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धनबाद : गोफ में समायीं 3 महिलाओं का शव 36 घंटे बाद निकाला गया, मुआवजा और पुनर्वास की मांग को लेकर आंदोलन शुरू

धनबाद जिले के छोटकी बौआ में जमींदोज हुई तीन महिलाओं का शव रेस्क्यू टीम ने निकाल लिया है. तीनों महिलाओं के शव निकाले जाने के बाद ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा. लोग घटनास्थल के पास शव रख मुआवजा, नियोजन व पुनर्वास की मांग को ले धरना-प्रदर्शन करने लगे. देर रात तक ग्रामीणों का आंदोलन जारी था.

Dhanbad Landslide News: बीसीसीएल के कुसुंडा क्षेत्र की गोंदूडीह खास कुसुंडा कोलियरी अंतर्गत नया कांटा, छोटकी बौआ धोबीकुल्ही बस्ती से सटे अग्नि प्रभावित मार्ग पर रविवार की दोपहर 12.05 बजे अचानक गोफ होने से बस्ती की तीन महिलाएं जमींदोज हो गयीं. तीनों की मौत हो गयी. मृतकों में ठंंडिया देवी (40), मंडवा देवी (45) और परला देवी (42) शामिल हैं. तीनों के शव गोफ से निकाल लिये गये हैं. गोफ का व्यास लगभग 12 फीट था. परिजनों के अनुसार, तीनों महिलाएं शौच के लिए जा रही थीं. इसी बीच ठंंडिया देवी अचानक बने गोफ में गिर पड़ी. साथ चल रही मंडवा देवी व परला देवी ने ठंडिया को बचाने का प्रयास किया, तो ये दोनों भी अंदर समा गयीं. सूचना पाकर गोंदूडीह खास कुसुंडा कोलियरी के प्रबंधक दिलीप कुमार समेत अन्य अधिकारी व सैकड़ों ग्रामीण भी जुटे. इस दौरान आक्रोशित ग्रामीण हंगामा करने लगे और अधिकारियों पर पत्थरबाजी करते हुए खदेड़ दिया. पत्थर लगने से कोलियरी के सहायक प्रबंधक राजेश कुमार घायल हो गये. उनका इलाज सेंट्रल अस्पताल धनबाद में चल रहा है.

सरफेस से 60 फीट नीचे मिला मंडवा देवी का शव

सूचना मिलने पर गोंदूडीह ओपी प्रभारी कुंदन कुमार तथा ईस्ट बसुरिया ओपी प्रभारी उपेंद्र कुमार के अलावा जिला पुलिस तथा सीआइएसएफ की टीम मौके पर पहुंच गयी. ग्रामीणों के हंगामा करने के डेढ़ घंटे के बाद रेस्क्यू टीम पहुंची. उसके बाद शव निकालने के लिए पोकलेन से खुदाई शुरू की गयी. जमींदोज हुई महिलाओं का पता नहीं चलने पर एक और पोकलेन मशीन लगायी गयी. करीब साढ़े तीन घंटे खुदाई के बाद भी शव का कोई पता नहीं चला, तो ग्रामीण उत्तेजित हो गये.

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धनबाद : गोफ में समायीं 3 महिलाओं का शव 36 घंटे बाद निकाला गया, मुआवजा और पुनर्वास की मांग को लेकर आंदोलन शुरू 4

लोगों को समझाने-बुझाने के बाद रविवार शाम 5:35 बजे 30 फीट पर ठंडिया देवी का शव मिला. सोमवार की सुबह पारला देवी का शव 45 फीट नीचे मिला. वहीं 60 फीट नीचे फंसी मंदवा देवी का शव रात में मिला. राहत एवं बचाव कार्य में रांची एनडीआरएफ की टीम और गोंदूडीह कोलियरी की रेस्क्यू टीम लगी थी. तीनों महिलाओं के शव निकाले जाने के बाद ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा. लोग घटनास्थल के पास शव रख मुआवजा, नियोजन व पुनर्वास की मांग को ले धरना-प्रदर्शन करने लगे. देर रात तक ग्रामीणों का आंदोलन जारी था.

13 महीने से हो रही है भू-धंसान : मुखिया पति

बौआकला दक्षिण पंचायत की मुखिया आशा देवी के पति छोटकी बौआ निवासी पति महेश रजक ने कहा कि यहां 13 महीना से भू-धंसान हो रही है. पुनर्वास की प्रक्रिया की गयी, लेकिन बीसीसीएल नींद में है. प्रबंधन केवल आश्वासन देते आ रहा है.

Also Read: धनबाद : बाघमारा के तेतुलमारी में भू-धंसान, तीन महिलाएं जमींदोज, रेस्कयू जारी

सरकारी अमीन ने छोटकी बौआ जमीन की मापी की

बाघमारा प्रखंड के सरकारी अमीन पइकू ने सोमवार को छोटकी बौआ सीमा को लेकर मापी की. सूत्रों से पता चला है कि मृतक परिवार को मुआवजा के लिए प्रखंड क्षेत्र का पता लगााया जा रहा है.

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ये महिलाएं हुईं जमींदोज

  • ठंडिया देवी पति गणेश रजक संतान : एक बेटा तथा तीन बेटी

  • परला देवी पति स्व चेतलाल रजक, संतान : चार बेटियां

  • मंडवा देवी पति स्व संतु रजक , संतान : तीन बेटा व तीन बेटी

बीसीसीएल तानाशाह : जयराम

जेबीकेएसएस अध्यक्ष जयराम महतो ने कहा कि प्रबंधन गंभीर नहीं है. पुनर्वास के लिए आवेदन दे रहे हैं, लेकिन प्रबंधन तानाशाह बन गया है. बीसीसीएल तानाशाह बन चुका है.

