Dhanbad News: 1.39 अरब रुपये से अधिक के मानदेय घोटाला में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) के कई अधिकारियों एवं कर्मियों से पूछताछ करेगी. इसको लेकर एक सूची तैयार की गयी है. साथ ही लाभान्वित हुए कर्मियों से राशि के निकासी के बारे में भी जानकारी मांगी जायेगी. कोल सैंपलिंग रिपोर्ट में कथित रूप से गड़बड़ी करने वालों से भी पूछताछ हो सकती है.
सूत्रों के अनुसार सीबीआइ ने सिंफर में मानदेय मामले में हुई गड़बड़ी में कई दौर की जांच की है. जांच के दौरान पता चला कि सिंफर के पूर्व निदेशक डॉ पीके सिंह तथा मुख्य वैज्ञानिक एके सिंह ने मानदेय राशि कई ऐसे कर्मियों के नाम पर भी ट्रांसफर कराया जो इसके हकदार नहीं है. तृतीय, चतुर्थ वर्गीय कर्मियों तक के नाम पर राशि ट्रांसफर हुई. धनबाद एवं डिगवाडीह शाखा के कुछ अस्थायी एवं दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को भी राशि देने का आरोप है. जो कि नियम विरुद्ध है.
सूत्रों ने बताया कि जांच में पता चला है कि जिन कर्मियों के खाता में राशि ट्रांसफर हुई है. उनमें से अधिकांश ने राशि आने के बाद एक सप्ताह के अंदर लगभग पैसे बैंक से नकद निकाल लिया. सीबीआइ ऐसे कर्मियों को नोटिस देगी. पूछा जायेगा कि आखिर क्यों राशि की तत्काल निकासी हुई और उसे कहां खर्च किया. सनद हो कि सीबीआइ ने सोमवार को मानदेय घोटाला में एक प्राथमिकी दर्ज की है. इसमें सिंफर के पूर्व निदेशक डॉ पीके सिंह तथा मुख्य वैज्ञानिक एके सिंह को आरोपी बनाया गया है. अन्य को अज्ञात अभियुक्त बनाया गया है. पूर्व निदेशक पर 15,36,72,000 रुपये तथा एके सिंह पर 9,04,31,337 रुपये मानदेय लेने का आरोप है.
इस मामले में कोल सैंपलिंग रिपोर्ट में गड़बड़ी की बातें भी सामने आ रही है. अधिकांश पावर कंपनियों की शिकायत थी कि कोल सैंपलिंग जांच रिपोर्ट में निष्पक्षता नहीं बरती जा रही थी. इसमें सिंफर के कई अधिकारियों पर गड़बड़ी तथा कोल कंपनियों से लाभान्वित होने का आरोप भी लगा है.
मंगलवार को दिन भर संस्थान के अंदर मानदेय घोटाला को ले कर चर्चाएं होती रही. छोटे कर्मी इस बात को ले कर सशंकित हैं कि अगर राशि वसूली की प्रक्रिया हुई तो क्या करेंगे. कहां से राशि वापस करेंगे. फिलहाल, झारखंड हाइकोर्ट के एक आदेश के तहत राशि वसूली पर रोक लगी हुई है.
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