हिंदी के जाने-माने कवि एवं आलोचक प्रो. आशुतोष का निधन मंगलवार को कोलकाता में इलाज के दौरान हो गया. पिछले दिनों उनके फ्लैट के किचन में सिलेंडर से गैस रिसाव के कारण लगी आग में प्रो. आशुतोष व उनके बड़े पुत्र बुरी तरह झुलस गये थे. पहले उनके बड़े पुत्र की मृत्यु हुई और आज सुबह आठ बजे वह भी चल बसे. उन्होंने कविताएं तो लिखीं ही, आलोचना में भी उनकी अच्छी दखल थी. कोलकाता के साहित्य जगत में उनका विशेष सम्मान था. उनके निधन की खबर से साहित्य जगत मर्माहत है. कोयलांचल में भी उनके निधन से शोक है. हिंदी के वरिष्ठ कवि अनवर शमीम ने उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि मेरी उनसे कोई मुलाकात नहीं हुई, फिर भी उनसे आत्मीय लगाव महसूस करता था. साहित्यिक पत्रिका ”रेखांकन” के संपादक एवं आलोचक कुमार अशोक ने कहा कि एक प्रतिबद्ध और समर्पित रचनाकार का यूं जुदा होना बेहद दुखद है. उर्दू की साहित्यिक पत्रिका ”शहपर” के संपादक अहमद फ़रमान, कवि एवं पत्रकार शांतनु चक्रवर्ती, शायर नसीम अख्तर नसीम, युवा कवि डॉ लालदीप, चित्रकार एवं अनुवादक हिना जर्रीं ने भी उनके निधन पर दुख प्रकट किया.
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