धनबाद : कोरोना वायरस के संक्रमण से पूरी दुनिया में खौफ का माहौल है. जानलेवा इस वैश्विक महामारी से बचने के लिए दुनिया भर के देशों में लॉकडाउन का पालन किया जा रहा है. लॉकडाउन ने लोगों के जीवन में तमाम समस्याएं खड़ी कर दी हैं, लेकिन इसके कुछ सकारात्मक असर भी दिख रह हैं. कोरोना वायरस के कारण घोषित लॉकडाउन में हार्ट अटैक के मामलों में गिरावट आयी है.
जी हां, कोविड19 के संकम्रण को रोकने के लिए लागू लॉकडाउन की वजह से पिछले एक माह के दौरान धनबाद सहित पूरे झारखंड में हार्ट अटैक के मामले काफी कम हुए हैं. यहां के कारपोरेट अस्पतालों में कॉर्डियो के मरीजों की संख्या लगभग आधी हो गयी है. लगभग सभी अस्पतालों में ओपीडी बंद है.
इंडोर में कॉर्डियो मरीजों की संख्या सामान्य दिनों की तुलना में 50 से 60 फीसदी कम हो गयी है. हालांकि, डॉक्टरों के अनुसार इसके पीछे एक वजह ट्रांसपोर्टेशन की व्यवस्था बंद होना तथा कोरोना संक्रमण का भय भी है. जिसके चलते मरीज इस बीमारी को जहां तक हो सके दबाने की कोशिश करते हैं. कुछ लोग घरेलू उपचार भी करते हैं.
धनबाद जिला के बड़े सरकारी अस्पतालों पीएमसीएच व सेंट्रल हॉस्पिटल जग जीवन नगर में कैथ लैब नहीं चलता. हालांकि, दोनों ही अस्पतालों में सीसीयू है. सेंट्रल हॉस्पिटल को कोविड अस्पताल बनाया जा चुका है. यहां दूसरे मरीजों को भर्ती नहीं लिया जा रहा है. पीएमसीएच तो एकमात्र अस्पताल है जहां कोरोना संक्रमितों का उपचार हो रहा है. यहां आइसोलेशन वार्ड भी है.
यहां के बड़े निजी अस्पतालों जैसे एशियन जालान, अशर्फी में कॉर्डियोलॉजिस्ट हैं. इन दोनों अस्पताल में भी ओपीडी बंद है. इमरजेंसी में आने वाले मरीजों का ही उपचार हो रहा है. जरूरी पड़ने पर एंजियोग्राफी व एंजियोप्लास्टी भी की जा रही है. लेकिन, पिछले एक माह से इन दोनों अस्पतालों में भी सीसीयू में मरीजों की संख्या 50 फीसदी तक कम हो गयी है. कमोवेश यही स्थिति रांची स्थित बड़े अस्पतालों में भी है.
कॉर्डियोलॉजिस्टों के अनुसार, लॉकडाउन में लोग सीने में दर्द होने पर भी घरेलू उपचार करने की कोशिश करते हैं. गैस की दवा लेना तो आम बात है. लेकिन, यह घातक हो सकता है. हल्के अटैक में तो कभी-कभी घरेलू उपचार से फौरी राहत मिल जाती है. लेकिन, गंभीर अटैक होने पर यह जान लेवा हो सकता है.
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तीन दिन पूर्व चिरकुंडा के एक 23 वर्ष के युवक को सीने व पेट में दर्द हो रहा था. पहले दिन घर पर ही दवाएं लेता रहा. दूसरे दिन वहां के किसी डॉक्टर से दिखाया तो इसीजी में हार्ट अटैक के लक्षण मिला. फिर उसे अशर्फी अस्पताल लाया गया. जहां एंजियोप्लास्टी करना पड़ा. अब वह पूरी तरह स्वस्थ है. डॉक्टरों के अनुसार सीना में दर्द हो तो नजदीक के किसी भी अस्पताल या नर्सिंग होम में इसीजी जरूर करा लें.
राज हॉस्पिटल रांची के कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ राजेश झा कहते हैं कि कोरोना के कारण अस्पतालों में हार्ट के मरीजों की संख्या कम हुई है. इसका मतलब यह नहीं है कि लोग पूरी तरह स्वस्थ हो गये हैं. लॉक डाउन के कारण लोगों का लाइफ स्टाइल बदला है. घर में स्वच्छ भोजन ले रहे हैं. साथ ही आठ से दस घंटे की नींद भी ले रहे हैं.
