Coronavirus In Jharkhand, धनबाद न्यूज (संजीव झा) : कोरोना की पहली लहर में धनबाद नगर निगम प्रशासन शहरी क्षेत्रों में सैनिटाइज करने में विफल साबित हो रहा था. इसलिए खुद सड़क पर उतर कर सैनिटाइज किया और करवाया. इस वर्ष निगम प्रशासन साफ-सफाई से लेकर सैनिटाइजेशन का काम कर रहा है. इसलिए लोगों को राहत पहुंचाने वाले दूसरे काम पर फोकस कर रहा हूं. वन मैन शो की व्यवस्था खत्म होनी चाहिए. डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टॉफ को डेमोरलाइज कर काम नहीं कराया जा सकता. सरकार को भी नीति बदलने की जरूरत है. यह बातें धनबाद के विधायक राज सिन्हा ने प्रभात खबर से खास बातचीत में कहीं.
धनबाद के विधायक राज सिन्हा ने कहा कि प्रशासनिक टेकओवर से शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल की स्थिति सुधरने की बजाय बिगड़ी है. डॉक्टर्स, नर्सिंग स्टॉफ को डेमोरलाइज कर काम नहीं कराया जा सकता. जिसका जो काम है वही करे तो बेहतर होगा. प्रशासन का काम विधि-व्यवस्था संभालना है, अस्पताल चलाना नहीं. कोरोना काल में लोगों को हो रही परेशानियों पर विधायक ने सवालों के जवाब दिये. पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश.
सवाल : विरोधी कहते हैं कि पिछली लहर में विधायक मुहल्लों में सैनिटाइजेशन करा रहे थे, ज्यादा सक्रियता थी. दूसरी लहर में क्यों नहीं ?
जवाब : देखिये, दोनों लहर तथा स्थिति में बहुत अंतर है. पहले तो विरोधी यह तो मान रहे हैं कि मैं पहली लहर में काम कर रहा था. इस बार भी कुछ कर रहा हूं. वास्तविकता यह है कि पहली लहर के समय यहां नगर निगम प्रशासन फेल था. सैनिटाइजेशन नहीं करा पा रहा था. मजबूरी में मुझे यह काम करना व कराना पड़ा. इस वर्ष निगम प्रशासन बेहतर काम कर रहा है. सैनिटाइजेशन का काम लगातार करा रहा है. दूसरी लहर के दौरान मैं खुद पॉजिटिव हो गया था. दस दिनों में निगेटिव होने के बाद 14 दिनों तक कोविड प्रोटोकॉल का पालन किया. इसके बावजूद लोगों की समस्या सुनते और उसका समाधान करते रहे. जान जोखिम में डाल कर लगातार क्षेत्र में घूम रहा हूं. सवाल उठाने वाले अपनी उपलब्धि बतायें.
सवाल : कोविड की दूसरी लहर में धनबाद में लगातार बेड, ऑक्सीजन की कमी रही. इसको लेकर आपने सरकार पर दबाव बनाने में कितने सफल हुए?
जवाब : इस मुद्दे को लगातार सरकार के सामने उठाता रहा. मुख्यमंत्री के साथ बैठक में भी इस मुद्दे को उठाया. वास्तविकता यह है कि दूसरी लहर के आंकलन में प्रशासन से भारी चूक हुई है. सरकार व प्रशासन ने उनके सुझाव पर काम किया होता तो यह नौबत नहीं आती. सबसे पहले सरकार को अपनी नीति बदलनी चाहिए. मेडिकल कॉलेज अस्पताल को प्रशासन के अधीन करने का फैसला पूरी तरह गलत है. आप डॉक्टर्स को डेमोरलाइज करके काम नहीं करा सकते. अस्पताल को स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी ही बेहतर चला सकते हैं. प्रशासनिक अधिकारी डंडा चला कर मरीजों का उपचार नहीं कर सकते. अब भी वक्त है सरकार अपनी नीति बदले.
सवाल : किस तरह के बदलाव का सुझाव देना चाहते हैं सरकार को?
जवाब : राज्य सरकार पहले बड़े पैमाने पर डॉक्टरों, पारा मेडिकल कर्मियों की बहाली करे. संविदा के आधार पर बहाली बंद हो. बेहतर पैकेज दे. अब 60 हजार से एक लाख रुपये तक में दक्ष डॉक्टर नहीं मिलने वाले हैं. साथ ही एक अच्छा माहौल बनाना होगा. सबसे जरूरी है आउटसोर्स पर पारा मेडिकल कर्मियों को रखने की परंपरा खत्म करने की. सात से 12 हजार रुपये महीना तक में उन्हें महामारी से निबटने को कहा जाता है. ऊपर से प्रशासन वाले जब तब उन्हें हटाने की धमकी देते हैं. सभी की स्थायी बहाली होनी चाहिए.
सवाल : धनबाद में एसएनएमएमसीएच, सदर अस्पताल की स्थिति कैसे बेहतर हो सकती है?
जवाब : इसके लिए वन मैन शो की परंपरा बंद करनी होगी. उपायुक्त उमाशंकर सिंह अच्छा काम कर रहे हैं, लेकिन हर काम प्रशासन से ही कराना चाहते हैं. यह सही नहीं है. जन प्रतिनिधियों की भी राय ली जानी चाहिए. केवल सामान खरीद लेने से व्यवस्थाएं नहीं बदल सकतीं. हर वर्ग के लोगों को साथ ले कर चलना होगा. मैंने धनबाद के वरीय नोडल पदाधिकारी सह राज्य के वित्त सह योजना सचिव अजय कुमार सिंह से भी बात की है. उनसे धनबाद आ कर स्थिति की समीक्षा करने का आग्रह किया है, ताकि यहां के लोगों को राहत मिल सके.
Posted By : Guru Swarup Mishra