बेटी के हाथ पीले करने के लिए तीन माह पहले सतबरवा, पलामू के श्यामदेव सिंह कमाने के लिए धनबाद आये थे. इसी साल उनकी बेटी की शादी होनी थी. पलामू में ही रिश्ता तय हुआ था. अब उनके शव को बेटी के पास कैसे ले जाये. यह कहते-कहते श्यामदेव के ससुर गरीबा सिंह पोस्टमार्टम हाउस में फूट-फूट कर रोने लगे. वह अपने दामाद व उनके छोटे भाई का शव लेने के लिए यहां पहुंचे थे. कहा कि छोटे भाई गोविंद सिंह ने सिक्का इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में श्यामदेव को काम दिलवाया था.
सोमवार को निचितपुर हॉल्ट के समीप झारखोर रेलवे क्रॉसिंग के पास अन्य मजदूरों के साथ दोनों भाई भी काम कर रहे थे. इसी दौरान हादसा हुआ और दोनों भाइयों के साथ छह मजदूरों की मौत हो गयी. कहा कि दामाद के शव को वह अपनी बेटी व नतनी के सामने कैसे ले जायेंगे. इसी तरह अन्य मजदूरों के शव को लेने पहुंचे परिजनों का भी यही हाल था. उनकी चीत्कार से पूरा पोस्टमार्टम हाउस गूंज उठा. मंगलवार को दिन के 11 बजे सभी का पोस्टमार्टम शुरू हुआ. वही दोपहर तीन बजे के लगभग पोस्टमार्टम के बाद शव को उनके-उनके परिजनों को सौंप दिया गया. शव को लेने पहुंचे परिजनों ने कंपनी पर लापरवाही का आरोप लगाया.
मजदूरों का शरीर करंट से बुरी तरह जल चुका था. ऐसे में शवों के पोस्टमार्टम के दौरान डॉक्टरों को काफी परेशानी हुई. शरीर के कई हिस्सा गल गया था. ऐसे में थैली में शरीर से निकला हिस्सा को बांध कर उनके परिजनों को दिया गया.
झारखोर में हादसे के बाद पूरा रेल महकमा सकते में है. धनबाद रेल मंडल द्वारा गठित टीम मामले की जांच कर रही है वहीं दूसरी ओर पूर्व मध्य रेल मुख्यालय ने भी मामले की जांच के लिए एक टीम बनायी है, जो बुधवार को धनबाद आएगी. दो दिनों तक धनबाद में रह कर जांच करेगी.
बरवाडीह लातेहार के मीरवाइकला गांव के रहने वाले संजय राम की शादी दो साल पहले हुई थी. एक साल की बेटी है. कुछ दिन पहले ही वो गांव से लौटा था. उनके शव को लेने पहुंचे चचेरे भाई संदीप राम ने बताया कि संजय की मौत की घबर मिलने के बाद से ही पत्नी का रोरो कर बुरा हाल है. शव को भाभी के पास ले जाने के लिए वो हिम्मत नहीं जुटा पा रहे है.
हादसे में मृत इलाहाबाद के रहने वाले राम सुरेश मिस्त्री के शव को लेने के लिए उनके भाई रवि शंकर पहुंचे थे. बताया कि राम सुरेश मिस्त्री घर में अकेला कमाने वाले थे. हादसे में उनकी मौत के बाद घर पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. उनके तीन छोटे-छोटे बच्चे है. पढ़ाई से लेकर घर का सारा खर्च राम सुरेश द्वारा भेजे गए पैसों से चलता था.
झालदा, पुरुलिया के रहने वाले धर्मनाथ भुइयां की हादसे में हुई मौत से बूढ़े बाप का सहारा छीन गया. मंगलवार को उनके 70 वर्षीय पिता सुबल मांझी शव को लेने के लिए पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे थे. बताया कि धर्मनाथ उनका इकलौता पुत्र था. उनके तीन बच्चे है. बताया कि पूरे परिवार की जिम्मेदारी धर्मनाथ के कंधे पर थी. उनकी मौत के बाद घर में कमाने वाला कोई नहीं बचा.