गोमो, बेंक्टेश शर्मा : फुटबॉल का क्रेज पूरी दुनिया में है. विदेशी फुटबॉल खिलाड़ी इस खेल के जरिये अरबों-खरबों रुपये कमाते हैं. लेकिन कुछ ऐसे खिलाड़ी भी हैं, जिन्हें हालात ने कहीं से कहीं ले जाकर छोड़ दिया है. वे खेलना छोड़ दो वक्त की रोटी जुटाने के लिए मजदूरी तक कर रहे हैं. आज हम ऐसे ही एक नेशनल फुटबॉलर के बारे में बताने जा रहे हैं, जो गोमो विद्युत लोको शेड में ठेकेदार के अधीन कार्य कर रहा है. नाम है दामोदर प्रसाद महतो. तोपचांची प्रखंड अंतर्गत लक्ष्मीपुर गांव के रहने वाले दामोदर कहते हैं, ‘बेरोजगारी की मार और पारिवारिक बोझ ने मुझे मजदूर बनाकर छोड़ दिया,’ 35 साल के इस प्रतिभावान खिलाड़ी ने बताया, ‘मैं बचपन में अपने गांव के निकट टांड़ में खिलाड़ियों को फुटबॉल खेलते देखता था. मुझमें भी खेलने की जिज्ञासा जगी और फुटबॉल खेलना शुरू किया.
दामोदर बताता है कि वह वर्ष 2009 से 2011 तक समस्तीपुर रेल मंडल की ओर से फुटबॉल खेल चुका है. राज मिल्क पटना की टीम से भी फुटबॉल खेल चुका है. धनबाद में लीग मैच बंद रहने के कारण 2014 तथा 2015 में बिहार के गया जिले की टीम से फुटबॉल खेला. तमाम प्रयास के बाद दामोदर को खेल कोटा से नौकरी नहीं मिली. जब उसे इस बात का अहसास हुआ कि अब खेलने से कोई फायदा होने वाला नहीं है, तो वर्ष 2017 में फुटबॉल खेलना छोड़ दिया. वह अपनी पुश्तैनी जमीन पर खेती में जुट गया, लेकिन सिंचाई की समुचित व्यवस्था नहीं होने के कारण साल भर खेती नहीं कर पाता. साल 2019 में दामोदर वैवाहिक बंधन में बंध गया.
पारिवारिक बोझ धीरे-धीरे बढ़ता चला गया. ऐसे में उसे मजदूर बनना पड़ा. फिलहाल दामोदर गोमो रेल स्टेशन के विद्युत लोको शेड के इ-2 सेक्शन में ठेकेदार के अधीन मजदूरी कर रहा है. वह विद्युत इंजन में थ्री फेज मोटर से जुड़ा काम कर रहा है. दामोदर का कहना है कि खिलाड़ियों को सीधी नियुक्ति का लाभ मिलना चाहिए, ताकि खेल के प्रति उनका रुझान बढ़े. वर्तमान सरकार ने सीधी नियुक्ति का मौका तो दिया है, लेकिन गिने-चुने खिलाड़ियों को ही इसका लाभ मिल सका है.
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2004 में 27वें सब जूनियर नेशनल चैंपियनशिप
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2004-05 में रणधीर वर्मा डीएफए चैलेंज शील्ड फुटबाॅल टूर्नामेंट
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2007 में प्रथम जिला ओलंपिक गेम्स
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2008-09 में राज्य स्तरीय मुख्यमंत्री कप एवं खेल मंत्री कप फुटबॉल प्रतियोगिता
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2009-10 में धनबाद जिला खेलकूद प्रतियोगिता
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2013 में एनुअल स्पोर्ट्स मीट धनबाद
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दामोदर के पिता नवरतन महतो रेलवे में नौकरी करते थे. घर में किसी चीज की कमी नहीं थी. कोई बोझ नहीं था. दामाेदर ने खेल पर पूरा फोकस किया. नतीजा प्रखंड, जिला तथा राज्य स्तर पर कई फुटबॉल मैच खेले. वर्ष 2004 में पहली बार नेशनल लेवल पर खेलने का मौका मिला. उसने 27वें सब जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लिया.