धनबाद (संजीव झा/ अरिंदम) : पहले तो कोरोना के कारण लागू लॉकडाउन एवं अनलॉक की बंदिशों ने उद्योग जगत की कमर तोड़ दी, रही-सही कसर अब पुलिस महकमा पूरी कर दे रहा है. कभी धनबाद का इंडस्ट्रियल हब कहे जाने वाले निरसा में लगभग नौ माह से सॉफ्ट कोक एवं ब्रिकेट प्लांट बंद हैं. इसके चलते एक हजार से अधिक मजदूर परिवारों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट उत्पन्न हो गया है. इधर, उद्यमियों ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाये हैं.
एक प्लांट में औसतन 30 से 40 मजदूर काम करते हैं. फैक्ट्रियां बंद रहने से परेशान संचालक पूछ रहे हैं कि मजदूरों को वेतन, बकाया बिजली बिल तथा बैंक लोन का सूद कैसे दें ? उनका कहना है कि सरकार कहती है कि उद्योग शुरू करें. इधर, पुलिस ने उनका कारोबार बंद कर दिया है. मार्च के अंतिम सप्ताह में सरकार द्वारा लागू लॉकडाउन के बाद पूरे देश में उद्योग बंद हो गये. जुलाई में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने शर्तों के साथ उद्योग चालू करने का आदेश दिया. अगस्त में राज्य सरकार के निर्देश पर उपायुक्त ने भी आदेश जारी कर कहा कि फैक्ट्री को खोलने के लिए अलग-अलग अनुमति की जरूरत नहीं. एसओपी का पालन करते हुए सभी संचालक फैक्ट्री चलायें.
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निरसा थाना क्षेत्र के मुगमा तथा दूसरे क्षेत्रों में भी फैक्ट्रियां खुलीं, लेकिन निरसा पुलिस ने कहा कि अभी कोरोना काल है. बिना थाना की अनुमति के कोई भी फैक्ट्री नहीं खोलें. इसके बाद क्षेत्र के 22 सॉफ्ट कोक तथा आठ बिक्रेट प्लांट बंद हो गये. आज भी इन प्लांटों में उत्पादन ठप है. मां करुणामयी इंडस्ट्री मारकोरा की स्थापना वर्ष 2005 में हुई थी. आज फैक्ट्री में बनीं भठ्ठियों में मकड़ियों का जाला फैला हुआ है. नौ माह से इसका संचालन पूरी तरह बंद है. यह हालत लगभग बंद दूसरे प्लांटों की भी है.
पूरे निरसा अंचल क्षेत्र में सुमित फ्यूल्स मुगमा, शांति उद्योग मुगमा, जय माता दी फ्यूल्स मुगमा, मां छिन्नमस्तिका सॉफ्ट कोक निरसा, मां करुणामयी फ्यूल्स मुगमा, नरसिंह ईंधन उद्योग निरसा, पशुपति ईंधन उद्योग निरसा, मॉडर्न फ्यूल्स निरसा सहित 30 से अधिक फैक्ट्रियां बंद हैं. निरसा थाना क्षेत्र में हार्ड कोक, सॉफ्ट कोक, ब्रिकेट (गुल), रिफ्रैक्ट्री, बीपी सेट की फैक्ट्री सहित अन्य तरह की फैक्ट्री संचालित हैं. सॉफ्ट कोक, ब्रिकेट का उपयोग डोमेस्टिक यूज के लिए किया जाता है, जबकि हार्ड कोक का उपयोग कमर्शियल यूज में लोहा, स्टील फैक्ट्री के लिए होता है. वहीं रिफ्रैक्ट्री का उपयोग बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों में उत्पादित मॉडल का सांचा बनाने के लिए किया जाता है.
निरसा के एसडीपीओ विजय कुमार कुशवाहा ने कहा कि कुछ लोगों के द्वारा पुलिस पर बेवजह अनर्गल आरोप लगाया जा रहा है. हाल के दिनों में कोरोना काल में भी कुछ लोग अवैध कोयला कारोबार करने के मामले में दोषी पाये गये थे, जिसकी वीडियो रिकॉर्डिंग भी पुलिस ने की है. इसे कभी भी सार्वजनिक किया जा सकता है. फैक्ट्री चालू या बंद कराने का आदेश देना पुलिस का काम नहीं है. लोग नियम-कानून के कागजात के साथ अपनी फैक्ट्री का संचालन करें. किसी को कोई असुविधा नहीं है. अभी भी कई फैक्ट्रियां क्षेत्र में संचालित हैं. पुलिस कहां किसको बंद कराने गयी है.
सॉफ्ट कोक ऑनर्स एसोसिएशन के संयोजक और सुमित फ्यूल्स मुगमा के प्रबंधक सतीश अग्रवाल ने कहा कि एक तरफ लॉकडाउन के बाद एमएचए की गाइडलाइन प्लांट खोलने के लिए आया. दूसरी और निरसा पुलिस ने कोलियरी का कोयला देखकर भी प्राथमिकी दर्ज कर दी. प्रबंधन पक्ष से कागजात तक नहीं मांगा गया. उल्टा दर्ज प्राथमिकी में कहा गया कि प्रबंधन द्वारा जो कागज उपलब्ध कराया गया है, वह फर्जी है. फैक्ट्री प्रबंधन कई तरह के दबाव में है. पुलिस के आतंक से उन्हें बचाने की आवश्यकता है.
मामले में एडीएम (लॉ एंड ऑर्डर) सह डीसी द्वारा गठित जांच टीम के अध्यक्ष चंदन कुमार ने निरसा थानेदार सुभाष कुमार सिंह को शो-कॉज किया है. श्री कुमार ने कहा कि पुलिस अपने क्षेत्राधिकार में रहे. किस अधिकार के तहत पुलिस ने उद्योगों को बंद करने को कहा है, इसका स्पष्टीकरण मांगा गया है.
Posted By : Guru Swarup Mishra