धनबाद : एसएफसी के कांड्रा गोदाम के स्टॉक में दावे से 632 बोरा चावल कम मिला है. मंगलवार को एडीएम (लॉ एंड ऑर्डर) चंदन कुमार ने उपायुक्त को जांच रिपोर्ट सौंपते हुए गोदाम प्रबंधक और सहायक गोदाम प्रबंधक से 12,64,000 रुपये की वसूली का आग्रह किया है. साथ ही गोदाम में चावल, गेहूं और चीनी आदि का वास्तविक अंतर कितने बोरे का है, इसकी गणना के लिए एक कमेटी गठित करने का आग्रह किया है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि जिले के अन्य आठ गोदामों में भी इसी प्रकार की अनियमितता बरती जा रही है. जांच रिपोर्ट में इस संबंध में भी संज्ञान लेने का आग्रह किया गया है.
एडीएम ने रिपोर्ट में बताया कि कांड्रा स्थित एसएफसी गोदाम के प्रबंधक भोगेंद्र ठाकुर, जिला आपूर्ति पदाधिकारी, धनबाद तथा सहायक गोदाम प्रबंधक जयदीप गिरी ( जनसेवक ) हैं. गोदाम के दो हॉलनुमा कमरों में चावल, गेहूं , चीनी और नमक की बोरियां रखी हुई हैं. जांच में पाया गया कि कांड्रा एसएफसी गोदाम की भंडार पंजी और स्टॉक रजिस्टर एक साल से अधिक समय से संधारित नहीं किया गया है, जो अपने आप में घोर अनियमितता है.
भंडार पंजी के नियमित संधारण नहीं होने के फलस्वरुप वर्तमान में इस गोदाम में कितना राशन उपलब्ध होना चाहिए, इसे सुनिश्चित कर पाना कठिन हो जाता है. वर्तमान में गोदाम मैनेजर द्वारा रफ कागजों में स्टॉक लिखा जा रहा है.
इसका दुरुपयोग कर गोदाम के राशन में हेराफेरी करने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है. यहां यह उल्लेखनीय है कि पूर्व में भी वर्ष 2013 में टुंडी गोदाम में लक्ष्मीकांत बनर्जी द्वारा ऐसी ही अनियमितता की गयी थी , जिसके विरुद्ध 4000 रुपये प्रति क्विंटल की दर से वर्तमान में वसूली जिला प्रशासन द्वारा की जा रही है.
रिपोर्ट के मुताबिक गोदाम के सहायक प्रबंधक जयदीप गिरि ने रफ कागज पर जोड़ कर बताया कि उनके यहां जांच के समय 39060 बोरा चावल और 11738 बोरा गेहूं होना चाहिए. स्टॉक रजिस्टर संधारित नहीं होने के कारण इनके दावा की पुष्टि नहीं की जा सकी. तथापि, जयदीप गिरि के दावा को ही आधार मानते हुए जांच दल द्वारा गोदाम में रखे बोरों की स्टैण्डर्ड विधि से गणना की गयी.
जिसमें गोदाम के प्रथम कक्ष में 16745 बोरा तथा द्वितीय कक्ष में 20477 बोरा चावल मिले. जिसका कुल योग 37222 बोरा चावल होता है, जो स्टॉक दावा से 1838 बोरा कम है. इस गणना के बाद सहायक गोदाम प्रबंधक द्वारा दावा किया गया कि स्टॉक लेयर सही तरीके से नहीं रखा गया है , जैसे कहीं-कहीं 35 बोरों का स्टाक लेयर में 36 या 37 बोरा भी रखा हुआ है. इसी कारण से यह अंतर आ रहा है. जिसके बाद गोदाम के ही दो कार्यरत मजदूरों से सहायक गोदाम प्रबंधक की उपस्थिति में ही उनके ही दावानुसार पुनः गणना करायी गयी.
इस गणना के अनुसार गोदाम के प्रथम कक्ष में 17157 बोरा तथा द्वितीय कक्ष में 21271 बोरा ही चावल पाये गये. पुनः गणना करने के पश्चात कुल 632 बोरे चावलों की कमी पायी गयी. दोनों गणना के अनुसार इस बात में संदेह नहीं है कि गोदाम के संचालन में घोर अनियमितता बरती जा रही है. यह निर्देश दिया गया है कि गोदाम संचालन के क्रम में ऐसी क्षति के मद में निगमकर्मियों ( गोदाम प्रबंधक इत्यादि ) से 4000 रुपये प्रति क्विंटल चावल के मूल्य की वसूली अनिवार्य रुप से की जानी है.
