धनबाद : धनबाद में जमाडा कर्मी के आश्रित 162 दिनों से सड़क किनारे खाना बनाने को व सोने को विवश हैं. नियोजन की मांग को लेकर वो लगातार जमाडा मुख्यालय में धरने पर बैठे हुए हैं. लेकिन न तो संस्थान के प्रबंधन इसकी सुध ले रहा है और न ही जनप्रतिनिधि. खुले आसमान के नीचे तो सोना इन लोगों की रूटीन बन गयी है. मंगलवार को प्रभात खबर की टीम दोपहर एक बजे धरना स्थल पहुंची.
वहां गैस चूल्हा पर दाल पक रही थी. पास ही में एक व्यक्ति सब्जी काट रहा था, तो दूसरा चावल चुन रहा था. पूछने पर उनलोगों ने कहा : जब तक नियोजन नहीं होता है, आंदोलन जारी रहेगा. इस मामले को विधायक पूर्णिमा सिंह विधानसभा में उठा चुकी हैं. बावजूद कोई सुधि नहीं ले रहा है.
आश्रितों का कहना था कि घर की स्थिति खराब है. बाबूजी के निधन के बाद जो पावना की राशि मिली, उससे कुछ दिनों तक परिवार का भरण-पोषण हुआ. अब स्थिति काफी दयनीय हो गयी है. 162 दिनों से यहां धरना पर बैठे हैं. परिवार के लोग दैनिक मजदूरी कर किसी तरह जीवन-यापन कर रहे हैं.
इधर, जमाडा प्रबंधन का कहना है कि आश्रितों के नियोजन के लिए सरकार को पत्र लिखा गया था. सरकार ने पूछा है कि 108 कर्मियों के नियोजन पर वेतन मद में कितना खर्च आयेगा. सरकार को 108 कर्मियों के वेतन मद में सालाना 3.29 करोड़ खर्च का ब्योरा भेज दिया गया है. अब सरकार के आदेश पर आगे की कार्यवाही शुरू की जायेगी.
धरनार्थियों का कहना है कि पूर्व विधायक राजकिशोर महतो (अब स्वर्गीय) की पहल पर सहमति बनी थी कि सभी मृत कर्मियों के आश्रितों से प्राप्त आवेदन के आधार पर एक समेकित सूची तैयार की जायेगी. अनुकंपा समिति तैयार सूची की समीक्षा करेगी. प्राधिकार के वित्तीय स्थिति एवं कार्यबल के परिप्रेक्ष्य में विभाग को मार्गदर्शन के लिए पत्र दिया जायेगा. इसके बाद जनवरी 2018 से चरणबद्ध तरीके से अनुकंपा समिति की बैठक कर नियमानुसार यथोचित नियोजन देने की कार्रवाई की जायेगी. लेकिन आज तक जमाडा प्रबंधन की ओर से पहल नहीं की गयी.