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Subhash Chandra Bose Jayanti 2023: नेताजी के ‘ऐतिहासिक निष्क्रमण’ से जुड़ा है झारखंड के इस स्टेशन का इतिहास

धनबाद के गोमो से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की गहरी यादें जुड़ी हैं. 18 जनवरी, 1941 को महानिष्क्रमण के लिए नेताजी ने यहीं से ट्रेन पकड़े थे. इसी हर साल 18 जनवरी को महानिष्क्रमण दिवस मनाया जाता है. इस दिन नेताजी एक्सप्रेस ट्रेन के लोको पायलट, सहायक लोको पायलट तथा ट्रेन मैनेजर को सम्मानित किया जाता है.

गोमो (धनबाद), बेंक्टेश शर्मा : भारत के महान क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस के महानिष्क्रमण (Great Exodus) से जुड़े अतीत का कुछ पल गोमो से जुड़ा है. जिसे बताने के लिए गोमो स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर एक तथा दो पर स्थापित नेताजी की प्रतिमा ही काफी है. जानकारी के अनुसार, नेताजी सुभाषचंद्र बोस को हॉलवेल मूवमेंट (Hollwell Monument) के दौरान दो जुलाई, 1940 को अंग्रेज सिपाहियों ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. वह अंग्रेजों के इस हरकत से नाराज होकर जेल में ही अनशन पर बैठ गए. जिससे उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आने लगी. अंग्रेज अधिकारियों ने नेताजी को इस शर्त पर रिहा कि इस दौरान नेताजी कलकता के एल्गिन रोड स्थित अपने आवास पर रहेंगे. तबियत ठीक होने पर उन्हें दोबारा गिरफ्तार कर लिया जायेगा.

काबुली वाले के भेष में घर से निकले थे नेताजी

अंग्रेज अधिकारियों में नेताजी के चालाकी से बहुत खौफ था. इस वजह से अंग्रेज अधिकारियों ने उनके आवास के चारों ओर कड़ा पहरा लगा दिया था. इस मामले में 27 जनवरी, 1941 को सुनवाई होने वाली थी. जिसमें नेताजी को कड़ी सजा मिलने वाली थी. इस बात की भनक नेताजी को पहले ही मिल चुकी थी. नेताजी ने काबुली वाले के भेष में अपने घर से आसानी से निकल गए. जब अंग्रेज अधिकारियों को नेताजी के फरार होने की सूचना मिली, तो अंग्रेज अधिकारियों में खलबली मच गई. उन्हें पकड़ने का प्रयास तेज कर दिया. उससे पहले नेताजी पश्चिम बंगाल की सरहद को पार कर चुके थे.

गोमो स्टेशन से पकड़े थे ट्रेन

वह बरारी स्थित अपने भतीजा शिशिर चंद्र बोस के आवास पर पहुंच गये. वह बरारी से काले रंग की बेबी ऑस्ट्रिकन कार से भतीजा शिशिर चंद्र बोस तथा उसकी पत्नी के साथ सीधे 17 जनवरी की रात गोमो स्टेशन पहुंचे थे. वह अपने ऐतिहासिक महानिष्क्रमण के लिए 17-18 जनवरी, 1941 की रात गोमो से पेशावर मेल (नाम बदलकर कालका मेल और फिर नेताजी एक्सप्रेस हो गया) पकड़कर गंतव्य की ओर रवाना हो गए. ऐसा कहा जाता है कि नेताजी फिर दोबारा अंग्रेजों के हाथ नहीं आये.

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18 जनवरी को महानिष्क्रमण दिवस

महानिष्क्रमण के दौरान नेताजी को अंतिम बार गोमो में ही देखा गया था. उनके जीवन का शेष भाग कहां और कैसे गुजरा, अभी तक साफ नहीं हो पाया है. इसलिए महानिष्क्रमण दिवस मानाने का गौरव केवल गोमो को प्राप्त है. हर साल 18 जनवरी को महानिष्क्रमण दिवस के दिन विभिन्न संगठनों की ओर से उनकी प्रतिमा पर माल्यार्पण किया जाता है.

क्रू मेंबर को करते हैं सम्मानित

गोमो स्टेशन पर हर साल 18 जनवरी (17 जनवरी की रात) को स्थानीय लोगों की ओर से अप नेताजी एक्सप्रेस ट्रेन के लोको पायलट, सहायक लोको पायलट तथा ट्रेन मैनेजर को माला पहनाकर सम्मानित किया जाता है. ट्रेन के इंजन पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर को लगाकर गंतव्य की ओर रवाना किया जाता है. यह परंपरा पिछले कई वर्षों से निरंतर आज भी जारी है.

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