Jharkhand News (धनबाद) : झारखंड के पूर्व मंत्री सह जमशेदपुर पूर्वी के विधायक सरयू राय ने सीएम हेमंत सोरेन को राज्य में विकास के लिए ‘टीम झारखंड’ बनाने की सलाह दी है. उन्होंने कहा कि झारखंड में एक सरकार हाथी उड़ा रही थी, तो दूसरी सरकार हाथी पकड़ कर बैठी है. वर्तमान सरकार की प्राथमिकताएं व रुझान भी विकास के प्रति नहीं दिख रही है. शिकायत के बावजूद भ्रष्टाचार के मामलों में कार्रवाई नहीं करना भी गलत है. पूर्व मंत्री श्री राय ने प्रभात खबर से बातचीत में राज्य सरकार को सुझाव दिया कि विकास के लिए सीएम श्री सोरेन ‘टीम झारखंड’ बनायें, जिसमें मंत्री व अधिकारी भी रहेंगे.
पूर्व मंत्री श्री राय ने कहा कि वर्तमान सरकार की कार्यसंस्कृति भी पूर्व की रघुवर सरकार की तरह ही है. मैनहर्ट, कंबल घोटाला सहित पूर्व सरकार के कई मामलों की हेमंत सरकार ने ACB को जांच करने का आदेश जरूर दिया है, पर ACB जांच में प्रगति नहीं हो रही है. अब धीरे-धीरे लोगों का भरोसा उठने लगा है. नियमों का पालन करना और कराना सरकार और अधिकारियों का दायित्व है. यहां तो कुछ मामलों में हाइकोर्ट के आदेश का पालन भी नहीं हो रहा.
पूर्व मंत्री ने कहा कि यह दुर्भाग्य है कि अगल झारखंड राज्य बनने के 21 साल बाद भी नियोजन व स्थानीय नीति स्पष्ट नहीं है. 15 नवंबर, 2000 तक बिहार के वर्तमान झारखंड राज्य के इलाके में रहनेवाले सभी लोगों को स्थानीय माना जाना चाहिए. सभी को नियोजन नीति का भी लाभ मिलना चाहिए. उन्होंने कहा कि हेमंत सरकार ने वर्ष 2021 को नियुक्ति वर्ष घोषित किया है. लेकिन, जितनी बहालियां हो रही है, उससे अधिक लोग रिटायर हो रहे हैं. आउटसोर्स पर अधिकारियों व कर्मियों की बहाली की प्रथा बंद होनी चाहिए. इससे युवा वर्ग कुंठित व हताश हो रहा है.
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पूर्व मंत्री श्री राय ने कहा कि हेमंत सोरेन ने सीएम के रूप में पहले टर्म में बेहतर काम किया था. लोगों को उनसे काफी उम्मीदें भी थी. हेमंत सरकार-2 के 21 माह के कार्यकाल में अब तक 17 माह कोरोना से निबटने में ही बीत गया. 3-4 माह से स्थितियां थोड़ी सामान्य हुई है. अब सरकार को विकास एवं कल्याण योजनाओं पर ध्यान देना चाहिए. इसके लिए सीएम हेमंत सोरेन को ‘टीम झारखंड’ गठित करनी चाहिए. इसमें मंत्री व अधिकारियों को रखना चाहिए. साथ ही सीएम को डीसी, डीडीसी के साथ प्रमंडल या राज्य स्तर पर समीक्षा बैठक करनी चाहिए.
पूर्व मंत्री सह विधायक श्री राय ने कहा कि CSR व DMFT फंड की तरह ही कंपनियों को CER (Corporate Environmental Research) पर खर्च करने का प्रावधान है. कंपनियों को लाभ का दो फीसदी राशि खर्च करनी होती है, लेकिन अधिकांश कंपनियां इस फंड का इस्तेमाल अपने अंदर ही कर रही है. सरकार और जिला प्रशासन को इस पर ध्यान देना चाहिए. CSR, DMFT व CER की राशि को मिला कर विकास योजनाएं बनायी जानी चाहिए. वैसे जिलों को भी लाभ मिलनी चाहिए जहां सीधे तो खनन कार्य नहीं होते, लेकिन वहां खनिज पदार्थों के इस्तेमाल वाली फैक्ट्रियां हैं.
दामोदर के फिर से प्रदूषित होने के सवाल पर कहा कि दामोदर बचाओ आंदोलन को आगे बढ़ाने के लिए स्थानीय लोगों को आगे आना चाहिए. साथ ही सरकार को गंगा की तरह दूसरी नदियों के संरक्षण के लिए नीति बनानी चाहिए. दामोदर बचाओ आंदोलन के कारण नदी का पानी काफी साफ हुआ था, लेकिन बोकारो स्टील द्वारा फिर से दामोदर में लाल एवं काला पानी गिराया जा रहा है. नदी को प्रदूषित बनाने में बोकारो स्टील की बड़ी भूमिका है.
Posted By : Samir Ranjan.