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आदिवासी जमीन मालिक कर रहा मौत से संघर्ष 24 लाख मुआवजा खा गये अफसर और दलाल

विंदपुर (धनबाद) के बगसुमा निवासी खगेन हांसदा पिछले कई वर्षों से बीमार हैं. बिस्तर पर पड़े हैं. किडनी रोग से ग्रसित खगेन हांसदा डायलिसिस पर हैं. राष्ट्रीय उच्च पथ-2 (जीटी रोड) बरवाअड्डा से बराकर के बीच सड़क विस्तारीकरण में डेडे हांसदा (खतियान में हांसदा परिवार के वंशज का नाम) की जमीन गयी

आनंद मोहन, रांची : गो. खतियानी आदिवासी जमीन को गैर आदिवासी के नाम कर 24 लाख 34 हजार 704 रुपये का मुआवजा उठा लिया गया़ मुआवजा का भुगतान वर्ष 2016 में ही विनोद कुमार बोकानिया के नाम किया गया. खगेन हांसदा की पत्नी उर्मिला हांसदा बगसुमा पंचायत की मुखिया है़ं

वह पिछले चार वर्षों से अंचल व भू-अर्जन कार्यालय का चक्कर लगा रही हैं, लेकिन उन्हें उनका हक नहीं मिला़ खगेन हांसदा ने अपने वंशज व सही रैयत डेडे हांसदा की खतियानी जमीन का कागजात देकर उपायुक्त व जिला भू-अर्जन पदाधिकारी को आवेदन देकर मुआवजे की मांग की है.

खगेन हांसदा के आवेदन पर 13 दिसंबर 2016 को तत्कालीन सीओ अनिल कुमार ने जांच रिपोर्ट में लिखा है कि 1.90 डिसमिल जमीन डेडे हांसदा की है. यानी खगेन हांसदा के वंशज के नाम पर ही है़ बावजूद इसके आदिवासी परिवार को अब तक मुआवजा नहीं मिला है़ इस पूरे खेल में अंचल कार्यालय के अधिकारी-कर्मचारी व भू-अर्जन कार्यालय के लोगों की मिलीभगत है़ आदिवासी रैयतों की जमीन पर गैर आदिवासी मुआवजा उठा रहे है़ं

167 डिसमिल भूमि खतियान डेडे हांसदा व अन्य के नाम : इस मामले में सच को छुपाया जा रहा है़ खाता संख्या 11, प्लॉट संख्या 445 (आदिवासी खाते) में कुल रकबा 1.67 एकड़ है़ रतनपुर मौजा के खाता नंबर 11, प्लॉट नंबर 445 रकबा 167 डिसमिल भूमि खतियान डेडे हांसदा व अन्य के नाम है. इसका लगान भी डेडे हांसदा के वंशजों द्वारा चुकाया जा रहा है. वर्ष 2016 में लगान रसीद क्रमांक 090670 प्रमाण है. भूमि राष्ट्रीय उच्च पथ के किनारे है. भूमि के संबंध में अंचल कार्यालय गोविंदपुर से तीन अलग-अलग प्रतिवेदन निर्गत हुआ है. इससे अंचल कार्यालय की कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न खड़ा होता है.

जीटी रोड चौड़ीकरण में जमीन का हुआ अधिग्रहण, पर आदिवासी रैयत को नहीं मिला मुआवजा

घोटाला

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पत्नी चार वर्षों से न्याय के लिए लगा रही हैं दौड़, आदिवासी खतियानी जमीन पर मुआवजा उठाया गैर आदिवासी ने

एक ही जमीन पर अलग-अलग रिपोर्ट : एक ही जमीन पर अंचल कार्यालय से अलग-अलग रिपोर्ट दी जा रही है़ गोविंदपुर अंचल के रतनपुर मौजा के पुराना खाता नंबर 11, प्लॉट नंबर 445 जो आदिवासी की जमीन है़ इसी जमीन के एक भाग का अधिग्रहण जीटी रोड विस्तारीकरण के लिए हुआ है़ छह मई 2016 को तत्कालीन अंचलाधिकारी प्रेम तिवारी, हल्का कर्मचारी देवेंद्र सिंह, अंचल निरीक्षक दयानंद प्रसाद, अमीन लखन एवं राजू ने जांच प्रतिवेदन में विनोद कुमार बोकानिया की जमीन 7.47 डिसमिल बतायी थी़ इसी आधार पर बोकानिया को मुआवजा देने का खेल हुआ़

हालांकि अंचल कार्यालय में भुक्तभोगी परिवार बार-बार इससे संबंधित कागजात मांग रहा है, लेकिन दिखाया नहीं जा रहा है़ सात महीने बाद तत्कालीन अंचलाधिकारी अनिल कुमार, अंचल निरीक्षक, हल्का कर्मचारी दयानंद प्रसाद ने अपने जांच प्रतिवेदन में उक्त खाता की जमीन डेडे हांदसा की बताते हुए रकबा 1.90 डिसमिल लिखा है़ इसी प्लॉट संख्या 445 में आदिवासी की शेष भूमि का मालिक कौन है, दूसरे जांच प्रतिवेदन में साफ नहीं किया गया है़ सीएनटी एक्ट की धज्जियां उड़ायी गयी है.

भुक्तभोगी परिवार की पीड़ा : हमारे साथ अन्याय हुआ है़ हमारी पुस्तैनी जमीन है़ मैं बीमार हू़ं हमलोगों ने अंचल कार्यालय में हर तरह के दस्तावेज दिखाये हैं, लेकिन हमारी सुननेवाला कोई नहीं है़

खगेन हांसदा, भुक्तभोगी : पुश्तों से हमारी जमीन है़ जमीन हमारी है, तो मुआवजा कोई कैसे उठा लेगा. जब हमें जानकारी मिली, तो हम लोग हर जगह गये़ पिछले चार वर्षों से दौड़ रहे है़ं हमारे साथ जालसाजी हो रही है.

उर्मिला हांसदा, खगेन की पत्नी व मुखिया

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