाई करते हुए जुर्माना भी लगाया जा चुका है. बावजूद इसके आयुष्मान से निबंधित अस्पताल संचालक योजना को लेकर सरकार द्वारा जारी निर्देश की अनदेखी करने से बाज नहीं आ रहे हैं. वहीं निजी अस्पताल के संचालकों का तर्क है कि मरीजों के इलाज के बाद बिल भुगतान में सरकार की ओर से देर होती है. दूसरी ओर जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि भुगतान में देरी सिर्फ उन्हीं मामलों में होती है, जिनमें गड़बड़ी की बात सामने आती है.
आयुष्मान योजना के कार्डधारी इलाज से मना करने वाले अस्पताल व इलाज के बाद में पैसे की मांग करने वालों के खिलाफ शिकायत दर्ज करा सकते है. आयुष्मान भारत पोर्टल पर ऑनलाइन और स्थानीय सिविल सर्जन कार्यालय में जाकर ऑफलाइन शिकायत दर्ज कराने की सुविधा है.
रिपोर्ट : विक्की प्रसाद