Women Harassment: हर ओर महिला सशक्तीकरण की चर्चा होती है. कई कानून भी बने हैं, पर अब भी महिलाओं पर अत्याचार में कमी नहीं दिखती. खास कर घरेलू हिंसा की शिकायतें कम होती नहीं दिख रहीं. इसके पीछे जागरूकता की कमी का होना बड़ा कारण बताया जाता है, तो वहीं नियम-कायदों की कमी भी कम बड़ा कारण नहीं. राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार दुष्कर्म, सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या, पति या पति के रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता, यौन उत्पीड़न व पॉक्सो जैसे मामलों में धनबाद, गिरीडीह और बोकारो में वर्ष 2019 से 2021 तक कुल 5381 मामले दर्ज हुए हैं.
इन तीन जिलों के आंकड़ों का तुलनात्मक अध्ययन करने पर स्पष्ट है कि महिलाओं के प्रति अपराध के मामले में धनबाद सबसे आगे है. गिरिडीह दूसरे और बोकारो तीसरे नंबर पर है. इन तीन वर्षों में धनबाद में महिलाओं से संबंधित अपराध के 1900 मामले दर्ज किये गये, तो गिरिडीह में 1757 व बोकारो में 1724 मामले दर्ज हुए. जानकारों के अनुसार ये वो मामले हैं जो पुलिस के पास आ रहे हैं, जबकि अनंत ऐसे मामले हैं जो लोक-लाज, समझौता या भय के कारण सामने नहीं आ पाते. अगर सभी मामले सामने आ जायें तो ये आंकड़ें और ज्यादा होंगे.
पहले और अब के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं में जागरूकता बढ़ी है, तो तंत्र भी आगे आया है. इसलिए घटनाओं की रिपोर्टिंग होने लगी है, पर अभी भी इसमें सुधार की गुंजाइश है. इसके लिए परिवार को आगे आना होगा, ताकि लोक-लाज और भय कारण नहीं बने बड़े किसी अपराध को छुपाने का. महिलाएं या लड़कियां खुल कर अपनी बात रख पायें.
एक बड़ी समस्या कानूनी दाव-पेच से बच निकलने की भी है. इसलिए कानून में भी ऐसी व्यवस्था हो कि महिला उत्पीड़न संबंधित मामलों में कोई बच नहीं पाये. समय-समय पर ऐसे मामलों से संबंधित कानूनी जागरूकता की जरूरत है.
-प्रस्तुति : शोभित रंजन, आशीष रंजन, आलोक कुमार, सुमित कुमार.
Also Read: गया-कोडरमा रेलखंड पर लैंडस्लाइट से पटरी धंसी, जनशताब्दी के इंजन में खराबी, वंदे भारत ट्रेन आधे घंटे लेटतीनों जिले की बात करें तो पति और उसके रिश्तेदारों द्वारा उत्पीड़न की घटनाएं भी कम नहीं हैं. इसे लेकर जागरूकता की जरूरत है. जानकार बताते हैं कि ऐसे मामलों की संख्या और ज्यादा है. पर लोक-लाज और पारिवारिक दबाव के कारण इसे दबा दिया जाता है. हालांकि महिला थाना व सामाजिक सरोकार के बढ़ने का असर है, पर इसे और मजबूत करने की जरूरत है.
तीनों जिलों के आंकड़े को देखें तो महिलाओं खास कर कम उम्र की लड़कियों के साथ दुष्कर्म की घटनाएं बढ़ी हैं. अगर घटनाओं की तह में जायें तो इनमें से अधिकांश घटनाएं किसी ना किसी परिचित द्वारा अंजाम दिये जाते हैं. हद तो यह कि दुष्कर्म के बाद हत्या तक की घटनाएं अंजाम दी जा रही हैं.
आज एकल परिवार व टेक्नोलॉजी के दौर में ऐसी घटनाएं ज्यादा बढ़ रही हैं. इसे देखते हुए स्कूली स्तर पर ही जागरूकता फैलाने की जरूरत है. सही-गलत की पहचान का होना खास कर लड़कियों में काफी जरूरी है, तो लड़कों में भी संस्कार भरने की जरूरत है. इसकी जवाबदेही सबकी है.