एनडीआरएफ ने रात में निकाला तीसरा शव

सोमवार की रात साढ़े नौ बजे तक एनडीआरएफ रांची की टीम व जीकेके कोलियरी के रेस्क्यू ट्रेंड कर्मी कंचन दत्ता, आरएपी पासवान, एसएन भारती की टीम ने ज्वाइंट ऑपरेशन चलाया. उसके बाद तीसरी महिला का शव बाहर निकाला गया. उसकी पहचान मंडवा देवी के रूप में की गयी. रात को तीनों शवों के साथ लोगों ने पुनर्वास व मुआवजा की मांग को लेकर मो इसराफिल के नेतृत्व में धरना शुरू कर दिया है.

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लोगों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता : बीसीसीएल

धनबाद. बीसीसीएल प्रबंधन ने गोंदूडीह कोलियरी में भू-धंसान के कारण तीन महिलाओं की मौत पर प्रतिक्रिया दी है. कहा है कंपनी सुरक्षा चिंताओं को बहुत गंभीरता से लेती है. घटना की सूचना मिलते ही बीसीसीएल की रेस्क्यू टीम को घटनास्थल के लिए रवाना की गयी. दुर्भाग्य से कुछ स्थानीय गड़बड़ी और समुदाय के कुछ सदस्यों द्वारा कंपनी के अधिकारियों पर हमले के कारण बचाव कार्य शुरू करने में थोड़ी देरी हुई. हालांकि एक घंटे के अंदर ही बीसीसीएल की रेस्क्यू टीम ने इन चुनौतियों पर काबू पा लिया व रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू कर दिया. झरिया कोयला क्षेत्र, जहां गोंदुडीह कोलियरी स्थित है, वहां कम-कवर भूमिगत खनन का एक लंबा इतिहास है, जो दशकों से जारी है. इन कार्यों के परिणामस्वरूप भू-धंसान हुईं. गड्ढे और अस्थिर क्षेत्र बने. बीसीसीएल भू-धसान क्षेत्रों द्वारा उत्पन्न चुनौतियों को स्वीकार करता है.

पुनर्वास किये बगैर नहीं होने देंगे एक भी काम : जिप सदस्य

जिप सदस्य मो इसराफिल ने कहा कि इस घटना का पूर्ण जिम्मेवार प्रबंधन तथा टुंडी विधायक हैं. विधायक ने पहल कर भूली में लोगों को पुनर्वासित करने के लिए स्थल चयन करवाया था, परंतु काम को अंजाम तक नहीं पहुंचाया.उन्होंने कहा पुनर्वास किये बगैर अब बीसीसीएल का एक भी काम चलने नहीं देंगे. जदयू नेता दीपनारायण सिंह ने कहा कि प्रबंधन अपनी नीति और नीयत को स्पष्ट करे. जानमाल की क्षति किसी कीमत पर सहन नहीं करेंगे.

भू-धंसान की चर्चित घटनाएं

  • वर्ष1995 : केंदुआ-झरिया रोड बीसीसीएल के पुराना अस्पताल के निकट चौरसिया दंपती जमीन के अंदर समा गये. इनका कुछ पता नहीं चला.

  • वर्ष 2008 : नयाडीह कुसुंडा में एक ही परिवार के महिला-पुरुष बच्चे मिलाकर लगभग सात लोग भू-धंसान की चपेट में आ गये थे. एक व्यक्ति जीवित बचा था.

  • वर्ष 2017 : धनबाद-केंदुआ मार्ग से सटे कुर्मीडीह बस्ती में भू-धंसान हुई थी.

  • वर्ष 2021 : गंशाडीह तीन नंबर बस्ती निवासी उमेश पासवान गोफ में समा गया. इलाज के दौरान उसकी मौत हो गयी.

  • 12 अगस्त 2023 : कुसुंडा केडीएसके साइडिंग से कुछ दूरी पर गोधर 6 नंबर (अग्नि प्रभावित) क्षेत्र में रह रहे दैनिक मजदूर विनोद विश्वकर्मा के घर के बाथरूम में शनिवार को लगभग साढ़े चार फीट के दायरे में गहरा भू-धसान हो गयी.

बीसीसीएल पूर्ण रूप से जिम्मेवार, दर्ज हो हत्या का मुकदमा : मथुरा महतो

घटना के ढाई घंटे बाद टुंडी विधायक मथुरा प्रसाद महतो घटनास्थल पहुंचे. महिलाओं व मृतक के परिजनों ने विधायक को घेर कर अपनी पीड़ा सुनायी. विधायक ने घटना की निंदा करते हुए कहा कि यह प्रबंधन की पूर्ण लापरवाही है. बीसीसीएल पर मुकदमा किया जाये. बस्ती को पुनर्वास के लिए ग्रामीण व बीसीसीएल ने जगह का चयन किया था, लेकिन प्रबंधन के टालमटोल रवैया के कारण पुनर्वास नहीं हुआ. पुनर्वास के लिए चयनित स्थल पर काफी पेड़-पौधे थे, जिसकी कटाई के लिए अनुमति भी मिल गयी थी. प्रबंधन सचेत रहता तो घटना नहीं घटती. प्रबंधन बस्ती को तुरंत पुनर्वासित करे.

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