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Coronavirus In Jharkhand : कोरोना में खुद से दवा लेना हो सकता है जानलेवा, सिर्फ कॉटन मास्क से नहीं होता बचाव, पढ़िए बीपी, शुगर एवं हार्ट के मरीजों को क्या परामर्श दे रहे कार्डियोलॉजिस्ट डॉ आशुतोष

Coronavirus In Jharkhand,धनबाद न्यूज (संजीव झा) : कोरोना की आशंका में खुद से किसी तरह की दवा लेना गलत है. खासकर खून पतला करने के लिए खुद से स्‍टेरॉयड या अन्य दवाएं लेना जानलेवा साबित हो सकता है. यह कहना है कि एशियन जालान अस्पताल धनबाद के कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ आशुतोष कुमार का. प्रभात खबर से बातचीत करते हुए डॉ कुमार ने कहा कि इन दिनों बहुत सारे लोग खुद को कोरोना पॉजिटिव मान कर दवा लेना शुरू कर दे रहे हैं. सोशल साइटों पर बताये जा रहे स्टेरॉयड तक ले लेते हैं. कोरोना की दूसरी लहर में कई बार वायरस हार्ट की नली में चला जा रहा है. इससे खून का थक्का जमने का डर रहता है. इसके चलते लोग खुद से ही ऐसी दवा ले रहे हैं जिसका उपयोग खून पतला करने के लिए किया जाता है, लेकिन बिना बीमारी या हल्के लक्षण वालों को यह दवा नहीं लेनी चाहिए.

Coronavirus In Jharkhand,धनबाद न्यूज (संजीव झा) : कोरोना की आशंका में खुद से किसी तरह की दवा लेना गलत है. खासकर खून पतला करने के लिए खुद से स्‍टेरॉयड या अन्य दवाएं लेना जानलेवा साबित हो सकता है. यह कहना है कि एशियन जालान अस्पताल धनबाद के कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ आशुतोष कुमार का. प्रभात खबर से बातचीत करते हुए डॉ कुमार ने कहा कि इन दिनों बहुत सारे लोग खुद को कोरोना पॉजिटिव मान कर दवा लेना शुरू कर दे रहे हैं. सोशल साइटों पर बताये जा रहे स्टेरॉयड तक ले लेते हैं. कोरोना की दूसरी लहर में कई बार वायरस हार्ट की नली में चला जा रहा है. इससे खून का थक्का जमने का डर रहता है. इसके चलते लोग खुद से ही ऐसी दवा ले रहे हैं जिसका उपयोग खून पतला करने के लिए किया जाता है, लेकिन बिना बीमारी या हल्के लक्षण वालों को यह दवा नहीं लेनी चाहिए.

कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ आशुतोष कुमार बताते हैं कि कई मरीजों में देखा गया है कि बिना जरूरत के इस तरह की दवा लेने से इंटर्नल ब्लीडिंग होने लग रहा है. इनको बचाना मुश्किल होता है. एक सवाल के जवाब में इन्होंने कहा कि कोरोना के दोनों लहर में काफी अंतर है. पिछली बार इतना मारक नहीं था. इस बार भी 80 से 85 फीसदी मरीजों में हल्का लक्षण ही आ रहा है. इनमें से बहुत सारे मरीज ऐसे भी हैं जिनमें कोई लक्षण नहीं आता. बहुत मरीजों को हल्का बुखार, लूज मोसन, सर्दी होता है. ऐसे मरीजों को सामान्य दवाएं ही लेनी चाहिए. बहुतों के गले में इंफेक्शन होता है. इन लोगों को भी गार्गल, स्टीम इनहेल व दवाएं लेनी चाहिए.

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तीसरे चरण में फेफड़ा में इंफेक्शन होता है. हार्ट के रक्त नली में थक्का जमा होने लगता है. इससे हार्ट अटैक की संभावना बढ़ जाती है. यह कभी -कभी जानलेवा हो जाता है. कई बार कुछ मरीजों को अचानक हार्ट में समस्या आ सकती है. कमजोरी, सीने में दर्द हो तो सचेत रहें. डॉ कुमार कहते हैं कि बुखार चार-पांच दिन रहे तथा कमजोरी लगने लगे, लूज मोशन हो या सीने में हल्का दर्द भी हो तो सजग हो जायें. ऐसे मरीज कॉर्डियोलॉजिस्ट या फीजिशियन से मिल कर इसीजी करवा लें. अगर इसीजी में कुछ संकेत मिले तो अस्पताल में भर्ती हो जायें. खून का पतला करने के लिए दवा डॉक्टर की सलाह से ही लें.

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स्‍टेरॉयड भी बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं लें. जिस दिन पहला लक्षण नजर आये. उस दिन से शरीर की हालत पर नजर रखें. सामान्यत: पांच-छह दिन बाद स्थिति गंभीर होनी शुरू होती है. कोरोना संक्रमित अगर स्वस्थ महसूस कर रहे हैं तो घर पर रूटीन एक्सरसाइज कर सकते हैं. ऑक्सीमीटर है तो जांच करते रहें. बीपी, शुगर, केलोस्ट्रॉल की दवा ले रहे हैं तो इसे बंद नहीं करें. खान-पान ठीक रखें. कोरोना को लेकर लोगों में बढ़ रही घबराहट के सवाल पर डॉ आशुतोष ने कहा कि लोग इस महामारी से डर कर घबरा रहे हैं. ज्यादा घबराहट हो तो डॉक्टर से बात कर दवा ले सकते हैं. साथ ही मनोरंजन के लिए टीवी देखें, फिल्में देखें व गाना सुन सकते हैं. कहा कि देश में कोरोना वैक्सीन का कोई साइड इफेक्ट नहीं है.

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बीपी, शुगर, हार्ट के मरीज भी इस वैक्सीन को ले सकते हैं. दोनों डोज लेने के बाद अगर कोरोना से संक्रमित होते हैं तो यह जानलेवा नहीं होता. इसलिए अफवाहों पर ध्यान नहीं दें. हर किसी को वैक्सीन लेना चाहिए. डॉ आशुतोष ने कहा कि सर्जिकल मास्क ही बीमारी से बचाव के लिए काफी है. केवल यही ध्यान रखें कि मास्क से नाक एवं मुंह पूरी तरह ढका हुआ हो. एन 95 मास्क वैसे ही लोगों को उपयोग करना चाहिए जो कोरोना संक्रमितों के नजदीकी संपर्क में रहते हैं. सिर्फ कॉटन मास्क का उपयोग नहीं करें. यह बचाव नहीं कर पाता. कॉटन मास्क के नीचे सर्जिकल मास्क लगा लिया करें.

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Posted By : Guru Swarup Mishra

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