Coronavirus In Jharkhand, धनबाद न्यूज (संजीव झा) : मस्तिष्क (दिमाग) मांसपेशी की तरह होता है. इसका जितना इस्तेमाल करेंगे. उतना ही मजबूत होगा. इसलिए मस्तिष्क का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करें. नहीं तो यह कमजोर हो जायेगा. इसके लिए नियमित एक्सरसाइज करें. सुडोको, शतरंज, खेलें. टीवी से ज्यादा किताब पढ़ें. सगे-संबंधियों और मित्रों से बातें करते रहें. यह कहना है धनबाद के न्यूरो सर्जन डॉ राजेश कुमार सिंह का. प्रभात खबर से बातचीत में डॉ सिंह ने कहा कि कोरोना काल में लोगों को मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के कई टिप्स दिये.
धनबाद के न्यूरो सर्जन डॉ राजेश कुमार सिंह ने कहा कि कोरोना काल में भी कुछ एक्सरसाइज हैं, जो घर पर भी रह कर किया जा सकता है. इसमें कम से कम 20 मिनट लगातार तेज पैदल चलने के अलावा एरोबिक बढ़ाने वाली कसरतें शामिल हैं. अगर घर पर ट्रेड मिल या अन्य यंत्र नहीं भी हैं तो कम से कम उठक-बैठक, पुश अप कर सकते हैं. जितना शरीर सहन करे. उतना ही नहीं करें. धीरे-धीरे इसे बढ़ाते रहें. वैसे मस्तिष्क के लिए स्विमिंग सबसे बेहतर एक्सरसाइज है, लेकिन अभी यह संभव नहीं है. मांसाहार की बजाय सीजनल सब्जियों को प्राथमिकता दें.
न्यूरो सर्जन डॉ सिंह ने कहा कि लोगों में यह गलत धारणा है कि मांसाहारी भोजन करने से ज्यादा इम्युनिटी आती है, लेकिन यह पूरी तरह से सही नहीं है. मांस, मुर्गा की बजाय मछली खा सकते हैं. साथ ही कोशिश करें कि सीजनल व रिजनल सब्जियां खूब खायें. खासकर हरे पत्तेदार सब्जियां जैसे साग वगैरह. प्रोटीन के लिए अंडा भी खा सकते हैं, लेकिन फैटी शरीर वाले अंडा के पीले पदार्थ को हटा कर ही खायें. फल वगैरह भी खाते रहना चाहिए. सात से आठ घंटा नींद लेने की कोशिश करें.
न्यूरो सर्जन ने कहा कि बहुत लोग टुकड़ों में सोने की कोशिश करते हैं. मसलन कभी दिन में थोड़ी देर सो जाते हैं या रात में भी दो-तीन घंटे सो कर बीच में काम करने लगते हैं. यह मस्तिष्क के लिए घातक है. कोशिश हो कि एक बार में ही कम से कम सात से आठ घंट की नींद लें. सोने से पहले पुस्तकें पढ़ें. साथ ही सुडोको, पजल आदि में भी खुद को व्यस्त कर सकते हैं. दिमाग की ताकत बढ़ाने के लिए शतरंज खेल सकते हैं. यह ऐसे इंडोर गेम्स हैं जो कभी भी खेले जा सकते हैं. ज्यादा समय तक टीवी देखना भी सेहत केलिए ठीक नहीं है.
डॉ सिंह के अनुसार मस्तिष्क को दुरुस्त रखने के लिए सामाजिक रूप से खुद को सक्रिय रखें. अपने सगे-संबंधियों के अलावा मित्रों से भी बातचीत करते रहें. जब भी मौका मिले तो सामाजिक कार्यक्रमों में भी शामिल होते रहें. समाज से कट कर या एकांत में रहने वाले लोग जल्द व ज्यादा डिप्रेशन का शिकार हो रहे हैं. इसलिए खुद भी दूसरों से संवाद स्थापित करते रहें.
Posted By : Guru Swarup Mishra