धनबाद (संजीव झा) : झारभूमि के सॉफ्टवेयर में एनआइसी रांची की तरफ से भारी चूक हुई है. एनआइसी स्टेट की तरफ से धनबाद अंचल के वैसे अंचलाधिकारी, अंचल निरीक्षक व राजस्व उप निरीक्षक (हल्का कर्मचारी) के नाम से डिजिटल सिग्नेजर जारी किये गये हैं जो कभी धनबाद में पदस्थापित ही नहीं थे. इससे धनबाद में जमीन के निबंधन व म्यूटेशन में नया मोड़ आ गया है. भू-राजस्व के दस्तावेज से भी संदिग्धों के द्वारा छेड़-छाड़ की आशंका जतायी जा रही है.
राज्य के भू-राजस्व विभाग ने धनबाद जिला के विभिन्न अंचलों में म्यूटेशन व जमीनों के निबंधन में गड़बड़ी के आरोपों को देखते हुए 14 मामलों की सूक्ष्मता से जांच कराने को कहा था. उपायुक्त उमा शंकर सिंह ने अपर समाहर्ता श्याम नारायण राम की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी बना कर पूरे मामले की जांच करायी. जांच के क्रम में पता चला कि धनबाद के अंचलाधिकारी के रूप में श्रवण राम, अंचल निरीक्षक के रूप में जय शंकर पाठक तथा राजस्व उप निरीक्षक के रूप में सुधील कुमार के नाम से डिजिटल सिग्नेचर जारी किया गया है. विशनपुर एवं बारामुड़ी की जमीनों के म्यूटेशन में इन तीनों के डिजिटल सिग्नेचर का उपयोग हुआ है, जबकि हकीकत में ये तीनों अधिकारी-कर्मी धनबाद में पदस्थापित ही नहीं रहे.
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जांच टीम की रिपोर्ट के आधार पर उपायुक्त ने राज्य के भू-राजस्व विभाग को अपने मंतव्य के साथ प्रतिवेदन भेजा है. लिखा है कि झारभूमि के सॉफ्टवेयर में भारी चूक हुई है. यह गंभीर मामला है. ऐसा लगता है कि भू-राजस्व विभाग के दस्तावेजों से संदिग्धों द्वारा छेड़-छाड़ की गयी है. इसकी तत्काल उच्चस्तरीय जांच कराने की जरूरत है. धनबाद के अंचलाधिकारी की रिपोर्ट को भी संलग्न किया गया है, जिसमें सत्यापित किया गया है कि ये तीनों कभी धनबाद अंचल में पदस्थापित ही नहीं रहे. पत्र में डीसी ने लिखा है कि धनबाद में गलत म्यूटेशन का एक कारण सॉफ्टवेयर में हुई तकनीकी त्रुटिपूर्ण इंट्री भी हो सकता है.
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Posted By : Guru Swarup Mishra