Prabhat Khabar Explainer: धनबाद के गोमो रेलवे स्टेशन परिसर में क्रू लॉबी तथा मुख्य क्रू नियंत्रक कार्यालय के समक्ष झंडोत्तोलन के दौरान डेटोनेटर फटने से गोमो तथा कोडरमा के एक-एक सहायक लोको पायलट घायल हो गए. दोनों घायलों का इलाज प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (मुख्य) में हुआ.
क्या है मामला
जानकारी के अनुसार, स्टेशन परिसर में झंडोत्तोलन के दौरान डेटोनेटर (फाग सिग्नल) फोड़ने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. सोमवार को मुख्य क्रू नियंत्रक तथा क्रू लॉबी के समक्ष झंडोत्तोलन किया जा रहा था. रेल पटरी पर डेटोनेटर पहले से बंधी थी. झंडोत्तोलन होते ही डेटोनेटर फोड़ने के लिए उस पटरी से एक इलेक्ट्रिक इंजन पास कराया जा रहा था. इस दौरान मुख्य क्रू नियंत्रक कार्यालय के पास डेटोनेटर का कुछ भाग उड़कर गोमो के सहायक लोको पायलट शशि भूषण कुमार के दायें हाथ के बाजू में घुस गया. वहीं, क्रू लॉबी के पास डेटोनेटर का कुछ टुकड़ा कोडरमा के सहायक लोको पायलट दीपक कुमार के पेट में घुस गया.
दोनों घायलों को रेलवे स्वास्थ्य केंद्र ले गए
मौके पर मौजूद रेल चालकों ने तुरंत उक्त दोनों घायल रेल कर्मियों को रेलवे स्वास्थ्य केंद्र ले गए. जहां चिकित्सक ने प्राथमिक उपचार के बाद दोनों घायल रेल कर्मियों को आराम करने की सलाह देते हुए छोड़ दिया. मुख्य क्रू नियंत्रक के कुमार, चीफ लोको इंस्पेक्टर डी कुमार, प्रशिक्षक पी पंडित, चीफ यार्ड मास्टर बीसी मंडल, ईसीआरकेयू तथा ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन के कई सदस्यों व पदाधिकारियों ने दोनों घायल रेल कर्मियों से हालचाल पूछा.
क्यों लगाया जाता है डेटोनेटर
रेलवे की भाषा में डेटोनेटर को फॉग सिग्नल कहा जाता है. डेटोनेटर प्रत्येक रनिंग कर्मचारी को ड्यूटी पर जाने से पहले दिया जाता है क्योंकि यह सुरक्षा से जुड़ी है. डेटोनेटर की वैधता करीब सात वर्ष की होती है. जिस डेटोनेटर की वैधता समाप्त होने की कगार पर रहती है. उसे गणतंत्र दिवस तथा स्वतंत्रता दिवस के दिन रेल पटरी पर बांधकर पटाखा के रूप में रेल इंजन पास करा कर विस्फोट करा दिया जाता है.
कब होता है डेटोनेटर का इस्तेमाल
रेल परिचालन के दौरान किसी प्रकार की अनहोनी होने पर रेल चालक तथा ट्रेन मैनेजर डेटोनेटर का इस्तेमाल करते हैं. दुर्घटना होने पर लोको रनिंग कर्मचारी बगल वाली रेल पटरी पर तथा ट्रेन मैनेजर अपने गार्ड ब्रेक से पीछे रेल पटरी पर डेटोनेटर बांध देते हैं. पहला डेटोनेटर 600 मीटर, दूसरा डेटोनेटर 1200 मीटर, तीसरा डेटोनेटर 1210 मीटर तथा चौथा चौथा डेटोनेटर 1220 मीटर की दूरी पर लगाया जाता है. घटनास्थल की ओर आ रहे ट्रेन के पहिए से डेटोनेटर फटने की आवाज सुनकर रेल चालक सतर्क हो जाएगा और घटनास्थल से पहले ही अपनी ट्रेन को रोक देगा. जिससे दूसरी ट्रेन दुर्घटनाग्रस्त होने से बच जाएगी.
रिपोर्ट : वेंक्टेश शर्मा, गोमो, धनबाद.