झारखंड-बिहार की पहली आठ लेन सड़क का काम सिर्फ सप्लीमेंट एग्रीमेंट के कारण अटक गया है. चार बार कंस्ट्रक्शन कंपनियों को एक्सटेंशन मिलने के बाद भी काम पूरा नहीं हुआ. 331 करोड़ का डीपीआर बना था. बिजली- जलापूर्ति आदि काम को मिलाकर 43 करोड़ का रेट रिवाइज किया गया. इसी के साथ टैक्सेशन को लेकर प्रोजेक्ट कॉस्ट 410 करोड़ का हो गया है. सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है, लेकिन अब तक सप्लीमेंट एग्रीमेंट पर सरकार की मुहर नहीं लगी. लिहाजा झारखंड मोड़ से मेमको मोड़ तक लगभग डेढ़ किमी सड़क अधूरी पड़ी है. डीवीसी से बिजली कनेक्शन नहीं मिलने के कारण एलइडी लाइट नहीं जल रही है. मेमको मोड़ से गोल बिल्डिंग तक जलापूर्ति पाइप लाइन का भी काम पूरा नहीं हुआ है. बड़की बउआ उत्क्रमित विद्यालय का 22 लाख का मुआवजा मिला था. विद्यालय का कुछ और काम बढ़ने से इसका बजट 48 लाख पहुंच गया है. सरकार से अब तक सप्लीमेंट एग्रीमेंट नहीं हुआ है. लिहाजा 30 सितंबर के डेड लाइन पर काम पूरा होने में संशय दिख रहा है.
कहां-कहां फंसा है काम
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झारखंड मोड़ से मेमको मोड़ तक लगभग डेढ़ किमी लटका है सड़क का काम
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मेमको मोड़ से गोल बिल्डिंग तक जलापूर्ति पाइप लाइन का काम भी अधूरा
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डीवीसी से कनेक्शन नहीं मिलने के कारण बुझी हुई है एलइडी लाइट
कब-कब मिला एक्सटेंशन
बतातें चले कि फरवरी 2019 में गोल बिल्डिंग सरायढेला से कांको मठ तक आठ लेन सड़क का काम शुरू हुआ. फरवरी 2021 तक काम पूरा होना था. कोरोना को लेकर एक साल का एक्सटेंशन कंस्ट्रक्शन कंपनियों को दिया गया. इसके बाद मुख्यालय स्तर से छह माह तक आठ लेन सड़क का काम पर रोक लगा दी गयी. सितंबर में काम शुरू हुआ. दिसंबर 2022 तक कंस्ट्रक्शन कंपनियों को काम पूरा करने का समय दिया गया. इसके बाद कंपनियों को 15 जून 2023 तक एक्सटेंशन दिया गया. अब 30 सितंबर तक का एक्सटेंशन दिया गया है.
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