सीबीआइ ने 1.39 अरब से अधिक के मानदेय घोटाला में केंद्रीय खनन एवं ईंधन अनुसंधान संस्थान (सिंफर) के पूर्व निदेशक डॉ पीके सिंह तथा मुख्य वैज्ञानिक एके सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. जबकि इस मामले में अन्य को अज्ञात अभियुक्त बनाया गया है. इन दोनों पर सीएसआइआर के नियमों का उल्लंघन कर मानदेय मद में राशि निकासी का आरोप है. पूर्व निदेशक पर 15,36,72,000 रुपये व एके सिंह पर 9,04,31,337 रुपये मानदेय लेने का आरोप है.
सीबीआइ ने 25 जून को सिंफर के पूर्व निदेशक तथा मुख्य वैज्ञानिक पर प्राथमिकी दर्ज की है. प्राथमिकी की प्रति सोमवार को सीबीआइ के साइट पर अपलोड किया गया. दोनों के खिलाफ धारा 420, 13(2) सहित कई अन्य धारा के तहत प्राथमिकी दर्ज की गयी है. एक ज्ञात स्रोत से शिकायत मिली थी कि सिंफर के तत्कालीन निदेशक ने वर्ष 2016 से 2021 के बीच तय नियमों को तोड़ कर मानदेय लिया. आरोप है कि इस मानदेय मद में सीएसआइआर को 1,39,79,97,871 रुपये का नुकसान हुआ है.
प्राथमिकी के अनुसार, 28 अक्तूबर 2015 को एक एमओयू हुआ था, इसमें सिंफर को कोयला की गुणवत्ता जांच के लिए ऑर्डर मिला था. इस मामले में सिंफर को थर्ड पार्टी सैंपलिंग एजेंसी के रूप में चुना गया था. यह एमओयू 10 वर्ष के लिए हुआ था. इसे अगले पांच वर्षों तक जारी रखने का भी प्रावधान था.
प्राथमिकी के अनुसार, वर्ष 2016 से 25 मार्च 2021 के बीच सिंफर के वैज्ञानिकों, अधिकारियों एवं कर्मियों के बीच मानदेय के रूप में 1,39,79,97,871 रुपये का भुगतान हुआ. इसमें तत्कालीन निदेशक के खाते में 15,36,72,000 रुपये (लगभग) तथा एके सिंह के खाते में 9,04,31,337 (लगभग) रुपये का ट्रांसफर मानदेय के रूप में हुआ.
मानदेय राशि सिंफर के गैर तकनीकी कर्मियों के बीच भी हुआ. प्रथमदृष्टया यह मामला गलत माना गया है. कहा गया है कि यह सीएसआइआर के नियमों का उल्लंघन है. अन्य कर्मियों के चयन में भी गड़बड़ी का आरोप है. सीबीआइ धनबाद के एसपी पीके झा ने इंस्पेक्टर अमरनाथ ठाकुर को आइओ बनाया गया है.
मानदेय घोटाला का जो आरोप लगा है, वह गलत है. सीएसआइआर के स्थापना काल से ही वैज्ञानिकों एवं कर्मियों को मानदेय मिलता रहा है. नियमों के तहत ही मानदेय का भुगतान हुआ है. उनके कार्यकाल में संस्थान की आय बढ़ी. इसलिए मानदेय राशि में भी बढ़ोतरी हुई है.-डॉ
पीके सिंह, पूर्व निदेशक, सिंफर