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Coronavirus In Jharkhand : कोरोना को छिपाने की आदत पड़ रही महंगी, जोखिम में जान, हर बुखार कोरोना नहीं, फिजिशियन डॉ सतीश से जानिए इन हालात में क्या करें

Coronavirus In Jharkhand, धनबाद न्यूज (संजीव झा) : कोरोना को छिपाने तथा बिना चिकित्सक के परामर्श के खुद से इलाज करना लोगों को भारी पड़ रहा है. सात-आठ दिन बाद जब स्थिति बिगड़ती है तब लोग अस्पताल भागते हैं, जबकि समय पर अगर डॉक्टर से दिखाकर इलाज व दवा लेने से इस महामारी से आराम से निजात पाया जा सकता है. इस बीमारी में दवा के साथ-साथ खुद का आत्मविश्वास और अपनों का साथ जरूरी है.

Coronavirus In Jharkhand, धनबाद न्यूज (संजीव झा) : कोरोना को छिपाने तथा बिना चिकित्सक के परामर्श के खुद से इलाज करना लोगों को भारी पड़ रहा है. सात-आठ दिन बाद जब स्थिति बिगड़ती है तब लोग अस्पताल भागते हैं, जबकि समय पर अगर डॉक्टर से दिखाकर इलाज व दवा लेने से इस महामारी से आराम से निजात पाया जा सकता है. इस बीमारी में दवा के साथ-साथ खुद का आत्मविश्वास और अपनों का साथ जरूरी है.

पाटलिपुत्र नर्सिंग होम के फिजिशियन डॉ सतीश कुमार ने प्रभात खबर से बातचीत में कहा कि कोरोना को लेकर अब भी बहुत भ्रांतिया हैं. मरीज और उनके परिजन नहीं चाहते कि इस बीमारी की जानकारी किसी को है. कोई टेस्ट ही नहीं कराना चाहते या कुछ लोग बहुत जल्दी टेस्ट करा ले रहे हैं. दोनों ही स्थिति गड़बड़ है. हर बुखार कोरोना का ही लक्षण हो, यह जरूरी नहीं, लेकिन अगर पांच दिन से ज्यादा बुखार रहे तो कोरोना की जांच जरूर करायें. ब्लड टेस्ट के अलावा आरटीपीसीआर तथा जरूरत पड़ने पर एचआरसीटी कराना चाहिए. रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर के परामर्श पर दवा का पूरा कोर्स लें.

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बीमार पर लगातार नजर रखें. मां-बाप तक छोड़ दे रहे हैं. डॉक्टर ने कहा कि यहां देखा जा रहा है कि कई घरों में अगर किसी बच्चे को कोरोना हो जा रहा है, तो मां-बाप सहित परिवार के सभी सदस्य उसे छोड़ दे रहे हैं. यह गलत है. बच्चे या जो भी मरीज है उसे परिवार के सदस्य छोड़े नहीं. जब डॉक्टर, नर्सिंग स्टॉफ मरीजों को देख रहे हैं. सेवा कर रहे हैं तो परिवार के सदस्य क्यों छोड़ दे रहे हैं. उन्हें खाना खिलायें. दिलासा दें. याद रखें कि ऐसे मरीज ठीक हो गये तब भी उनका परिवार के बाकी सदस्यों के प्रति नजरिया नकारात्मक रहेगा. इसका दूरगामी परिणाम आयेगा.

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इस महामारी में सफाईकर्मियों का कार्य सबसे सराहनीय रहा है. उनसे सीखने की जरूरत है. मैगी, पिज्जा, बर्गर की बजाय भारतीय भोजन करें. डॉ कुमार ने कहा कि यहां के लोगों को मैगी, पिज्जा, बर्गर को छोड़ना होगा. भारतीय मसाला इस महामारी से लड़ने के लिए इम्युनिटी विकसित कर सकता है. घर में कोल्ड ड्रिंक्स नहीं लायें. बच्चे पी सकते हैं. साथ ही सेब, संतरा को छोड़ दूसरे फलों से परहेज करें. जिस किसी भी फल या भोजन से कफ होने की संभावना है. उसे बिल्कुल नहीं लें. छठे दिन से ही स्टेरॉयड लेना शुरू करें.

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डॉ कुमार कहते हैं कि बहुत सारे लोग डर के कारण या अज्ञानता में कुछ सुधार होने के बाद दवाइयां लेना बंद कर देते हैं. इससे नुकसान ही होता है. साथ ही दूसरे स्टेज का ट्रीटमेंट (स्टेरॉयड) छठे दिन से पहले शुरू कर देते हैं. ऐसे कई मरीज हैं जो स्टेरॉयड का भी डोज पर्याप्त नहीं लेते. साथ ही खून पतला करने और खून में थक्का बनाने से रोकने वाली दवा भी डॉक्टर के निर्देशानुसार जरूर लें. ऑक्सीजन लेवल गिरने पर (90 से कम) अस्पताल पहुंचने में देरी नहीं करें. ऐसी स्थिति में अस्पताल में तत्काल भर्ती हो कर इलाज कराना जरूरी है.

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Posted By : Guru Swarup Mishra

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