धनबाद : झारखंड के मंत्री और अधिकारी तो शिक्षा पर लंबा चौड़ा भाषण दे देते हैं, लेकिन उनको ठीक करने की कभी जहमत उठाते हैं. हम ऐसा इसलिए कह रहे हैं क्यों कि धनबाद के टुंडी में एक ऐसा स्कूल है जहां पर बच्चे आज भी जर्जर भवन पर पढ़ने को विवश हैं. ये स्कूल प्रखंड के कदवारा गांव में है. इस स्कूल में पहली से पांचवीं तक पढ़ाई होती है. स्कूल के छत इतने कमजोर हो चुके हैं कि प्लास्टर टूट कर गिरने लगता है.
इन सबके बावजूद भी बच्चों की उपस्थिति आम तौर पर 70 प्रतिशत से अधिक रहती है. विद्यालय में 87 बच्चे नामांकित है, लेकिन सिर्फ एक शिक्षक पदस्थापित हैं. विद्यालय के नाम पर जर्जर भवन है, जिसमें दो कमरे हैं. कमरों में छत के प्लास्टर कमजोर हो चुके हैं. प्लास्टर टूट कर गिरते रहते हैं. फरवरी 2022 में क्लास रूम की छत का प्लास्टर टूट कर एक बच्चे पर गिर गया था. इस घटना के बाद क्लास रूम में बैठ कर बच्चे नहीं पढ़ते हैं. उसकी जगह वह खुले आसमान के नीचे या फिर स्कूल के बरामदे में बैठ कर पढ़ना अधिक सुरक्षित समझते हैं.
दो कमरे हैं. विद्यालय का भवन झारखंड के गठन के पहले का बना हुआ है. इसकी कभी मरम्मत ठीक से नहीं हुई है. किचेन शेड भी अधूरा है. इस पर कभी प्लास्टर हुआ ही नहीं है. विद्यालय के बरामदा का खस्ता हाल है. बरामदा का प्लास्टर कमजोर है.
Also Read: दो सांसद, छह विधायक और अफसरों की फौज, फिर भी धनबाद शहर की साढ़े चार लाख की आबादी प्यासीशिक्षक चंदन कुमार महतो बताते हैं कि विद्यालय में पर्याप्त संख्या में बेंच व टेबल हैं, लेकिन बच्चों ने क्लास रूम में बैठ कर पढ़ना बंद दिया है. इसलिए सभी जमीन पर बोरा बिछाकर बैठते हैं. इन बच्चों को एमडीएम के चावल का खाली बोरा बैठने के लिए दिया जाता है. विद्यालय में दरी भी है. कहते हैं कि गर्मी के दिनों में स्कूल परिसर में मौजूद आम के पेड़ के नीचे वह कक्षा लगाते हैं. अभी बारिश का मौसम है इसलिए बरामदे में सभी कक्षा के बच्चों को एक साथ बैठा कर पढ़ाते हैं. बाहर बेंच और टेबल इसलिए नहीं निकालते हैं कि मिट्टी में रखने से उसमें दीमक लग सकता है.
विद्यालय में सिर्फ एक ही शिक्षक चंदन कुमार महतो हैं. अभी उनका एक हाथ हाल में हुए एक हादसे में टूट गया था. उनका कोई विकल्प नहीं है, इसलिए उन्हें स्कूल आना पड़ता है.
इनपुट- चंद्रशेखर सिंह