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कोविड-19 संक्रमण के दौर में धनबाद का वातावरण हुआ साफ, प्रदूषण के स्तर में 90 फीसदी तक आयी कमी

Coronavirus Impact : वैश्विक महामारी कोविड-19 (Covid-19) और उसकी वजह से देश की कोयला राजधानी धनबाद में धीमे पड़ी औद्योगिक गतिविधियों (Industrial activities) का असर यहां के वातावरण पर साफ देखा जा सकता है. यह वैश्विक महामारी देश के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शुमार धनबाद के लिए वरदान साबित हुआ है. अब तक धनबाद और उसके आसपास के क्षेत्रों में हवा में मौजूद धूल कणों का स्तर इतना कम कभी रिकॉर्ड नहीं किया गया है, जितना अभी देखा जा रहा है.

Coronavirus Impact : धनबाद (अशोक कुमार) : वैश्विक महामारी कोविड-19 (Covid-19) और उसकी वजह से देश की कोयला राजधानी धनबाद में धीमे पड़ी औद्योगिक गतिविधियों (Industrial activities) का असर यहां के वातावरण पर साफ देखा जा सकता है. यह वैश्विक महामारी देश के सबसे अधिक प्रदूषित शहरों में शुमार धनबाद के लिए वरदान साबित हुआ है. अब तक धनबाद और उसके आसपास के क्षेत्रों में हवा में मौजूद धूल कणों का स्तर इतना कम कभी रिकॉर्ड नहीं किया गया है, जितना अभी देखा जा रहा है.

गुरुवार (20 अगस्त, 2020) की सुबह 10 बजे जोड़ापोखर स्थित रियल टाइम मॉनिटरिंग स्टेशन पर पीएम 10 का स्तर 29.6 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया है. वहीं, फरवरी के अंतिम सप्ताह के दौरान यह स्तर 324 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर के आसपास दर्ज किया गया था. पिछले वर्ष 20 अगस्त को यह स्तर 156.4 माइक्रोग्राम प्रतिघन मीटर रिकॉर्ड किया गया था. तय मानक के अनुसार वातावरण में पीएम 10 का स्तर 100 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होना चाहिए.

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बरसात में कम होता है प्रदूषण

आमतौर पर देखा जाता है कि बारिश के मौसम में हवा में मौजूद धूल कण बारिश के पानी के साथ घुल कर जमीन पर बैठ जाते हैं. लेकिन, इसके बाद भी इस वर्ष बारिश के मौसम में प्रदूषण के स्तर में जो कमी देखी जा रही है. यह पहले कभी नहीं देखा गया है. इस संबंध में आईआईटी आईएसएम के इंवॉयरमेंट इंजीनियरिंग (Environment engineering) विभाग के सीनियर शिक्षक एवं विनोबा भावे यूनिवर्सिटी (Vinoba Bhave University) के पूर्व कुलपति प्रो गुरदीप सिंह (Prof Gurdeep Singh) बताते हैं कि धनबाद में प्रदूषण की मुख्य वजह यहां की खनन उद्योग है, लेकिन पिछले 5 महीनों से इसके काम में काफी कमी आयी है. इस वजह से पहली बार यहां वातावरण इतना साफ हुआ है.

ग्रीनपीस ने झरिया को बताया था सबसे प्रदूषित शहर

बता दें कि ग्रीनपीस ने फरवरी महीने में ही हवा में मौजूद पीएम 10 के स्तर के आधार पर झरिया को देश का सबसे प्रदूषित शहर घोषित किया था. इस रिपोर्ट के अनुसार, यहां के वातावरण में पीएम 10 का स्तर 286 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था. इसके बाद धनबाद के शहरी क्षेत्र को दूसरा स्थान दिया था. लेकिन, अब कोविड-19 की वजह से यहां पर भी वातावरण के सेहतमंद होने के प्रमाण मिलने लगे हैं. सड़कों से वाहनों की भीड़ गायब है. सड़कों पर वाहनों की संख्या कम होने से भी ध्वनि प्रदूषण काफी कम हो गया है.

आंकड़ों में प्रदूषण

पीएम 10 के धूलकण का आकार 10 माइक्रोमीटर होता है. हवा में इनकी मौजूदगी माइक्रोग्राम / घन मीटर से मापा जाता है.

25 फरवरी : 334.6 माइक्रोग्राम / घन मीटर

20 मार्च : 186.6 माइक्रोग्राम / घन मीटर

10 अप्रैल : 134.6 माइक्रोग्राम / घन मीटर

25 अप्रैल : 82.8 माइक्रोग्राम / घन मीटर

10 मई : 123.2 माइक्रोग्राम / घन मीटर

1 जून : 76.4 माइक्रोग्राम / घन मीटर

15 जून : 82.8 माइक्रोग्राम / घन मीटर

1 जुलाई : 100.2 माइक्रोग्राम / घन मीटर

15 जुलाई : 68.4 माइक्रोग्राम / घन मीटर

1 अगस्त : 46.6 माइक्रोग्राम / घन मीटर

20 अगस्त : 29.6 माइक्रोग्राम / घन मीटर

Posted By : Samir Ranjan.

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