Dhanbad News: धनबाद के एसएनएमएमसीएच के इमरजेंसी भवन को दो तल्ला बनाया जायेगा. इसके लिए स्वास्थ्य चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग ने योजना को स्वीकृति दे दी है. दूसरे तल के निर्माण के लिए 50 लाख रुपये भी आवंटित किये गये हैं. भवन निर्माण विभाग को काम पूरा करने की जिम्मेवारी दी गयी है. ज्ञात हो कि वर्तमान में इमरजेंसी बिल्डिंग एक तल का है. इसमें एक ऑब्जर्वेशन रूम व माइनर ओटी है. एक साथ चार से पांच मरीजों के पहुंचने पर ऑब्जर्वेशन रूम व माइनर ओटी में जगह भर जाती है. कई बार तो मरीजों को माइनर ओटी व ऑब्जर्वेशन रूम के खाली होने का इंतजार करना पड़ता है. एक साथ दो एंबुलेंस लगाने की जगह भी इमरजेंसी में नहीं है. ऐसे में बिल्डिंग का विस्तार करने का प्रस्ताव अस्पताल प्रबंधन ने स्वास्थ्य मुख्यालय को दिया था.
इमरजेंसी बिल्डिंग के दूसरे तल के निर्माण के बाद यहां दोनों तल में इंटीरियर का काम भी होगा. इसके लिए स्वास्थ्य मुख्यालय ने अलग से 13 लाख रुपये आवंटित किये हैं. इस राशि से भवन का रंगरोगन व फर्नीचर आदि का काम होगा.
इमरजेंसी बिल्डिंग में बनने वाले दूसरे तल का रास्ता भी अलग होगा. गर्ल्स हॉस्टल के पास से इमरजेंसी बिल्डिंग में प्रवेश का मुख्य द्वार बनाया जाएगा. वहीं वर्तमान में इमरजेंसी बिल्डिंग में प्रवेश के रास्ते को भी इस्तेमाल में लाया जाएगा.
अभी इमरजेंसी बिल्डिंग में दो एसआइसीयू में 20 के अलावा महिला व पुरुष वार्ड में 40 बेड हैं. दूसरे तल के निर्माण के बाद यहां बेड की संख्या भी बढ़ायी जायेगी.
एसएनएमएमसीएच में आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से बहाल कर्मियों का अटेंडेंस बायोमीट्रिक से बनेगा. इस संबंध में स्वास्थ्य चिकित्सा, शिक्षा एवं परिवार कल्याण विभाग के अपर मुख्य सचिव की ओर से आदेश जारी किया गया है. हर हाल में जून माह से नयी व्यवस्था लागू करने को कहा गया है. अधीक्षक डॉ अरुण कुमार बरनवाल ने आउटसोर्स एजेंसी को निर्देशित किया है कि 20 जून तक अस्पताल में बायोमीट्रिक मशीन लगाकर कर्मियों का हाजिरी बनाना शुरू करें. एसएनएमएमसीएच में अगले माह से सुपरवाइजरों की संख्या भी बढ़ेगी. लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव ने 10 आउटसोर्स कर्मी पर एक सुपरवाइजर नियुक्त करने का निर्देश दिया है. सुपरवाइजर आउटसोर्स कर्मियों द्वारा किए जा रहे कार्यों की मॉनीटरिंग करेंगे.
एसएनएमएमसीएच में मेडिकल स्टाफ की पहचान अब अलग-अलग रंग के कपड़ों से होगी. स्वास्थ्य चिकित्सा, शिक्षा व परिवार कल्याण विभाग ने अस्पताल कर्मियों के लिए ड्रेस कोड जारी किया है. एक माह में ड्रेस कोड योजना को लागू करने का निर्देश दिया गया है. प्रबंधन इसकी व्यवस्था करने में जुट गया है. नए ड्रेस कोड में अस्पताल के सभी कर्मियों को गांधी टोपी लगाना अनिवार्य है. प्रबंधन ने ड्रेस कोड की वजह से कर्मियों की मनमानी पर रोक लगने का दावा किया है. अधिकारियों के अनुसार मेडिकल स्टाफ समेत अन्य द्वारा किसी कार्य के एवज में मरीज व उनके परिजनों से अवैध तरीके पैसे मांगने की शिकायत मिलती रहती है. ऐसे में चलेगा कि किस विभाग से जुड़े स्टाफ ने पैसे मांगे हैं.
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