साथ ही कांड्रा एसएफसी के गोदाम प्रबंधक और सहायक गोदाम प्रबंधक से स्पष्टीकरण मांगना उचित होगा कि क्यों उनके द्वारा भंडार पंजी व स्टॉक पंजी का संधारण एक साल से अधिक समय से नहीं किया जा रहा है और क्यों इस कृत्य के लिए उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू नहीं की जाये.
जांच रिपोर्ट में एडीएम (लॉ एंड ऑर्डर) ने बताया कि चार जनवरी को गुप्त सूचना मिली कि कांड्रा एसएफसी गोदाम के पदाधिकारियों द्वारा गोदाम का स्टॉक कालाबाजारी के उद्देश्य से बाजार में बेचा जा रहा है और इसकी पुष्टि गोदाम के स्टॉक का भौतिक सत्यापन कराने पर हो सकती है.
गत वर्ष धनबाद जिले में 11 लाख 90 हजार 143 क्विंटल अनाज का वितरण 9 गोदामों के माध्यम से किया गया है, जिसका अनुमानित बाजार मूल्य लगभग 476 करोड़ रुपया है. गौरतलब है कि तीन जनवरी को मां अंबे आटा चक्की के विरुद्ध जांच के क्रम में बिना रसीद के 110 बोरा गेहूं पकड़ा गया था. इसी आटा चक्की के संचालक मां अम्बे सहायता समूह जन वितरण प्रणाली दुकान भी चलाते हैं और यह दावा किया गया है कि उक्त आटा चक्की में कांड्रा स्थित एसएफसी गोदाम का ही गेहूं कालाबाजारी के उद्देश्य से रखा गया है.
उपरोक्त सूचना के आधार पर तत्काल जांच दल का गठन कर चार जनवरी को कांड्रा गोदाम के स्टॉक की जांच-पड़ताल की गयी. जांच दल में अंचल अधिकारी (झरिया) राजेश कुमार, कार्यपालक दंडाधिकारी सुशांत मुखर्जी और प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी ( टुंडी) सह पणन पदाधिकारी (धनबाद) अनुभाजन निर्मल कुमार सिंह सम्मिलित थे.
जांच रिपोर्ट में एडीएम (लॉ एंड ऑर्डर) ने बताया कि चार जनवरी को गुप्त सूचना मिली कि कांड्रा एसएफसी गोदाम के पदाधिकारियों द्वारा गोदाम का स्टॉक कालाबाजारी के उद्देश्य से बाजार में बेचा जा रहा है और इसकी पुष्टि गोदाम के स्टॉक का भौतिक सत्यापन कराने पर हो सकती है. गत वर्ष धनबाद जिले में 11 लाख 90 हजार 143 क्विंटल अनाज का वितरण 9 गोदामों के माध्यम से किया गया है, जिसका अनुमानित बाजार मूल्य लगभग 476 करोड़ रुपया है.
गौरतलब है कि तीन जनवरी को मां अंबे आटा चक्की के विरुद्ध जांच के क्रम में बिना रसीद के 110 बोरा गेहूं पकड़ा गया था. इसी आटा चक्की के संचालक मां अम्बे सहायता समूह जन वितरण प्रणाली दुकान भी चलाते हैं और यह दावा किया गया है कि उक्त आटा चक्की में कांड्रा स्थित एसएफसी गोदाम का ही गेहूं कालाबाजारी के उद्देश्य से रखा गया है.
उपरोक्त सूचना के आधार पर तत्काल जांच दल का गठन कर चार जनवरी को कांड्रा गोदाम के स्टॉक की जांच-पड़ताल की गयी. जांच दल में अंचल अधिकारी (झरिया) राजेश कुमार, कार्यपालक दंडाधिकारी सुशांत मुखर्जी और प्रखंड आपूर्ति पदाधिकारी ( टुंडी) सह पणन पदाधिकारी (धनबाद) अनुभाजन निर्मल कुमार सिंह सम्मिलित थे.
Posted By : Sameer Oraon