Dhanbad News धनबाद : कहते हैं प्रतिभा किसी डिग्री की मोहताज नहीं होती. यह बात वासेपुर स्थित आरा मोड़ के समीप किताब दुकान चलाने वाले मो. नाजुल हसन के तीन पुत्रों पर सटीक बैठती है. नाजुल परिवार के साथ बाइपास में यहियानगर में रहते हैं. उनके तीन पुत्रों में जियाउल हसन, फैयजुल हसन और गौसुल हसन हैं. तीनों भाइयों में सिर्फ जियाउल हसन ने ही 12वीं तक साइंस से पढ़ाई की है.
फैयजुल बीकॉम और गौसुल आइकॉम का छात्र है. वर्तमान में तीनों भाई जटिल ड्रोन, रोबोटिक और सर्विलांस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में एक जाना-माना नाम बन चुके हैं. हसन बंधुओं ने हाल में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के लिए पहाड़ों और जंगल में निगरानी के लिए बॉर्डर सर्विलांस सिस्टम ‘केबल कैम’ तैयार किया है.
यह केबल कैम रस्सियों के सहारे झूलती हुई 500 मीटर की रेंज तक निगरानी कर सकता है. बीएसएफ ने इसे विशेषकर जंगल और पहाड़ों पर निगरानी के लिए तैयार करवाया है.
हसन बंधु अब तक कई तरह के ड्रोन बना चुके हैं. इनमें सैनिटाइजर का छिड़काव करने वाला, भारी सामान ले जाने वाला, आठ मोटर वाला, साथ ही खदानों के अंदर सर्विलांस और सामान ढोने वाला रोबोट भी शामिल है. वे इस क्षेत्र में आइआइटी और एनआइटी जैसे संस्थानों से पढ़ रहे छात्रों को टक्कर दे रहे हैं. तीनों भाई अपने ड्रोन और रोबोट के साथ विभिन्न आइआइटी और एनआइटी में होने वाली प्रतियोगिताओं में इंजीनियरिंग के छात्रों को टक्कर देते हैं.
वे अब तक आइआइटी दिल्ली के इंटरनेशनल एरोमॉडलिंग कंपीटीशन, आइआइटी खड़गपुर के क्षितिज रोबोटिक्स कंपीटीशन, आइआइटी आइएसएम के खनन टेक फेस्ट के रोबोटिक कंपीटीशन, आइआइटी भुवनेश्वर के विजेनेयर टेक फेस्ट, एनआइटी जमशेदपुर के ओजस टेक फेस्ट, एनआइटी हल्दिया के प्रयुक्ति टेक फेस्ट और बीआइटी सिंदरी के सधान टेक फेस्ट में न सिर्फ हिस्सा ले चुके हैं, बल्कि आइआइटी की टीमों को पछाड़ कर प्रथम आ चुके हैं.
वर्ष 2018 में टेक फेस्ट ‘खनन’ में रोबोटिक्स इवेंट में जियाउल और फैयजुल प्रथम आ चुके हैं. इस टेक फेस्ट में देश भर के प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग संस्थानों के छात्र हिस्सा लेते हैं. यह देश भर के इंजीनियरिंग संस्थानों के माइनिंग इंजीनियरिंग विभाग का सबसे बड़ा टेक फेस्ट माना जाता है.
फैयजुल बताते हैं कि इस टेक्नोलॉजी को समझने के लिए तीनों भाइयों में बचपन से ललक थी. घर में पिता द्वारा लाये गये कई इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस को समझने के लिए उसे खोल देते थे. कई बार तो यह खराब भी हो गयी. इसके साथ यूट्यूब ने भी उनकी काफी मदद की. तीनों भाई हाइ-टेक एक्सवाइजेड के नाम से यूट्यूब चैनल भी चला रहे हैं. इस चैनल पर उनके 1.44 लाख सब्सक्राइबर हैं.
फैयजुल बताते हैं कि इस चैनल ने उन्हें बहुत बड़ा एक्सपोजर दिया है. इस चैनल पर वे लोगों को तरह-तरह के ड्रोन और रोबोट बनाना सिखाते हैं. इसकी वजह से अपने देश के साथ चीन की कंपनी भी उनसे ड्रोन टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में मिलकर काम करने के लिए संपर्क कर रही है. वे बताते हैं कि इस यूट्यूब चैनल से होने वाली कमाई का इस्तेमाल वे रिसर्च और डेवलपमेंट पर खर्च कर रहे हैं. इसके लिए उनलोगों ने अपने घर में एक वर्कशॉप सब लैब बना रखा है.
हसन बंधुओं का अगला लक्ष्य ड्रोन टेक्नोलॉजी में इस्तेमाल होने वाले सभी पार्ट्स का देश में उत्पादन करने का है. फैयजुल बताते हैं कि अभी इसके अधिकतर पार्ट्स चीन में बनते हैं. इस क्षेत्र में अपने देश को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना चाहते हैं. इसके लिए उनलोगों ने वर्ष 2021 में स्काइ आरसी के नाम से स्टार्टअप शुरू किया है. इसके लिए वे अभी किसी मदद नहीं ले रहे हैं. अपनी कमाई के दम पर इसे आगे ले जाना चाहते हैं.
रस्सियों के सहारे झूलता केबल कैम 500 मीटर की रेंज तक कर सकता है निगरानी
जियाउल हसन, फैयजुल हसन और गौसुल हसन के पिता चलाते हैं किताब दुकान
यूट्यूब चैनल पर 1.44 लाख सब्सक्राइबर
केबल कैम से जंगलों में निगरानी के लिए बीएसएफ ने पेड़ों के सहारे केबल या रस्सियां बांधी हैं. कैमरा एक रोबोट से जुड़ा है. इस रोबोट को 500 मीटर की दूरी से कंट्रोल किया जा सकता है. इसमें लगा कैमरा 24 घंटे तक 500 मीटर की रेंज में मौजूद हर चीज को स्पष्ट रूप से दिखाता है. इसे जूम करके रिमोट में लगी स्क्रीन या किसी बड़ी स्क्रीन पर देखा जा सकता है. यह कैमरा नाइट विजन डिवाइस से भी लैस है. बीएसएफ इसका इस्तेमाल अंतर्राष्ट्रीय सीमा की निगरानी के लिए कर रही है.
Posted By : Sameer Oraon