इससे हार्ट के मरीजों को लाभ हो रहा है. बुहत सारे मामले में मोबाइल पर ही सलाह भी ले रहे हैं. कहा कि पोस्ट कोरोना पीरियड हार्ट के मरीजों के लिए घातक हो सकता है. आर्थिक मंदी व नौकरी को लेकर चिंता बढ़ेगी. इससे टेंशन बढ़ेगा. जो हार्ट की समस्या को बढ़ा सकता है.
उनका कहना है कि सामान्य दिनों में प्रति दिन 20 से 25 मरीज ओपीडी में देखते हैं, साथ ही हर माह औसतन 60 से 70 एंजियोग्राफी व एंजियोप्लासटी करते हैं. लॉकडाउन में यह घट कर 40 फीसदी रह गयी है.
राज्य के प्रसिद्ध कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ दीपक गुप्ता कहते हैं कि लॉक डाउन में ट्रांसपोर्ट की सुविधा नहीं मिलने की वजह से बहुत सारे मरीज नहीं आ पा रहे हैं. मरीजों की सहूलियत के लिए ऑनलाइन भी चिकित्सीय सलाह दी जा रही है. कहा कि पूरी दुनिया में कोरोना के कारण हार्ट के मरीजों की संख्या में कमी आयी है.
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यहां भी सामान्य दिनों की तुलना में 50 फीसदी तक ही मरीज आ रहे हैं. घर में रह कर भी लोग नियमित रूप से एक्सरसाइज, योग करें. किसी तरह की समस्या होने पर खुद से दवा लेने की बजाय डॉक्टरों से जरूर संपर्क करें.
एशियन जालान अस्पताल के कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ आशुतोष कुमार कहते हैं कि लॉकडाउन के कारण हार्ट मरीजों की संख्या कम हुई है. इसके कई वजह हैं. सामान्य दिनों में हार्ट में हल्की समस्या होने पर भी लोग जांच के लिए अस्पताल आते हैं. लेकिन,अभी ओपीडी बंद है. मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने में काफी समस्या हो रही है. बहुत सारे पुराने मरीज फोन पर ही दवा को लेकर सलाह ले रहे हैं.
वह कहते हैं कि कोरोना को देखते हुए बीपी, शुगर व हार्ट के मरीजों को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए. अगर ऐसे मरीज का ट्रैवल हिस्ट्री हो तो उन्हें जांच जरूर कराना चाहिए. इस तरह के मरीजों को इन्फेक्शन से भी बचना चाहिए. क्योंकि ऐसे मरीजों को ज्यादा समस्या आ सकती है. उनके अनुसार सामान्य दिनों की तुलना में अभी यहां कॉर्डियो के मरीजों की संख्या में 40 फीसदी तक की कमी आयी है. हालांकि, इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी तथा पेस मेकर तक लग रहा है.
अशर्फी अस्पताल के कॉर्डियोलॉजिस्ट डॉ अशोक चव्हाण कहते हैं कि लॉक डाउन के कारण घर पर रहने से लोगों में तनाव घटा है. इसके चलते हार्ट के मरीजों को थोड़ा लाभ हो रहा है. सामान्य दिनों से हार्ट अटैक में 40 से 50 फीसदी की कमी आयी है. लेकिन, बीपी, शुगर व स्मोकिंग करने वालों को अगर सांस फूलने, चेस्ट पेन हो तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. छोटे-छोटे स्थानों पर भी इसीजी की सुविधा उपलब्ध है.
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डॉ चव्हाण कहते हैं कि इसीजी कराने से हार्ट अटैक के लक्षण मिल जाते हैं. शुगर के मरीजों को कई बार अटैक आने पर चेस्ट पेन नहीं होता है. ऐसे मरीजों को पसीना ज्यादा निकलने लगता है. कोरोना के कारण लागू लॉक डाउन के बावजूद ऐसे मामलों में मरीज या उनके परिजन अनदेखी नहीं करें. कहा कि यहां भी इमरजेंसी में आने वाले मरीजों को एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी तथा पेस मेकर तक लग रहा है.